भण्‍डाफोड़ू के पुराने लेख...

दिग्विजय सिंह का भंडाफोड़ !!

दिग्विजय सिंह अपराधियों ,औरातान्कवादियों से हमदर्दी रखता है ,यह उसके सभी अखबारों ,और टी.वी. में दिए गए बयानों से साबित होता है .जो व्यक्ति ओसामा को "ओसामा जी " और बाबा रामदेव को "ठग "और अन्ना हजारे को "धोखेबाज "कहता हो आप उसकी मानसिकता के बारे में खुद अंदाजा कर सकते है .इस बात में कोई शक नहीं है कि जिस व्यक्ति के जैसे विचार होते हैं ,वह वैसी ही नीति अपनाता है .वैसे तो दिग्विजय हिन्दू संगठनों को आतंकवादी ,अपराधी कहता है ,तो उसका मुंह नहीं थकता है.

लेकिन जब उसे मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का पद मिला तो उसने चुन चुन कर कई ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बिठा दिया था जो अपराधी थे ,या जिनकी अपराधिक प्रष्ठभूमि थी .वैसे गिग्विजय को कांग्रेस से कोई लेनादेना नहीं था .उसके पूर्वज अंग्रेजों के पिट्ठू थे .और गुना जिला में एक छोटी सी रियासत राघौगढ़ के जमींदार थे .वही ठसक दिग्विजय में भरी हुई थी .दिग्विजय को कांग्रेस में लाने वाले उसके समधी अर्जुन सिंह थे .उस समय लोग एम् .पी कांग्रेस को "समधी कांग्रेस "कहते थे .सता पते ही दिग्विजय ने ईमानदार और निष्ठावान कायकर्ताओं को निकाल दिया और सन 1988 में पार्टी के "पुनर्गठन "के बहाने अपने लोगों को पार्टी में भर दिया जो अपराधी थे .उसी दिन से मध्य प्रदेश कांग्रेस का अपराधीकरण शुरू हो गया था .जो उस समय के अखबारों में छपा था .उनका कुछ नमूना दे रहे हैं -

पार्टी में अपने ही लोगों को भर दिया, और पुराने निष्ठावान कांगरेसियों कि उपेक्षा करके उनको निकाल दिया.
1 -इंदिरा गांधी को समर्पित ,दुर्दिनों के साथियों को गड्ढे में धकेला गया. कांग्रेस प्राइवेट लिमिटेड बन गई (दैनिक भास्कर .14 जन 1988 )
2 -बुरे दिनों के साथी पुनर्गठन के नाम पर निकले गए.(दैनिक भास्कर .16 जन 1988 )
3 -प्रदेश कार्यकारिणी की उपेक्षा .(भास्कर 18 जन .1988 )
बाद में जब 15 सितम्बर 1988 को पचमढ़ी में कांग्रेस की कार्यकारिणी की सभा हुई तो उसमे यह मुद्दा यथा था .और प्रताव पारित हुआ और सोनिया ने कहा था की कि 1978 से 1980 तक जिन लोगों ने काग्रेस के आंदोलनों में सक्रीय कम किया था ,उन्हीं को कंरेस में रखा जायेगा .लेकिन दिग्विजय से उस प्रस्ताव की अनदेखी करते हुए जिन लोगों को ऊंचे ऊँचे पदों पर बिठा दिया उनमेसे कुछ लोगों के नाम दिए जा रहे है .और दिग्विजय की नीतियों के बारे में कुछ जानकारी दी जा रही है .कांग्रेस कार्यालय की फाइलों से प्राप्त हुई है .
1 -दिनांक 27 -28 मार्च 1986 को दिग्विजय ने हेक जिलों से युवकों को बुलालर एक दल बनाया .जिसमे करीब 700 लोग चुने गए .और दल में शामिल होने की अंतिम तारीख 31 मार्च 1986 रखी थी .फिर उनके 22 सेल बना कर जंगल में ट्रेनिंग के लिए भेजा .इनमे अधिकांश लोग ऐसे थे ,जो खुले आम इंदिरा और राजीव को गालियाँ देते थे .इनका काम फसाद कराना था.
2 -जगतपाल को कांग्रेस कमिटी का जनेअल सेक्रेटरी मनोनीत किया ,जिसने 10 लाख रूपों का गबन किया.
3 -भोपाल गैस कांड के अपराधी .यूनियन कार्बाइड के अपराधियों और उनके साथियों को संरक्षण दिया .
4 -जब सन 1985 में मंदसौर के एक कसबे "सिंगौरी "में साम्प्रदायिक डंडे हुए ,तो दिग्विजय ने एक प्रेस नोट से दंगा और भड़का दिया .जिस से कई लोग मारे गए.
5 -ठाकुर हरबंस सिंह नामके व्यक्ति को कांग्रेस सेवादल का चेयर मेन बना दिया ,जिस पर धोखा घडी ,गबन और अन्य कई मामले चल रहे थे .
अ -केस .न. 1650 /84 धारा 378 (c ) C R P C
ब-केस स .298 /82 धारा 420
इसके आलावा हरबंस के निवास स्थान सेवनी पर इनकम टेक्स ने छापा मारा था और लाखों रूपया बरामद किया था .
6 -कप्तान सिंह ठाकुर .दिग्विजय ने इसे बीस सूत्री प्रोग्राम का जनरल सेक्रेटरी और Coordinator बना दिया था ,यह मैनपुरी से एक लड़की भगा कर लाया था .और उसे घर में रख लिया .फिर Willingdon हॉस्पिटल की एक नर्स को भगा लाया ,जो दिल्ली के कनाट प्लेस में रहती थी .यही नहीं इसने पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर रेलवे में नौकरी ले ली थी .बाद में सच्चाई सामने आने से नौकरी से निकाल दिया था .उसके इन्हीं गुणों के कारण दिग्विजय ने उसे महत्वपूर्ण पद दिया था .और उसे पसंद करता था .
7 -सदरुद्दीन अंसारी .दिग्विजय ने इसे Vice President बना दिया था .यह कांग्रेस में होकर भी "जमाअतुल उलमा "का भी उपाध्यक्ष था. उसका लड़का निजामुद्दीन अंसारी कुख्यात अपराधी था .और भोपाल में उसपर कई मुकदमे दर्ज हैं .सन 1985 में इसी ने अपने लोगों के साथ मंदसौर में दंगे करवाए थे.
यह तो थोड़े से नमूने हैं जो विस्तार भय से लिखे हैं .उपलब्ध फाइलों में ऐसे बहुत प्रमाण हैं ,जिससे दिग्विजय के अपराधियों के साठगाँठ होने के सबूतहै .
आज भले दिग्विजय राहुल को प्रधान मंत्री बनाने की बातें करके , सोनिया की चापलूसी कर रहा है और खुद को इंदिरा और सोनिया का भक्त बता रहा है .लेकिन दिग्विजय के ईमान का कोई भरोसा नहीं है .इसके सबूत के लिए रायपुर से प्रकाशित अखबार की हेडिंग का हवाला दिया जा रहा है .
"प्रदेश के वरिष्ठ नेता ,रोकते रहे ,और कहा कि इंदिरा और राजीव को गालियाँ देने वालों को जिम्मेदारी देना मेरी भूल है .इंदिरा" को अंतर्राष्ट्रीय वेश्या ",और सोनिया को "फ़ोरेन माल "कहने वाले प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी "देशबंधु रायपुर .30 अगस्त 1992 ).
(नोट -दिग्विजय के भक्त कांग्रेसी विचार करें !!)
दिग्विजय सिंह सम्बन्धी इन तीनों लेखों को पढ़ने वाले सभी पाठको से अनुरोध है कि ,यह जानकारी मुझे कांग्रेस के एक निष्ठावान और वरिष्ठ पदाधिकारी ने दी है .जिसमे कुछ अखबारों से कुछ कांग्रेस दफ्तर की फाइलों से ली गयी है .आज भी यह व्यक्ति कांग्रेस के प्रति समर्पित हैं .लेकिन उन्हों ने दिग्विजय कि जनविरोधी नीतियों का विरोध किया था ,और दिग्विजय को सचेत किया था .उनकी बात न मानने के कारण मध्य प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया था.इनके पास इतने सबूत हैं जिस से सोनिया भी फस सकती है ,दिग्विजय क्या चीज है .मैंने वह फायलें खुद देखी है .उनका परिचय इस प्रकार है -
R.M.Bhatanagar
Ex.Chairman (Minister staus),ExOffice Secratary,(1978-1993) Secretary cum Personnel Officer,
34.Good Shefard Colony,Banjari Chauraha Kolar Road-BHOPAL.M.P.
चूँकि उनपर दो बार हमला हो चूका है वह अपना मोबाईल नंबर नहीं दे रहे हैं .इन लेखों के बाद उन्होंने अपनी तरफ से यह भी लिखने को कहा है जो उन्होंने अखबारों को पहले भी लिख दिया था."सत्यापन -मैं शपथ पूर्वक सत्यापत करता हूँ कि उल्लेखित जानकारी मेरे निजी ज्ञान तथा उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर सत्य है "
अब जिसे चाहिए उन से संपर्क करे .या मेरे मेल से सूचित करे .Em-satyawadi44@gmail.com



दिग्विजय सिंह का पर्दाफाश !

दिग्विजय सिंह की हालत उस व्यक्ति की तरह है जो खुद तो मल मूत्र के गड्ढे में पड़ा हो और दूसरों के साफ़ कपड़ों में दाग तलाश करता हो .आज दिग्विजय हरेक के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है.और खुद को भ्रस्ताचार से मुक्त होनेका ढिढोरा पीट रहा है .एक समय यही व्यक्ति सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार को ,जरूरी ,और जायज कहता था.यही नहीं भ्रष्टाचार को कानूनी दर्जा दिलवाने की वकालत भी करता था.दिग्विजय ने अपने मंत्री मंडल में ऐसे लोग भर लिए थे जो भ्रस्ताचार को उचित मानते थे .दिग्विजय ने कहा था कि"वर्त्तमान राजनीतिक व्यवस्था में हमें भ्रष्टाचार कि परिभाषा बदलनी होगी .मैं जो भी करता हूँ पार्टी के लिए करता हूँ "(राज्य की नई दुनिया .भोपाल 28 फरवरी 2001 )
यही नहीं सोनिया भी दिग्विजय के इन विचारों का समर्थन करती थी. 14 दिसंबर 1998 को राष्ट्रीय सम्मलेन मेंप्रदेश के गृहमंत्री हरबंस सिंह ने सोनिया से कहा कि मैं मुख्य मंत्री के आदेश से पार्टी के लिए धन जमा कर रहा हूँ .सोनिया ने उसकी तारीफ कि थी (नव भारत भोपाल 15 दिसंबर 1998 )उसके बाद सन 1990 से 1993 तक दिग्विजय के आदेश से हरबंस सिंह ने 100 -100 रुपये के कूपन बेच कर लोगों से रुपये वसूले .और लाखों रूपया इकठे किये .लेकिन रूपया पार्टी के खाते में जमा करने कि जगह जेब में रख लिए .यहांतक कांग्रस कार्यालय के खर्चे के लिए बहार से कर्जा लेना पड़ा था. (हिन्दुस्तान टाइम्स नई दिल्ली .7 मार्च 1993 )
दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में जो घोटाले ,गबन ,आर्थिक अनियमितताएं हुई थी ,उनके बारे में महा लेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्र्ट में कहा था कि प्रतिमाह लगभग 70 लाख की हेराफेरी मुख्य मंत्री द्वारा कि गयी है .जिसकी पुष्टि समाचारों ने भी की है .जैसे -
1 -मध्य प्रदेश की तेरह सिंचाई परियोजनाओं में सब अदूरी हैं ,एक हेक्टर जमीं भी सिंचित नहीं हुई ,24 अरब रूपया खर्च होने पर सिर्फ 12 हेक्टर जमीन सिंचित हुई .(नव भारत 4 जून 2000 ) सिंचाई योजना में घोटाला .(नव भारत 17 जुलाई 1999 )
2 -राजिव गांधीराष्ट्रीय पेयजल मिशन के तहत 15400 ग्रामीण बसाहटों में केवल 90 बसाहटों में पानी की व्यवस्था हो सकी .याकि कुल 8 .5 %काम किया गया .बाकी रूपया हड़प लिया गया. (नव भारत .भोपाल 18 जुलाई 1999 )
3 -घोटालों के कारण कुएं भी क्म खुदे और मकान भी क्म बने .(नव भारत .7 मई 1999 )
4 -मास्टर रोल घोटाले के दोषियों को बहाल कर दिया गया .(नव भारत 4 मई 1999 )
5 -करोंड़ों के सड़क घोटाला करने वाले निलंबित अफसरों को मुख्य मंत्री ने राजनीतिक दवाब के कारण काम पर ले लिया .और उनपर कार्यवाही रोक दी (दैनिक भास्कर .8 मई 1999 )
इसके अलावा दिग्विजय ने अपने पद का नाजायज दुरपयोग करते हुए .अपने परिवार के लोगों ,रिश्तेदारों ,और हितेषियो को जो लाभ पहुँचाया और सरकारी धन को हड़प किया था .उसकी जानकारी दिग्विजय की गुप्त रिपोर्ट में से हमें मिली है .इस रिपोर्ट के अनुसार -
1 -दिग्विजय्ने मुख्य मंत्री रहते हुए अपनी पत्नी ,अपनी नाबालिग पुत्री मंदाकिनी (आयु 12 साल )मृणालिनी (आयु 9 साल )और हरीश चंडोक और बलभद्र के नाम से एक फर्जी कंपनी बनायीं जिसका नाम "Gwalior Coal "था और इस फर्जी कंपनी के नाम पर करोड़ों रूपया लोन लिया था .और रूपया हड़प करके कंपनी बंद कर दी थी .
2 -संजय सागर Forest Cultivation Project चला कर जमीनों पर कब्ज़ा करके करोड़ों रुपये कमाए .
3 -दिग्विजय अपने गाँव राघौगढ़ और उसके किले को अपनी जायदाद मानता है .इसलिए उसने किले की चट्टानों को कटवा कर .और पहाड़ी के टीलों को खुदवा कर पत्थर मिटटी बिकवा कर करोड़ों रूपया अपनी जेब में डाल लिया .और कोई टेक्स नहीं दिया.
4 -दिग्विजय और उसके छोटे भी लक्षमण ने एक गुजरात के व्यवसायी दिनेश पटेल और रणछोड़ सिंह पटेल के साथ मिलकर एक फर्जी कंपनी बनायी .जिसका नाम "Maruti Limited "था इस कंपनी के बहाने दिग्विजय ने राघौगढ़ की ज़मीन और जंगल पर कब्ज़ा कर लिया.और जमीनों को बेचकर रूपया कमाया .बाद में इस फर्जी कंपनी के नाम पर State Bank विजयपुर की ब्रांच अपने प्रभाव से से कर्जा भी दिलवा दिया .यह फर्जी कंपनी गुना स्थित Fertiliser Plant के प्रबंधकों पर ठेका देने पर दवाब देने लगी .लेकिन गुना फर्टीलाइजर प्रबंधकों ने जन मन कर दिया तो दिग्विजय के गुंडे मारा पीटी और तोड़फोड़ करने लगे .जिस से कई लोग जख्मी हो गए .गुना थाने में दिग्विजय के लोगों के विरुद्ध ऍफ़ आई आर भी दर्ज है .केस संख्या .63 /84 धारा 379
5 -अपने भी के नाम पर गुना में एक सोयाबीन का प्लांट लगाने के बहाने बैंक से आठ लाख रूपया लोन लिया ,और कोई प्लांट नहीं बनाया .सारा रूपया हड़प कर गया.
6 -अपने गाँव राघौ गढ़ में अपने महल में कारपेट बनाने की कंपनी के बहाने सरकार से सब्सिडी लेकर रूपया जेब में भर लिया .कोई कंपनी नहीं बनायी .
7 -दिग्विजय ने एक गरीब कोटवार (एक पिछड़ी जाति) की जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर लिया .और उसकी ज़मीन पर Stone Crusher लगा दिया फिर पांच Dumper के लिए लोन ले लिया .और रूपया हड़प कर लिया.
8 -गुना में श्वेत क्रान्ति के बहाने अपने एक रिश्तेदार के नाम से डेयरी बना दी और बैंक से 8 लाख रूपया लोन ले लिया .लेकिन डेयरी नहीं बनवाई और रूपया हड़प कर गया .
यह तो कुछ थोड़े से ही नमूने हैं ,जो उन फाइलों से जल्दी जल्दी निकले जा सके हैं .दिग्विजय के भ्रष्टाचार के और भी सबूत है ,जो किसी समर्थ और सक्षम व्यक्ति को दिए जा सकते हैं ,जो दिग्विजय का सामना करने को तय्यार हो .ऐसी करीब 30 -40 फाइलें हैं
मेरा सिर्फ यही कहना है की भ्रष्टाचार कैसा भी हो अपराध होता है .चाहे एक हजार का हो ,चाहे एक करोड़ का .यदि कोई संगठन व्यवस्था करा सके तो उन महोदय का टी वी पर दिग्विजय से मुकाबला करवा दिया जा सकता है .
मेरा कांग्रेसियों से अनुरोध है कि दिग्विजय से सावधान रहें ,यह किसी का सगा नहीं है .आज यह जिस राहुल की तारीफ़ में ज़मीन असमान एक कर रहा है .एक दिन उसी राहुल के लिए संकट पैदा कर देगा.
आप लोग भी इस लेख को अपने मित्रों तक भेजने का कष्ट करें .इस विषय के अंतिम एपिसोड में मैं उन महोदय का परिचय भी दूंगा जिन से औरभी जानकारियाँ मिल सकती हैं .तब तक आप तीसरे एपिसोड की प्रतीक्षा करें



दिग्विजय सिंह बेनकाब !

दिग्विजय सिंह उर्फ़ दिग्गी राजा अपने हिन्दू विरोधी विचारों ,और बेतुके बयानों के लिए जाने जाते हैं .सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि दिग्गी को सभी हिन्दू संगठनों से घोर एलर्जी है .चाहे वह आर एस एस हो या बी जे पी .चाहे बाबा रामदेव हों या अन्ना हजारे .दिग्गी कि नजर में वे सब लोग आतंकवादी और भ्रष्ट हैं ,जो भ्रष्टाचार का विरोध करता हो .लोग यह भी जानते हैं कि दिग्गी ने मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री की कुर्सी फिर से हथियाने के लिए चापलूसी और खुशामदखोरी की हदें पर कर दी हैं .
अपनी इसी स्वामीभक्ति के कारण वह पार्टी के महामंत्री और उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी बनाये गए है .कान्ग्रेसिओं की नजर में दिग्गी एक वरिष्ठ .निष्ठावान ,और पार्टी के प्रति समर्पित नेता हैं .
लेकिन यदि कोई यह कहे कि दस सालतक मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री रहते हुए ,दिग्गी ने खुद कांग्रस को चूना लगाया ,भोपाल स्थित कांग्रेस के कार्यालय "जवाहर भवन 'को फर्जी ट्रस्ट बनाकर अपने क़ब्जे में कर लिया ,भवन से लगी हुई दुकानों का किराया हड़प कर लिया ,अदालत में झूठा शपथ पत्र दिया ,अपने लोगों को फर्जी कंपनिया बना कर रुपयों का घोटाला किया ,पार्टी में अपराधियों को संरक्षण दिया .तो कांग्रेसी ऐसा कहने वाले को फ़ौरन आर एस एस का आदमी कह देंगे ,और अगर कोई यह कहे कि दिग्विजय सिंह सार्वजनिक रूप से इंदिरा गाँधी को "राजनीतिक वेश्या "और सोनिया को "फोरेन"यानी विदेशी कहता था ,तो कांग्रेसी उस व्यक्ति को बाबा रामदेव ,या अन्ना हजारे का चमचा कह देंगे .
लेकिन यह सब आरोप किसी संघी या बाबा रामदेव के आदमी ने नहीं ,बल्कि मध्य प्रदेश कांगेस पार्टी के चेयर मेन Chairman ने लगाये हैं जो सन 1978 से 1993 तक पार्टी में बने रहे .और उनको Minister Status का दर्जा प्राप्त था .यही नहीं ,यह व्यक्ति राजीव गांधी के काफी निकट थे .इनके कार्यकाल में अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह एम् .पी में मुख्य मंत्री रहे .इन महोदय का नाम श्री आर. एम् .भटनागर है .आज इनकी आयु 76 के लगभग है .भटनागर जी ने दिग्विजय पर जो भी आरोप लगाये हैं .वह उन्होंने शपथ पूर्वक बताये हैं .जिनकी पुष्टि ,अखबारों ,विधानसभा के रिकार्ड ,और प्रमाणिक गुप्त दस्तावेजों से होती है .यही श्री भटनागर ने इसकी सूचना Top Secret पत्र दिनांक 9 अगस्त 1998 और दिनांक 29 सितम्बर 2001 को सोनिया को देदी थी .यह खबर इंदौर से साप्ताहिक "स्पुतनिक "ने अपने अंक 42 वर्ष 47 औरदिनांक 31 जनवरी -6 फरवरी के अखबार में विस्तार में छापी थी .,
अब हम दिग्विजय के कुछ कारनामों का सप्रमाण एक एक करके भंडा फोड़ेंगे जैसे 1 .जवाहर भवन की संपत्ति हड़प करना ,2 .अपने लोगों को नाजायज फायदा पंहुचाना ,3 .अपराधियों को संरक्षण देना ,4 इंदिरा गाँधी के लिए वेश्या कहना .
1 -जवाहर भवन की संपत्ति गबन करना
दिग्विजय सिंह ने पहला घोटाला कांग्रेस की सम्पति को हड़प करने का किया था .सन 2006 से पूर्व म.प्र काग्रेस कमेटी का मुख्य कार्यालय लोक निर्माण विभाग के एक शेड में कहता था. बादमे मद्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी को अपना भवन बनाने हेतु म.प्र. आवास और पर्यावरण विभाग ने आदेश क्र. 3308 /4239 दिनांक 30 /11 /74 और पुनर्स्थापित आदेश दिनांक 30 अगस्त 1980 तथा आदेश दिनांक 20 /11 81 द्वारा रोशन पूरा भोपाल के नुजूल शीट क्रमांक 3 प्लाट 7 में 5140 वर्ग फुट जमीं बिना प्रीमियम के एक रूपया वार्षिक भूभाट लेकर स्थायी पट्टे पर आवंटित कर दिया था .और उस भूखंड का विधिवत कब्ज़ा कांग्रस कमिटी को नुजूल से लेकर 23 /11 81 को सौप दिया .भवन निर्माण हेतु सदस्यों और किरायेदारों से जो रुपया जमा हुआ उस से तीन मंजली ईमारत बनायीं गयी .जिसमे दो बड़े हाल और साथ में 59 दुकानें भी थीं .इस भवन का नाम "जवाहर भवन शोपिंग कोम्प्लेक्स "रखा गया. इस भवन की भूमि पूजा तत्कालीन मुख्य मंत्री अर्जुन सिंह ने 16 अगस्त 1984 को की थी.और उद्घाटन राजीव गाँधी ने किया था. निर्माण हेतु सदस्यों के चंदे से 29 .84 लाख और किराये से 66 .78 लाख जमा हुए थे. और कराए की राशी से पार्टी का खर्च चलने की बात कही गयी थी .
बबाद में दिग्विजय सिंह ने 19 /12 /85 को एक फर्जी ट्रस्ट बनाकर उस भवन पर कब्ज़ा कर लिया .यद्यपि उस ट्रस्ट का नाम "कांग्रेस कमिटी ट्रस्ट "था लेकिन उसका कांग्रेस से कोई सम्बन्ध नहीं था .दिग्विजय ने अनुभागीय अधिकारी (तहसीलदार )के समक्ष शपथपत्र देकर कहा की यह ट्रस्ट पुण्यार्थ है. और जवाहर भवन की सारी चल अचल सम्पति इसी ट्रस्ट की है .इस तरह कांग्रस दिग्विजय की किरायेदार बन गई .देखिये
(देशबंधु दिनांक 6 दिसंबर 1998 ) दिग्विजय ने उस ट्रस्ट का खुद को अध्यक्ष बना दिया .उक्त ट्रस्ट में निम्न पदाधिकारी थे.
अध्यक्ष -दिग्विजयसिंह पुत्र बलभद्र सिंह 2 .मोतीलाल वोरा ट्रस्टी 3 .जगत पाल सिंह मेनेजिंग ट्रस्टी .
इस ट्रस्ट के विरुद्ध न्यायालय अनुभागीय अधिकारी तहसील हुजुर भोपाल में एक जनहित याचिका भी दर्ज कीगयी थी. जो प्रकरण संख्या 04 बी -113 /85 -86 दिनांक 12 जुलाई 88 में दर्ज हुआ था. बाद में यह मामला श्री आर .एम् .भटनागर ने विधान सभा में भी उठवाया.म.प्र. विधान सभा के प्रश्न संख्या 9 (क्रमांक 579 )दिनांक 23 फरवरी 96 को उक्त ट्रस्ट के बारे में श्री करण सिंह ने यह सवाल किया था .क्या राज्यमंत्री धार्मिक न्यास यह बताने का कष्ट करेंगे की इस ट्रस्ट के पंजीयन के समय तक कितनी बार ट्रस्टियों के नाम बदले गए हैं ?जैसा की भटनागर ने 24 दिसंबर 98 को प्रश्न किया था .और पंजीयक से शिकायत की थी ?
इस पर विधान सभा में राज्यमंत्री धार्मिक न्यास श्री धनेन्द्र साहू ने उत्तर दिया था कि अबतक उक्त ट्रस्ट के ट्रस्टी चार बार बदले गए हैं और ट्रस्ट के भवन कि दुकाने पट्टे पर नहीं बल्कि किराये पर दी गयीं है. और इसकी अनुमति भी नहीं ली गयी थी .यही नहीं उक्त ट्रस्ट कि औडिट रिपोर्ट भी 31 मार्च 2000 तक नहीं दी गयी है .
इसके बाद दिग्विजय सिंह ने दुकानों से प्राप्त कराए क़ी पार्टी को न देकर अपने निजी काम में लगाना सुरु कर दिया .जिसकी खबर इंदौर से प्रकाशित "Free Press Journal "ने दिनांक 5 नवम्बर 1986 को इस हेडिंग से प्रकाशित की थी."Digvijay accused of misusing party funds "
श्री भटनागर ने बताया कि जवाहर भवन की 59 दुकानों से मिलाने वाले किराये से प्रति माह दो तीन लाख रुपये कि जगह सिर्फ मुश्किल 65000 /- ही जमा होते थे .इस प्रकार अकेले 10 सालों में करोड़ों का घपला किया गया है. उक्त ट्रस्ट का खाता पंजाब नॅशनल बैंक की भोपाल टी .टी. नगर ब्रांच में थी .जिसका खता नुम्बर 19371 है. खाते से पता चला कि 1 अप्रेल 2001 से 26 मार्च 2003 तक ट्रस्ट से "एक करोड़ ,इक्कीस लाख ,एक हजार छे सौ उनचास "रुपये नकले गए थे. जिसमे सेल्फ के नाम से 162739 /- दिग्विजय ने निकला था .बैंक का लोकर भी थी .जिसमे कई मूल्यवान वस्तुएं भी थी जो भेंट में मिली थी .असके आलावा नकद राशी भी थी .भटनागर ने बताया कि उस समय खाते में ग्यारह करोड़ राशी थी .लोकर कि दो चाभियाँ थी .एक जगतपाल सिह के पास ,और दूसरी दिग्विजय के पास थी .जब जगतपाल कि मौत होजाने के बाद लोकर खोला गया तो उसकी कीमती चीजे गायब थी .और खाते से 9 करोड़ रुपयों का कोई हिसाब नहीं मिला,देखिये साप्ताहिक पत्र इंदौर से प्रकाशित"स्पुतनिक "दिनांक 31 जनवरी 2005 .
इसी पत्र में yah भी लिखा है कि दिग्विजय से ट्रस्ट से सेल्फ के नाम से 65000 /- निकाला था .और अपने मित्र राधा किशन मालवीय को स्कोर्पियो खरीदने को दिया था .बाद में उस गाड़ी को को शाजापुर में दुर्घटना ग्रस्त बता दिया था.आज भी जवाहर भवन दिग्विजय के कब्जे में है .श्री भटनागर ने इसकी शिकायत सोनिया को 31 जनवरी 2005 लिखित में शपथ पूर्वक कर दी थी .और मांग कि थी कि दिग्विजय से कांग्रेस की सम्पति वापस करवाई जाये .और उसे राजनीतिक सन्यास पर भेज दिया जाये .
वास्तव में दिग्विजय ऐसा व्यक्ति है जिसने खुद कांग्रेस को चूना लगाकर करोड़ों रुपये हड़प लिए .मेरे पास कई सबूत हैं .यदि कोई मित्र यह जानकारी बाबा राम देव या अन्ना हजारे तक पहुंचा दे तो यह दस्तावेज उनको भेजे जा सकते है .
अगले एपिसोड में दिग्विजय के आर्थिक घोटालों का भंडा फोड़ किया जायेगा .आप अवश्य पढ़िए .!



सातवाँ अध्याय :ज्ञानविज्ञान

-ज्ञानविज्ञान -इल्मे मुआरिफत -
भगवान ने फरमाया -
सुन अर्जुन अमां मुझमें पाए हुए -मेरी ज़ात में लौ लगाए हुए ,
तुझे योग की मश्क का ध्यान हो -तो सुन किस तरह मेरी पहचान हो .II 1 II
मैं करता हूँ वह राजे कामिल बयां-करे इल्मो इरफांजो तुझ पर अयाँ,
ये पहचान कर सबको पहचान ले -जो है जानने का ,वो सब जान ले .II 2 II
हज़ारों में होगा कोई खाल खाल - कि है जिसको फिक्रे हुसूले -कमाल ,
हो उन बा कमालों में कोई बशर -जो मेरी हकीकत की पाए खबर .II 3 II
ये मिट्टी ,ये पानी ,ये आग और हवा -ये आकाश दुनिया पे छाया हुआ ,
ये दानिश ,ये दिल ,ये ख्याले -खुदी -है इन आठ हिस्सों में फितरत मेरी .II 4 II
है फितरत तो अदना है ,सुन अय कवी -मगर मेरी फितरत है एक और भी ,
वो फितरत है आला ,बने जो हयात -इसी से तो कायम है कुल कायनात .II 5 II
इन्हीं फितरतों से है सब हस्तो -बूद -इन्हीं के शिकम से हुए सब वुजूद ,
सो है मुझसे आगाज़े आलम तमाम -मेरी ज़ात में सबका हो इख्तिताम .II 6 II
सुन अर्जुन नहीं कुछ भी मेरे सिवा -न है मुझसे बढ़कर कोई दूसरा ,
पिरोया है सबको मेरे तार ने -कि हीरे हों जैसे किसी हार में .II 7 II
मैं पानी में रस,चाँद सूरज में नूर -मैं हूँ "ओम "वेदों में जिसका ज़हूर ,
सिदा मुझको आकाश में कर ख्याल -मैं मर्दों में मर्दी,कुंती के लाल .II 8 II
मैं मिट्टी के अन्दर हूँ खुशबूए पाक -मैं हूँ आग में शोलए-ताबनाक ,
मैं जानेजहाँ जानदारों में हूँ -रियाज़त,इबादत -गुज़ारों में हूँ .II 9 II
सुन अर्जुन ,मैं हूँ बीज हर हस्त का -मैं वो बीज हूँ जो न होगा फना ,
मैं दानिश हूँ ,उनकी जो हैं होशियार -मैं ताबिश हूँ उनकी जो हैं ,ताबदार .II 10 II
मैं हूँ कुव्वतो -जोरे -मर्दे ज़री-मगर हूँ ,हवाओ -हवस से बरी,
सुन अर्जुन ,मैं ख्वाहिश हूँ इंसान की -जो दुश्मन न हो ,धर्म ईमान की .II 11 II
मुझी से है फितरत सतोगुन कहीं -मुझी से ,राजोगुन,तमोगुन कहीं ,
मगर मैं बरी इनसे हूँ बिल्यकीं-ये मुझसे हैं ,लेकिन मैं इनसे नहीं .II 12 II
गुनों से हुए वस्फ़ तीनों अयां-हुए जिससे गुमराह अहले जहां ,
समझते नहीं लोग मेरा कमाल -कि बाला हूँ मैं उनसे ,और बे ज़वाल .II 13 II
गुनों से जो माया हुई आशकार -ये माया है ,या फितरते -कर्दगार,
कहाँ इससे इन्सां कभी कभी पार हों -फकत पार मेरे परिस्तार हों .II 14 II
जो गुमराह ,बदकुन हैं और पुर खता -करे ज्ञान गुन उनके माया फना ,
पसंद उनको सीरत है शैतान की -मेरे पास आते नहीं वह कभी .II 15 II
सुन अर्जुन हैं मेरे परस्तार चार -तलबगार मेरे ,निकूकार चार ,
दुखी शख्स ,या इल्म की जिसको धुन -तलब ज़र की .या हों जिसमे हों ग्यान गुन .II 16 II
जो ग्यानी है चारों में सरदार है -मुझी में है यकदिल औ सरशार है ,
करे जाते -यकता की भागती सदा -मई प्यारा हूँ उसका ,वो प्यारा मेरा .II 17 II
परस्तार हर एक गो नेक है -जो ग्यानी है ,मुझसे मगर एक है ,
वो यकदिल है ,और उससे यकदिल हूँ मैं -वो कायम है और ,उसकी मंजिल हूँ मैं .II 18 II
जनम पे जनम लेके ग्यानी जरूर -पहुँच जाये आखिर को मेरे हुजुर ,
वो जाने "कि सब कुछ है जानेजहाँ -महा आत्मा ऐसा होगा कहाँ .II 19 II
हवाओ -हवस से जो मजबूर हैं -हुए ज्ञान से उनके दिल दूर हैं ,
करें दूसरे देवताओं से प्रीत -निकालें तबीअत से पूजा की रीत .II20 II
किसी रूप का भी परस्तार हो -यकीं से इबादत में सरशार हो ,
परस्तार ऐसा भटकता नहीं -मैं करता हूँ ,मजबूत उसका यकीं.II 21 II
परस्तिश वो जौके यकीं से करे -जिसे देवता मान ले ,मान ले ,
वो पाता है जोरे -यकीं से मुराद -जो दरअस्ल होती है मेरी ही दाद .II 22 II
जो नादाँ नहीं ज्ञान में होशियार -परस्तिश से फल पायें नापायदार ,
जो देवों को पूजें ,वो देवों को पायें -परस्तार मेरे ,मेरे पास आयें .II 23 II
मैं चश्मे -जहां से निहां हूँ निहाँ -मगर मुझको नादाँ समझ लें अयां ,
वो मुझको नहीं जानते बे मिसाल -मेरी ज़ात आली है और बे ज़वाल .II 24 II
कि मैं योगमाया से मस्तूर हूँ -जहां कि नज़र से बहुत दूर हूँ ,
ये मूरख ज़माना नहीं जानता -कि मेरा जमम है ,न मुझको फना .II 25 II
जो गुजरी हुई हस्तियाँ हैं ,सभी -जो मौजूद हैं अब ,कि होंगीं कभी ,
सुन अर्जुन ,मैं उन सब से हूँ बाखबर -किसी को नहीं इल्म मेरा मगर .II 26 II
ये धोके की टट्टी है ,इज्दाद सब -ये है शौको नफ़रत कीऔलाद सब ,
इन्हीं से तो ,अर्जुन ये खिलकत तमाम -परागंदा रहती है यूं सुब्हो-शाम .II 27 II
वो इन्सां ,भले जिनके आमाल हैं -गुनाहों से जो फारिगुलबाल हैं ,
न इज्दाद से उनको धोका न गम -मेरी बंदगी में हैं साबित कदम .II 28 II
मुझी को समझ कर जो उम्मीदगाह -बुढापे से और मौत से लें पनाह .
उन्हें ब्रह्म की खूब पहचान है-फिर अध्यात्म और कर्म का ग्यान है .II 29 II
अधिभूत जोलोग मानें मुझे -अधिदेव ,अधियग्य जानें मुझे ,
वो यकदिल हैं ,चित्त उनमे हमवार हैं -दमे नज़अ भी मुझसे सरशार हैं .II 30 II

-सातवाँ अध्याय समाप्त -



इस्लाम के बन्दे सिमी लुटेरे !!

पिछले कुछ महीनों में सारे देश में ,विशेषकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अचानक लूट ,बैंक डकैती ,झपटमारी ,जैसे अपराधों की बाढ़ सी आ गयी है .इसके अलावा बलात्कार की घटनाएँ भी बढ़ गयीं है ,यह सब अपराध एक सोची समझी नीति के अनुसार योजनाबद्ध रूप से किये जा रहे हैं .क्योंकि जितने भी अपराधी पकडे गए हैं ,वह सब सिमी के लोग थे .जो जमाते इस्लामी की एक शाखा है .और कट्टर इस्लाम की अनुयायी है .
लूटमार करना ,डकैती ,बलात्कार इस्लाम का एक अंग है ,और मुहम्मद की सुन्नत है .सिमी के लोग वही काम कर रहे हैं ,जो मुहम्मद करता था .सिमी के लोगों को कानून का डर नहीं है ,इसीलिए भोपाल में एक व्यक्ति ने भरी अदालत में सिमी के उस आरोपी को गोली मार दी जिसने लूट की थी लूट मुहम्मद की सुन्नत ,और इस्लाम में धार्मिक कार्य है .देखिये -
कुछ जिहादी मानसिकता वाले ब्लोगर इस्लाम का प्रचार करने के लिए और मुहम्मद को एक शांन्ति का दूत साबित करना चाहते हैं .इसके लिए इन लोगों ने अपने ब्लोग बड़े लुभावने नाम रख दिए हैं .जैसे मधुर सन्देश.प्रेम वाणी ,प्रेम वार्ता ,स्वच्छ सन्देश ,और अंतिम अवतार आदि .इनका उद्देश्य लोगों को अपने जाल में फंसा कर मुसलमान बनाने का है .ताकि धर्म परिवर्तित लोगों के द्वारा जिहाद किया जा सके .और ऐसे नए मुसलमानों पर किसी का ध्यान नहीं पड़े .
हाँ इन से पूछते हैं कि,अगर वाकई मुहम्मद अल्लाह का रसूल था ,और वह दुनिया में प्रेम का सन्देश भेजना चाहता ,और इस्लाम सच्चा धर्म है ,तो मुहम्मद को भारी फ़ौज खडी करने ,और हथियारों की क्या जरुरत थी .अकेले बौद्ध गुरु पद्म संभव ने तिब्बत और चीन जाकर सबको बौद्ध बना दिया था .गुरु नानक ने केवल अपने दो शिष्यों बाला और मरदाना के साथ मक्का तक अपना सन्देश भेज दिया था .सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ने सारी लंका को बौद्ध बना दिया था.भगवान महावीर के 11 और ईसा मसीह के केवल 12 शिष्य थे .
वास्तव में मुहम्मद अरबी लुटेरों का सरदार था .या लुटरों का don था .वह सारी दुनिया की संपत्ति लूटकर मदीना ले जाना चाहता था .मुहम्मद एक कुख्यात ,और शातिर गैंग लीडर की तरह अपनी गैंग चलाता था .बाकायदा लूट मेंअपना हिस्सा लेता था .अपने गैंग के लोगों को वेतन देता था ,और लूट में पकड़ी गयी औरतों का सौदा करता था .मुहम्मद ने लूट को धार्मिक रूप देकर जायज बना दिया था .वह इसे जिहाद का नाम देता था .और लुट के माल को الانفال अनफालऔर فاء फै या مالِ غنيمت माले गनीमत का नाम देकर जायज कर देता था .देखिये -
1 -लूट का माल जायज है
"दुश्मनों का माल फै (जायज )है ."सूरा-अनफाल 8 :1
"अल्लाह ने रसूल को फै (लूट का माल )प्राप्त कराया ".सूरा -अल हश्र 59 :6
(यह लूट का माल बनू नजीर कबीले से लूटा गया माल था.)
"जाबिर बिन अब्दुल्लाह से रसूल ने कहा कि अल्लाह ने लूट का माल मेरे लिए हलाल कर दिया है ".बुखारी -जिल्द 4 किताब 53 हदीस 351
"अबू हारैरा ने कहा कि रसूल की बड़ी फ़ौज का खर्चा अधिक होने के कारण और जीतने के किये हथियारों और धन की जरूरत होती थी ,इसलिए अल्लाह ने रसूल के लिए मेल गनीमत (लूट का धन )हलाल कर दिया ".बुखारी -जिल्द 4 किताब 53 हदीस 353
2 -क्या क्या लूटते थे
"अबू हुरैरा ने कहा कि ,खैबर की लूट में हमें सोना चांदी अधिक नहीं मिले .इसलिए हमने गाय ,और ऊंट लूट लिए .और रसूल ने अल किरा की वादी से एक आदमी "मिद आम "को पकड लिया .और जब वह भागने लगा तो रसूल ने उसे तीर मार कर क़त्ल करदिया .फिर रसूल ने उसके कपडे बाँट लिए "
.बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 541
"रसूल करीब 6000 लोगों को गुलाम बनाया था .जिनने औरतें और बच्चे भी थे.इसके अलावा गाएं,ऊंट और बेशुमार भेड़ें भी थीं ."
इब्ने इशाक -पेज संख्या 592
3 -औरतें भी लूटते थे
"जब रसूल लूट के बाद मदीना वापस आये तो अपने साथ 44 औरतें लाये थे .जिनके पतियों को रसूल ने क़त्ल करवा दिया था. "
तबरी -किताब 7 हदीस 65
"अनस ने कहा कि ,खबर में सवेरा होने वाला ही था कि रसूल ने हमला कर दिया . कुछ लोग सो रहे थे.रसूल में मर्दों को क़त्ल करा दिया और औरतों को कैद कर लिया .उनमे एक औरत "साफिया "भी थी जो रसूल को भा गई ."बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 512
"सईदुल खुदरी ने कहा कि ,हमें लूट में काफी माल की उम्मीद थी .लेकिन औरतें ही हाथ में आयीं .हमने रसूल से पूछा कि इनका क्या करें .रसूल ने कहा इनसे सम्भोग जरुर करो .यह इसी लिए बनी हैं ."बुखारी -जिल्द 8 किताब 77 हदीस 600
4 -लूट का बटवारा
"तुमकू जो भी लुट का माल मिले उसका पांचवां भाग रसूल को दो ".सूरा -अनफाल 8 :41
"रसूल ने ऊमरसे कहा कि बद्र में लूट करने वाले जिहादियों को कमस कम एक हजार दिरहम देना .ऊमर ने कहा कि मैं उस से भी अधिक दूंगा "
बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 357
"अम्र बिन तागालीब्ने कहा कि रसूल उन जिहादियों को इनाम के रूप में अलग से हिसा देते थे ,जो सबसे जादा लूट करते थे .रसूल उनको ऊंट ,धन और गुलामों के औरतें भी देते थे."बुखारी-जिल्द 5 कित्ताब 59 हदीस 373
"इब्ने ऊमर ने कहा कि रसूल ने खैबर की लूट में घुड सवारों को दू गुना और किसी किसी को तीन हिस्सा दिया "
बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 357
"रसूल ने ऊमर खत्ताब से कहा कि लूट में जो मेल गनीमत मिले उसका एक हिस्सा खजाने में जमा करते रहो .ताकि युद्ध के कामआये . "
बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 360 और 361
5 -युद्ध बंदियों का क्या करें
"यदि रसूल के लिए यह संभव नहीं है ,कि वह कैदियों का खर्चा उठा सके तो ,तो कैदियों को कुचल दो ,क़त्ल कर दो ".सूरा -अनफाल 8 :67
"रसूल ने साद बिन जिद और उसके भाई अब्दुल माराहा अंसारी को बनू कुरैजा की औरतों को पकड़ने के लिए भेजा.ताकि उन औरतों को बेच कर हथियार खरीदे जा सकें" इब्ने इशक हदीस 693
"अबू सईदुलखुदरी ने कहा कि बनू कुरैजा के साथ समझौता हो जाने बाद वे लोग रसूल से मिलाने मदीना आ रहे थे .उननके साथ औरतें और बच्चे भी थे.जब बनू कुरैजा के लोग मस्जिद के पास जमा हो गए तो रसूल ने अपने लोगों से कहा कि जितने मर्द हैं उन्हें क़त्ल कर दो .और बच्चों के साथ औरतोंको गुलाम बना लो "
बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 447
6 -मुहम्मद का स्वार्थी कानून
"अबू हुरैरा ने कहा कि ,एक बार हुदैगल कबीले की औरतें आपस में लड़ गयीं और एक दूसरे पर पत्थर मारे .जिस से एक औरत के पेट का गर्भ गिर गया .रसूल ने दौनों औरतों से रसूल को एक मर्द और एक स्त्री गुलाम देने का हुक्म दिया "बुखारी -जिल्द 9 किताब 83 हदीस 41 और 42
बुखारी -जिल्द 9 किताब 83 हदीस 44 और 45
"अबू दाउद ने कहा कि,रसूल ने ऊमर बिन खत्ताब से कहा कि ,अगर कोई जिहादी लूट का माल छुपाये और रसूल का हिस्सा न दे तो उसको पीटोऔर उसकी सारी संपत्ति में आग लगा दो."सुन्नन अबू दाऊदकिताब 14 हदीस 2707 ,2709 और 2710
7 -मुहम्मद का गुलामों का धंधा
"एक सहबा ने रसूल से कहा कि मैं अपने गुलाम को बेचना चाहता हूँ ,रसूल ने उस गुलाम को 800 दिरहम में बिकवा दिया और आधी कीमत खुद अपने पास रख ली ".बुखारी -जिल्द 9 किताब 89 हदीस 296
"जाबिर बिन अब्दुलाह ने कहा कि एक अंसार के पास एक गुलाम था ,वह अपना कर्जा चुकाने के लिए गुलाम बेचना चाहता था.रासू के उसका गुलाम "नुआमिन बिन सदाम "को 800 दिरहम में बिकवा दिया .और आधी कीमत खुद रख की .और कहा कि यह गुलाम किब्त्ती (हब्शी )है ,इसलए आधी कीमत मैं लूंगा बुखारी
-जिल्द 8 किताब 79 हदीस 707
"जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि एक गुलाम अपने जालिम मालिक की शिकायत लेकर रसूल के पास गया .उसी समय अचानक गुलाम का मालिक भी आ गया. रसूल ने मालिक से कहा कि यह गुलाम फ़ौरन बेच दो .त्ताकी फिर शिकायत न कर सके .रसूल ने वह गुलाम बिकवा दिया .औरकीमत में अपना हिस्सा मालिक से ले लिया . "
मुस्लिम -किताब 10 हदीस 3901
8 -मुहम्मद पाखण्ड -लूट से दान
मुहम्मद खुद को बड़ा दानी साबित करने के लिए दिखावे के लिए लूट का हिस्सा खैरात कर देता था यह बात कुरआन में लिखी है -
"हे नबी तुम दुश्मनों से लूटे गए मॉल से कुछ हिस्सा सदका(खैरात )भी कर दिया करो ,जिस से लूट का माल पवित्र हो जाए .और तम्हारी आत्मा का भी विकास हो जाए ."सुरा -अत तौबा 9 103
इस विवरण को पड़ने के बाद अप खुद निर्णय करिए कि मुसलमान भारत में शान्ति ,प्रेम या मित्रता का सन्देश देने आये थे ,हां मुहम्मद की नक़ल (सुन्नत )का पालन करते हुए इस देश को लूटने आये थे .और उन लुटेरों की संतान यह ब्लोगर शांति और प्रेम का सन्देश कैसे दे सकते है ,यह सिर्फ गलियाँ ही दे सकते है .आप इनके आकर्षक नामों के चक्कर में नहीं आयें
http://www.wikiislam.net/wiki/Qur'an,_Hadith_and_Scholars:Muhammad_the_Plunderer



इस्लाम के विद्यार्थी या लूटारथी !,

आमतौर पर विद्यार्थियों को देश का कर्णधार माना जाता है ,और लोग अपने बच्चों को इसलिए पढ़ाते हैं ,कि वे पढ़कर अच्छीशिक्षा प्राप्त करें और अपने परिवार और समाज का भला कर सकें लेकिन विद्यार्थी शब्द का अर्थ तालिबान होता हो ,जो आतंकवादियों के लिए प्रयुक्त होता है .जब धीमे धीमे इस्लामी आतंकियों ने देश में अपने पी फैलाए तो भारत में उसका नाम सिमी कर दिया .इसका पूरा नाम इस प्रकार है Students Islamic Movements of India "जिसे सिमी भी कहते हैं .इसकी स्थापना 25 अप्रेल 1977 को अलीगढ़ में हुई थी .यह जमाते इस्लामी का एक अलग गिरोह है.वैसे तो इसका उद्देश्य मुसलमानों को पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से मुक्त कराना ,गैर मुसलमानों को मुसलमान बनाना ,और इस्लामी नियमों का पालन कराना है .इसे सिमी भी कहा जाता है .इसका एक गुप्त नाम "अल अरबी अल हिन्दी "भी है .उस समय इसका अध्यक्ष "मुहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दीक 'था .सिमी कि देश विरोधी गतिविधियों के कारण एन ड़ी ऐ सरकार ने सन 2002 में इस पर रोक लगा दी थी .लेकिन ,लालू ,मुलायम और दिग्विजय जैसे हिन्दू विरोधी नेताओं ने इस पाबंदी का घोर विरोध किया और ,इसकी तुलना आर एस एस से कर डाली .और अदालत को गुमराह कर दिया .आखिर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त 2008 को सिमी से पाबंदी हटा दी.
पाबंदी हटाते ही सिमी ने अपना जाल पूरे देश में फैला दिया.खासकर मध्य प्रदेश उसका गढ़ बन गया. सिमी के स्थानीय नेता को "अंसार "और कार्यकर्ता को "इखवान "कहा जाता है .इनकी संख्या 20000 से अधिक है .यही नहीं सिमी हर भाषा में अपने विचारों का प्रचार करने के लिए मासिक और साप्ताहिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित कराती है जैसे ,उर्दू -हिंदी में "तहरीक "गुजराती में "इकरा "बंगाली में "रूपान्तर "अंगरेजी में "Movement "तमिल में "Sedhimandal ",मलयालम में "Vivekam "यही नहीं मुस्लिम बच्चों में कट्टर विचारों को भरने के लिए "shahee Times "नामकी एक साप्ताहिक भी नीकलती है.
लेकिन इन सभी में संघ परिवार को अपना मुख्य शत्रु बताती है .
1 -सिमी के पोषक
जैसे जैसे यू .पी. के चुनाव निकट आने लगे है ,सिमी सक्रीय होने लगी है .और कांग्रेसी नेताओं ने हिन्दुओं के विरुद्ध जहर उगलना शुरू कर दिया है.इनका उद्देश्य सिमी के अपराधों को को कम दिखाना और उन पर पर्दा डालना है.इसमे दिग्विजय सबसे आगे है.वह दुबारा एम्. पी में कब्ज़ा करना चाहता है .इसी लिए 6 अक्टूबर 2010 को राहुल गंदी ने कहा कि देश को सिमी से अधिक भगवा से अधिक खतरा है .यही बात दिग्विजय ने २३अक्टूबर 2010 भोपाल में कही थी .वास्तव में कांग्रेस हिंदी भाषी प्रान्तों में सत्ता पाने के लिए सिमी का हौसला बढ़ा रही है .और सिमी उन प्रदेशों में अफरातफरी फैला कर लोगों में वहां कि सरकारों के प्रति आक्रोश पैदा करना चाहती है .जिसका चुनाव में कांग्रेस को लाभ मिलेगा .
2 सिमी का देशव्यापी जाल .
चूंकि दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश को अपनी रियासत समझता है,और सिमी कि मदद से फिर से एम्.पी. में सत्ता हथियाना चाहता है ,जैसा मैंने पाहिले भी लिख दिया था. दिग्विजय ने अपने कार्यकाल में सिमी के लोगों को विभिन्न पदों पर रखाव दिया था.आज वह सक्रीय होकर प्रदेश में लूट ,बैकों में डकैती ,अन्य अपराध कर रहे है.एम्.पी. के साथ यू.पी.. कि सीमा लगी है .इसलिए सिमी के लोग वहां भी अपराध करके छुप जाते है .उत्तर प्रदेश में बलात्कार कि .और मध्य प्रदेश में चोरी ,डकैती बाढ़ सी आ गयी है .निश्चय ही इसका चुनाव में कांग्रेस को लाभ होने वाला है.
3 -मध्य प्रदेश सिमी का गढ़ है
सिमी कि जड़ें दिग्विजय के समय मजबूत हो चकी थीं .आज सिमी के लोग जगह जगह बैंक लुट रहे हैं ,और काग्रेसी बी .जे. पी.की सरकार को निकामा साबित करने लगे रहते हैं.यही चाल कांग्रेसी यू.पी. में चल रहे हैं.11 जून 2011 को खंडवा में बैंक लुटा गया .फिर जिसमे सिमी के जो लोग पकडे गए वे इस प्रकार हैं ,शेख मुजीब अबू असलम (खंडवा )साजिद (उज्जैन )इकरार (उज्जैन )एजाजुद्दीन (भोपाल )इन सबी ने ऐस.टी.ऍफ़ के सामने कबूल किया कि वे सिमी के लोग हैं.
4 -मध्य प्रदेश को दहलाने कि योजना
जब सिमी के लोगों को कुछ राजनेताओं का अभयदान मिल गया तो ,सिमी लोग जगह जगह लूट करने लगे .दानिक जागरण के मुताबिक 15 मई से 12 जून 2011 भोपाल में कुल ३६ लूट के मामले दर्ज हुए .जिसमे मणपपुर सोने कि लूट भी शामिल है .इन लुटेरों के पास मंहगी गाड़ियां ,औए साजो सामान बरामद हुए थे.पकडे हुए सिमी के लोगों ने भोपाल ,इटारसी ,जावरा ,देवास ,खंडवा ,और मंदसौर कि लूट को काबुल किया था .लूट के मॉल के अलावा सिमी के लोगों को जकात से भी धन मिलता था .
5 -सिमी की कार्य प्रणाली
सिमी के पकडे हुए लोगों ने पुलिस को नाट्य कि वह अक्सर आपराधिक वृत्ति के मुसलमान लड़को को अपने साथ जोड़ लेते हैं.और फिर चार चार लड़कों कि एक एक टीम बना लेते हैं .भोपाल में कई ऐसी मस्जिदें हैं ,जिनमे तहखाने ,कमरे ,सुरंग और गुप्त दरवाजे है.वहां पर लूट कि योजना बनाई जाती है .लूट कामयाब होने के बाद टीम भंग करदी जाती है.जरूरत पड़ने पर किसी स्थानीय नेता कि मदद भी ली जाती है ..जो पुलिस से बचा सके.
6 -सिमी ने मध्य प्रदेश को ही लयों चुना
सब जानते है कि सिमी ने दिग्विजय सिंह के ज़माने से अपने पैर जमाये थे .ऐस .टी.ऍफ़ के सामने सिमी के चीफ अबू फैलल ने कहा था कि मध्य प्रदेश में ,गाड़ियों के फर्जी लाइसेंस बनवाना ,पासपोर्ट बनवाना ,राशन कार्ड बनवाना आदि काफी आसान है.भले वहां बी .जे.पी. की सरकार है .लेकिन महत्व पूर्ण पदों पर दिग्विजय के समय नियुक्त लोग ही हैं .जो कांग्रेसी मानसिकता के लोग हैं.फिर पुराने भोपाल में मुसलमानों कि संख्या अधिक है.जिनसे मदद मिल जाती है.सिमी के लोग खुले आम प्रदेश भर में घूमते रहते हैं .कुछ हिन्दू विरोधी नेताओं ने लोगों का ध्यान सिमी से हटा कर हिन्दुओं पर कर दिया है ,जिसका लाभ सिमी को मिल रहा है .वे बेख़ौफ़ और निडर हो गए हैं .
7 -सिमी की दीदादिलेरी
सिमी के लुटेरों का इतना दुस्साहस हो गया की वह अदालत का मखौल उड़ाने लगे .जब 17 जून 2011 को खंडवा के बैंक के लूट के आरोप में सिमी के लोगों को मजिस्ट्रेट श्री गंगा चरण दुबे के सामने आरोपियों को पेश कियागया तो ,वह लोग सलमान खान की तरह शर्त निकले ,और उल्टा चश्मा लगा कर गए .जब मजिस्ट्रेट ने एक से पुचा की तुम कौन हो ,तो उसने कहा मैं ऍफ़.टी.एस .का अफसर हूँ .दुसरे खुद को दबंग बताया और एक ने खुद को सलमान खान बता कर अदालत को मजाक उड़ाया. नाराज होकर मजिस्ट्रेट ने रिमांड की तारीख 26 जून तक बढ़ा दी .यदि काम किसी हिन्दू ने किया होता तो ,कांग्रेसी हंगामा कर देते. (दैनिक जागरण 17 जून 2011 )
इस बात से साबित होता है कि लूट करना इस्लामी तालीम का हिस्सा है.जो लोग यह दावा करते हैं कि लूट इस्लाम में गुनाह है ,वह झूट बोलते हैं .अगले लेख में बताया जायेगा कि लूट इस्लाम का धार्मिक कार्य है .और जायज है.आप अगला लेख जरूर पढ़िए.



दिग्गीराजा की शतरंजी चाल !

आज शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो दिग्विजय सिंह और उसके हिन्दू विरोधी बेतुके बयानों के बारे में नहीं जनता होगा .द्प्ग्विजय को लोग दिग्गी राजा के नाम से भी पुकारते हैं .दिग्गी राजनीति में घाघ ,कुटिल ,और दावपेचों में निपुण है .एक बार उसने कहा था कि मई आजतक चुनाव वोटों से नहीं ,बल्कि मेनेजमेंट से जीतता आया हूँ .अगर हम दिग्गी को राजनीति का कीड़ा कहें तो गलत नहीं होगा .आज दिग्गी कि नजर फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है .
कहावत है कि यदि किसी को रिवोल्वर का लाइसेंस चाहिए उसे तोप का लाइसेंस मांगना चाहिए .इसी लिए दिग्गी राहुल को प्रधानमंत्री बनवाना चाहता है .और राहुल उर्फ़ Raul Vinci गन्दी को हर तरह से योग्य साबित करने की जुगाड़ लगा रहा है .सही है इतने समय में राहुल ने वह सब गुण हासिल कर लिए हैं ,जो एक सच्चे कांग्रेसी में होना चाहिए .दिग्गी के अनुसार राहुल चरित्रवान है ,कुंवारा युवक है ,उसके पास कालाधन नहीं है .और हर तरह से बेदाग है .
हम भी यही कहते हैं ,लेकिन कुछ दुष्ट झूठे लोग राहुल के बारे में कुछ और बताते है -जैसे
1 -राहुल चरित्रवान है !
राहुल गन्दी का चरित्र इतनी उच्च कोटि का है ,कि जब अमेठी के एक कांग्रेसी बलदेव सिंह की लड़की "सुकन्या "राहुल के दर्शन करने वहां के रेस्ट हाउस में गयी ,तो राहुल और उसके विदेशी दोस्तों ने उसकी पूजा की थी .लोग सामूहिक बलात्कार की झूठी बातें करते है .तब से सुकन्या और उसकी माँ स्मिता देवी जमीन में समा गए .कि उन्होंने राहुल जैसे महान व्यक्ति पर बलात्कार का आरोप लगाया था .जिसने भी यह घटना इस साईट में दी है वह जरुर आर एस एस का आदमी होगा .आओ इस साईट को खोल कर देखिये -
http://www.scribd.com/doc/45330117/rahul
2 -राहुल भ्रष्टाचार से मुक्त है !
इसी तरह यह बात भी झूठ और निराधार है ,कि राहुल के पास काला धन है उसके पास तो खाने को भी रुपये नहीं है ,बेचारा इतना भोला है कि ,अपनी माँ के बाप का और नानी का नाम भी नहीं जनता ,ऐसा व्यक्ति ही देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए राहुल कि .जो भी बेनामी संपत्ति इस साईट में बताई गयी हैं सब संघ वालों का षडयंत्र है .अप इस लिंक को पढ़कर संघ को गालियाँ जरुर दीजिये !
http://www.haindavakeralam.com/HKPage.aspx?PageID=12594
3 -युवक है ,कुंवारा है
कुछ लोगों कि आदत होती है कि,किसी सीधे साधे युवक पर अनर्गल आक्षेप लगाते रहते हैं .जो लोग कहते है कि राहुल ने वेरोनिका नामकी स्पेनिश लड़की से गुप्त रूप से शादी कर ली है .और हनी मून भी केरल में मन लिया है ,वे लोग जरुर बाबा रामदेव के चमचे हैं .या बी जे पी के लोग है .यह साईट किसी हिन्दू आतंकी ने बनाई है .लोग अंधे जो यह नहीं जानते कि राहुल ब्रह्मचारी है .अब इस साईट के बारे में हम क्या करें ?
http://planet6oclock.com/planet6oclock/content/rahul-gandhis-spanish-girlfriend-veronica-images-video
4 -राहुल के पास कालाधन नहीं है
हम चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं ,कि राहुल के पास एक रूपया भी बेनामी नहीं है .अप तलाश कर के देख लो सिर्फ एक चवन्नी होगी .को गांधी बाबा ने अपने लिए कांग्रेस कि सदस्यता के लिए रख ली थी .शायद वही राहुल के पास होगी .अब इन कलमुहे लोगों को क्या कहे जो कहते है कि ,राहुल के पास अरबों की सम्पति है .जिसे निकालने के लिए कई रामदेव और कई अन्ना हजारे लग जायेंगे .फिर भी अप इस साईट को देखिये ताकि बाबा का मुंह बंद हो सके .आर एस एस की यह खुराफात लगती !
http://karsewak.blogspot.com/2007/01/rahul-gandu-his-gf-making-money-in.html
5-राहुल बेदाग है
लगता है कि,अमेरिका की पुलिस दारु के नशे में रहती है ,जभी तो उसने राहुल गाँधी को अवैध रूप से डालर लेजाते हुए गिरफ्तार कर लिया .बिचारी मम्मी सोनिया को अटल बिहारी जैसे संघी से राहुल को छुड़वाने के लिए पैर पड़ना पड़ा .ऍफ़ बी आई को पता नहीं था कि आगे यही स्मगलर भारत का प्रधानमंत्री बनेगा .और अमेरिका से हाथ फैला फैला कर कर्जा मांगता रहेगा .कि अमेरिका कंगाल हो जाएगी .अगर ऐसा भारत में हुआ होता तो कांग्रेसी उन पुलिस वालों को संघ के लोग बताकर तिहाड़ में ठूंस देते .राहुल तो पैदायशी बेदाग है .जिस ने यह साईट बनाई है ,उसे अपने दिमाग का इलाज करवा लेना चाहिए .हम तो फिर भी राहुल को प्रधानमंत्री बनवा कर रहेंगे ,चाहे देश जाये गड्ढे में !
http://planet6oclock.com/planet6oclock/content/rahul-gandhi-fbi-news-was-rahul-gandhi-arrested-or-detained-usa-2011
बेचारे दिग्गी क्या करें ?उनकी नजर में राहुल द्वारा टुकड़ों पर है .शायद फिर से राहुल खैरात में मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलवा रहे .असल में डौगी विजय अपनी नस्ल का नाम कर रहे है ,वह है पूंछ हिलाना ,और दूसरों पर भौंकते रहना .वह अपना कम करे ,हम अपना काम करंगे !!
दिग्गी राजा के बारे में और जानकारी अगली पोस्ट में देंगे ,जरूर पढ़िए !



देशभक्तों के साथ कांग्रेस का व्यवहार !

बाबा रामदेव एक ठग है ,अन्ना हजारे धोखेबाज है .यह लोग आर एस एस के लोग है .और देश में अशांति फैलाना चाहते हैं .जब दिग्विजय सिंह ने यह कहा तो सब कांग्रेसी सुर में सुर मिलाने लगे.इन सबका उदेश्य देशभक्तों को अपमानित करना है .इस से हमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए .या तो कांग्रेस की पुराणी परंपरा है ,जो नेहरू के ज़माने से चली आ रही है.नेहरू ने भी भगत सिंह और आजाद जैसे देशभक्तों को आतंकवादी कहा था .आजाद के साथी और क्रांतिकारी यशपाल ने अपनी पुस्तक "सिंहावलोकन 'में यह बात लिखी है .यशपाल का जन्म 1903 में हुआ था और सन 1976 में देहांत हुआ था यह पुस्तक तीन खण्डों में प्रकाशित हुई है .इसके मुख्य अंशों को 1969 में हिंद पॉकेट बुक ने "वे तूफानी दिन "के नाम से छापा था .
यशपाल आजाद के दल 'हिन्दुतान सोसलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी 'के सदस्य थे .और गिरफ्तार भी हो चुके थे .यशपाल को साहित्य एकादिमी पुरस्कार भी मिल चूका है .यहांपर उसी पुस्तक सेबताया जा रहा है कि नेहरू की देशभक्तों के प्रति क्या राय थी .और चंद्रशेखर आजाद का सुराग देने वाला कौन हो सकता था .सब यशपाल के शब्दों में दिया गया है.
यह सन 1931 फरवरी की बात है ,जब आजाद को पता चला कि कांग्रेस सरकार के साथ गोलमेज कांफ्रेंस में कोई समझौता कर रही है तो .आजाद अपनी शंकाओं के सम्बन्ध में नेहरू से मिलने आनंद भवन गए ,उस समय हम लोग इलाहबाद में अल्फ्रेड पार्क के पास कटरे में किराये कमरे में ठहरे थे .उस समय मोतीलाल गुजर चुके था .एक बार आजाद उन से भी मिल चुके थे .आजाद ने मोतीलाल से काकोरी केस के अभियुक्तों कि कानूनी मदद करने की गुजारिश की थी .लेकिन मोतीलाल ने क्रांतिकारियों को आतंकी बताकर उनकी मदद को नैतिकता के विरुद्ध बता दिया और मदद से इंकार कर दिया .
लेकिन जब आजाद नेहरू के पास गए तो बोले .सुना है कि कांग्रेस और सरकार में कोई समझौता हो रहा है ,मैं यह जानना चाहता हूँ कि ,जब यह समझौता हो जायेगा तो ,हमारे साथियों के साथ कैसा वर्ताव किया जायेगा ?क्या तब भी हमारा पीछा किया जायेगा ,?क्या तब भी हमारे ऊपर इनाम घोषित किये जायेंगे ?और हमारे सामने फंसी का फंदा लटकता रहेगा ?
फिर नेहरू ने आजाद को समझाया ,तुम लोगों का आतंकवादी तरीका बेकार है. इसमे कोई लाभ नहीं है .आज अधिकांश कांग्रेसी अहिंसावादी बन कर सरकार के भक्त बन गए हैं ( वे तूफानी दिन .पेज 155 -156 )
नेहरू ने यह भी कहा कि मुझे लगता है ,तुम लोगों की सोच फासिस्ट हो गयी है .यही बात नेहरू ने अपनी जीवनी "मेरी कहानी "में लिखी है देखिये .( मेरी कहानी -आठवां संसकरण पेज 269 )
जब आजाद ने नेहरू के साथ हुई इस मुलाकात की घटना कटरे में हमें बताई ,तो उसके होंठ खिन्नता से औए गुसे से फड़क रहे थे .आजाद ने कहा .
"साला नेहरू हमें फासिस्ट कहता है " ( वे तूफानी दिन .पेज 157 )
आजाद सिर्फ हिन्दी जानते थे .उन्होंने नेहरू से कहा कि अप गाँधी जी से सरकार के साथ होने वाले समझौते में लाहौर केस के अभियुक्त भगत सिंह .राजगुरु और सुखदेव की रिहाई की शर्त जरुर रखवाएं .यह मेरी ,नहीं बल्कि जनता की मांग है .लेकिन्नेहरू ने साफ कह दिया कि मई गांधी को किसी भी दशा में ऐसी शर्त नहीं एअखाने दूंगा .(वे तूफानी दिन .पेज 158 )
आजाद को बड़ा बुरा लगा कि नेहरु उसे फासिस्ट कह रहा था ,आजाद ने कहा हम लोग सरकार के दमन और अत्याचार का मुकाबला कर रहे हैं और हमारा उद्देश्य देश को मुक्त कराना है.हम आतंकवादी नहीं ,हम समाजवादी हैं .
फिर आजाद ने नेहरू से कुछ आर्थिक मदद करने को कहा .नेहरू ने कहा कि पिता कि मौत के बाद मैं खुद तंगी में हूँ .अगर तुम रूस जाना चाहो तो मैं कुछ कर सकता हूँ .तुम रूस में समाजवाद का प्रशिक्षण ले सकते हो .तब तक माहौल भी शांत हो जायेगा.आजाद राजी हो गए .और तीन लोगों के लिए तीन हजार रुपयों की मांग की .आजाद,यशपाल और सुरेन्द्र नाथ पाण्डे. लेकिन नेहरू ने आजाद को एक हजार रूपया दे कर कहा ,तुम अपना ठिकाना बता दो .परसों शिव मूर्ति सिंह बाकी रूपया पहुंचा देगा .( वे तूफानी दिन .पेज 159 )
नेहरू से यह बात 25 फरवरी 1931 को हुई थी. हम लोग रूस जाने के लिए गर्म कपड़ों का इंतजाम करने लगे ,और बाकी दो हजार की राह .देखने लगे
यह 27 फरवरी 1931 की बात हम लोग अपने घर में थे .तभी आजाद ने कहा मुझे अल्फ्रेड पार्क में किसी से जरुरी काम के लिए जाना है .तुम लोग चौक से कुछ स्वेटर खरीद लाओ .हम दो लोग साईकिल से चौक की तरफ निकले ही थे की लोग चिल्लाने लगे पार्क में गोली चल रही है .हम सन्न रह गए .और फ़ौरन समझ गए की दूसरी तरफ कौन हो सकता है ,सिवाय आजाद के .हमारे और नेहरू के आलावा किसी को पता नहीं था की आजाद कहाँ हैं .
आजाद की पहली गोली नॉट वाबर को लगी ,वह ढेर हो गया .फिर जब आजाद के पास एक ही गोली बची तो उसने अपनी कनपटी पर खुद गोली चला दी .और शहीद हो गया .यह सारी घटना उस समय के उतर प्रदेश के इन्स्पेक्टर जनरल होर्लिस ने एक अंगरेजी पत्रिका Man only में लिखी थी .जो बाद में अक्तूबर 1956 में सार्वजनिक की गई थी.( वे तूफानी दिन ,पेज 161 )
अज की कांग्रेस भी नेहरू की तरह देशभक्तों को फासिस्ट कह रही है.
जहांतक दिग्विजय सिंह की बात है हमने 16 मार्च 2009 को एक लेख पोस्ट किया था .उसकी लिंक दी जा रही है.
http://bhandafodu.blogspot.com/2009/03/blog-post_16.html



ओसामा के हिमायती !

जिस ओसामा बिन लादेन को दुनिया भर के गुप्तचर इधर उधर दस साल से खोज रहे थे ,वह पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में आई एस आई के संरक्षण में आराम से रह रहा था .और आई एस आई की मदद से दुनियां भर में आतंकी गतिविधियाँ चला रहा था .आखिर अमेरिका के कमांडों ने पाकिस्तान में घुस कर ओसामा का कम तमाम कर दिया .अमेरिका का यह काम सचमुच साहसिक कार्य मन जायेगा .इसी तरह इस्राएल की सेना ने युगांडा में घुस कर अपने लोगों को बचा लिया था .उस समय युगांडा में ईदी अमीन की तानाशाही हुकूमत थी .काश हमारी नामर्द काग्रेस सरकार इस से कुछ सबक सीखती.
जैसे ही ओसामा की मौत की खबर फैली मुसलमानों में मातम की लहर दौड़ गयी .
ओसामा की मौत पर मुसलमानों का छाती पीटना स्वाभाविक है ,क्योंकि वे ओसामा को अपना आदर्श मानते है .मुसलमानों ने ओसामा की मगफिरत के लिए जगह जगह दुआएं कीं और गायबाना नमाजें भी पढ़ीं .मुसलमान ओसामा का इतना आदर इस लिए करते हैं ,क्योंकि ओसामा और मुहम्मद के चरित्र और विचारों में कई समानताएं है -जैसे-
1 -मुहमद और ओसामा दौनों आतंक से दुनिया में इस्लाम फैलाना चाहते थे .
2 -दोनो को निर्दोष लोगों की हत्या करने में आनंद आता था .दौनों मानवता के शत्रु थे .
3 -मुहमद और ओसामा दौनों सेक्स के शौक़ीन थे .बच्चो से सम्भोग करना उनकी आदत थी .ओसामा के घर से child pornography के विडियो मिले हैं .ओसामा की एक औरत नजवा ने अपनी डायरी में लिखा है कि जिहाद के बाद ओसामा मुझे कमरे में लेजाता था .और तीन तीन दिनों तक अय्याशी करता रहता था .(दैनिक जागरण दि.16 जून 2011
4 -दौनों कि मौत में उनकी औरतों हाथ था .मुहम्मद कि हत्या उसकी पत्नी आयशा और हफ्शा के कि थी .और ओसामा का सुराग उसी कि औरत ने दिया था .
ओसामा कि मौत पर मुसलमानों का दुखी होना समझ में अत है ,लेकिन कुख्यात हिन्दू विरोधी दिग्विजय सिंह को इतना दुःख हुआ जितना उसे अपने बाप कि मौत पर नहीं हुआ था .दिग्विजय के दिल में यह मलाल था कि हिन्दुओं को गलियां देने का कोई मौका नहीं मिला .फिर भी उसने अपनी भड़ास निकालने के लिए ओसामा को "ओसामा जी "कह कर संबोधित किया .
शायद दिग्विजय सिंह को यह अफसोस होगा कि ओसामा जी मध्य प्रदेश में क्यों नहीं पधारे . अगर ओसमाजी M. P में आजाते तो उनको पूरी सुरक्षा प्रदान की जाती .और जैसे दिग्विजय सिंह ने M.P.में हजारों सिम्मी के लोगों को छुपा रखा है , ओसामा जी को छुपा लिया जाता .
अगर ओसामा भारत के किसी हिस्से में मारा गया होता तो ,सोनिया और दिग्विजय मिलकर उस महान व्यक्ति की समाधी राजघाट में बनवा देते.आखिर ओसामा भी तो वाही काम कर रहा था जो कांगरेस कर रही है .
इसी लिए जब दब्बू प्रधान मंत्री मन मोहन ने काबुल में यह घोषणा की थी कि,भारत अमेरिका कि तरह आतंकवादिओं को कभी उनके घर में घुस कर नहीं मारेगा.मनमोहन ने इस तरह आतंकियों को अभयदान दे दिया .
इसके बाद भारत का शायद ही कोई स्थान सुरक्षित बचा रहेगा .यदि कोई आतंकी घटना हो भी जाएगी तो दिग्विजय सिंह हिन्दुओं को दोषी साबित कर देगा .
आज सोनिया की सरकार डेविड हेडली को अमेरिका से भारत लाना चाहती है .और यह बहाना कर रही है कि भारत में उस पर मुक़दमा चलाया जायेगा .लेकिन सोनिया हेडली को तिहाड़ में सुरक्षा देना चाहती है .और कसब कि तरह हेडली पर भी करोड़ों रूपया बर्बाद करना चाहती है .
अभी जो कम्युनिस्ट विचार के लोग अमरनाथ यात्रा का मजाक कर रहे हैं ,उनको समझाना चाहिए कि केवल अमरनाथ और वैष्णो देवी के कारन ही कश्मीर भारत से जुड़ा हुआ है ,वर्ना सारा कश्मीर पाकिस्तान बन जायेगा .
हमें काग्रेस की चालों से सावधान रहना चाहिए .



गंगाजमुनी तहजीब ?

भारत सदा से एक शांतिप्रिय देश रहा है .यहाँ जितने भी धर्म और सम्प्रदाय पैदा हुए ,उन सबके मानने वाले मिलजुल कर रहते ए हैं ,और सब एक दूसरे के विचारों का आदर करते आये है .क्योंकि भारत के सभी धर्मों में ,प्रेम ,करुणा,मैत्री ,परस्पर सद्भावना और अहिंसा को धर्म का प्रमुख अंग कहा गया है .भारत की इसी विशेषता को भारतीय संस्कृति कहा जाता है .इसको कोई दूसरा नाम देने की जरुरत नहीं है .क्योंकि यह संस्कृति ही भारत की पहिचान है .
लेकिन जैसे ही भारत में मुस्लिम हमलावर आये तो उन्होंने लूट के साथ भारत की संस्कृति को नष्ट करने की और हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के हर तरह के प्रयत्न किये ,जो आज भी चल रहे हैं .मुसलमानों ने कभी हिन्दुओं को अपने बराबर नहीं समझा और उनको सदा काफ़िर कहकर अपमानित किया .लेकिन आज यही मुसलमान सेकुलरों के साथ मिलकर फिर हिन्दुओं को गुमराह कर रहे हैं .इन मक्कारों ने मुसलमानों के गुनाहों पर पर्दा डालने ,और वोटों की खातिर "गंगाजमुनी तहजीब "के नाम से एक ऎसी कल्पित संस्कृति को जन्म दे दिया है .जिसका कभी कोई वजूद ही नहीं था .लेकिन भोले भाले हिन्दू इसे हिन्दू -मुस्लिम एकता का प्रतिक मान रहे हैं .कोई नहीं जनता कि यह गंगाजमुनी तहजीब कहाँ से आयी ,देश में किस क्षेत्र में पायी जाती है ,या इसका क्या स्वरूप है .मुसलमान इसे मुगलकाल की पैदायश कहते हैं .लेकिन मुगलों का हिन्दुओं के प्रति कैसा व्यावहार था ,इसके नमूने देखिये -
1 -मुगलों का हिन्दुओं के प्रति व्यवहार
बाबर से लेकर औरंगजेब तक सभी मुग़ल शासक हिन्दू विरोधी थे .और हिन्दुओं के प्रति उग्र ,असहिष्णु थे .सभी ने हिन्दुओं पर अत्याचार किये .
शिवाजी के कवि भूषण ने अपने ग्रन्थ "शिवा बावनी "में लिखा है -
"देवल गिराउते फिराउते निशान अली ,राम नाम छूटो बात रही रब की .
बब्बर अकब्बर हुमायूं हद्द बांध गए ,एक नाहिं मानों कुरआन वेद ढब की
चारों बरन धरम छोड़ कलमा नमाज पढ़ें ,शिवाजी न होते तो सुनत होती सब की ."कवि भूषण -शिवा बावनी.
2 -महाराजा छत्रसाल के विचार
बुंदलखंड में छत्रसाल ने मुगलों को कई बार हराया था .शिवाजी उनको अपना पुत्र मानते थे .छत्रसाल ने मुसलमानों के बारे में जो कहा है वह ,उनके एक कवि "गोरेलाल "ने सन 1707 में "छत्र प्रकाश "लिखा है -
हिन्दू तुरक धरम दो गाए ,तिन सें बैर सदा चलि आये
जानों सुर असुरन को जैसो ,केहरि करिन बखान्यो तैसो
जब तें साह तखत पर बैठे ,तब तें हिन्दुन सों उर ऐठे
मंहगे कर तीरथन लगवाये ,देव दिवाले निदर ढहाए
घर घर बाँध जन्जिया लीनी ,अपने मन भये सो कीनी " कवि गोरेलाल -छत्र प्रकाश .प्रष्ट 78
3 -शिवाजी का छत्रसाल को उपदेश
जब शिवाजी को लगा की मुग़ल हिन्दू धर्म और संस्कृति को मिटाने पर उतारू हैं ,और जब छत्रसाल शिवाजी से मिलने गये थे तो शिवाजी ने यह उपदेश दिया था .और छत्रसाल को मुसलमानों से सावधान रहने को कहा था -
"तुरकन की परतीत न मानौ ,तुम केहरि तरकन गज जानौ
दौरि दौरि तुरकन को मारौ,दबट दिली के दल संहारौ
तुरकन में न विवेक बिलोक्यो ,जहाँ पाओ तुम उनको रोक्यो ." छत्र प्रकाश -प्रथम अध्याय
(भारत का इतिहास -डा ० ईश्वरी प्रसाद .पेज 542 )
4 -मुसलमान कैसी एकता चाहते हैं
मुसममान सभी संस्कृतियों को नष्ट करके सिर्फ इस्लाम को बाकी रहना चाहते हैं .औरवह इसी को एकता का आधार मानते हैं .इकबाल ने यही विचार इस तरह प्रकट किये है -
"हम मुवाहिद हैं ,हमारा कैस है तर्के रसूम ,
मिल्लतें जब मिट गयीं अज जाए ईमां हो गयीं "
(अर्थात -हम ऐसी एकता चाहते हैं ,जब सारी संस्कृतियाँ मिट जाएँ ,और इस्लाम का हिस्सा बन जाएँ )
इकबाल चाहता था कि तलवार के जोर पर हरेक संस्कृति को मिटा दिया जाये ,और इस्लाम को फैलाया जाये .वह लिखता है -
"नक्श तौहीद का हर दिल में बिठाया हमने ,जेरे खंजर भी यह पैगाम सुनाया हमने ,
तोड़े मखलूक खुदावंदों के पैकर हमने ,काट कर रखदिये कुफ्फार के लश्कर हमने "
हम अब कैसे मानें कि ,मुसलमान शांति और समन्वय के पक्षधर हैं.
5 -मुसलमान युद्ध चाहते हैं
मुसलमान इकबाल को अपना आदर्श मानते हैं .लेकिन इकबाल हमेशा मुसलमानों शांति कि जगह लड़ाई करने पर उकसाता था .उसने कभी आपसी भाई चारे की बात नहीं कही .इकबाल कहता है -
"तुझ को मालूम है ,लेता था कोई नाम तेरा ,कुव्वते बाजुए मुस्लिम ने किया नाम तेरा ,
फिर तेरे नाम से तलवार उठाई किसने ,बात जो बिगड़ी हुई थी ,बनाई किसने " शिकवा
(अर्थात -दुनिया में कोई अल्लाह को नहीं जनता था ,लेकिन मुसलमानों ने अपने हाथों की ताकत से ,और तलवार के जोर से अल्लाह को प्रसिद्द कर दिया .और बिगड़ी हुई बात को बना दिया )
6 -देशभक्त और ब्राहमण होना कुफ्र है
इकबाल देश को मूर्ति (बुत )देशभक्तों की बिरहमन (ब्राहमण ) कहता है ,और मुसलमानों से इनसे दूर रहने को कहता है -
"मिस्ले अंजुम उफ़के कौम पै रोशन भी हुए ,
बुते हिन्दी की मुहब्बत में बिरहमन भी हुए "
(अर्थात -इकबाल मुसलमानों से कहता है कि तुम्हारा स्थान तो अकास के तारों कि तरह ऊँचा है ,लेकिन तुम हिंद के बुत (देश )के प्रेम में इतने गिर गए कि एक ब्राहमण कि तरह उसकी पूजा करने लगे )
- 7-इस्लाम का बेडा गंगा में डूबा
इकबाल आरोप लगता है कि जैसे ही इस्लाम का संपर्क गंगा से हुआ ,इसलाम की प्रगति रुक गयी ,यानी हिन्दुओं का साथ लेने सी इस्लाम डूब जायेगा .-
वो बहरे हिजाजी का बेबाक बेडा ,न असवद में झिझका न कुलजम में अटका
किये पय सपर जिसने सातों समंदर ,वो डूबा दिहाने में गंगा के आकर "
8 -सर्व धर्म समभाव पागलपन है
अकबर इलाहाबादी ने सभी धर्मों का आदर करने को व्यंग्य से पागलपन तक कह दिया है -
"आता है वज्द मुझको हर दीन की अदा पर
मस्जिद में नाचता हूँ नाकूस की सिदा पर "
(अर्थात -मुझे हर धर्म की अदा पर मस्ती चढ़ जाती है ,जब भी मंदिर में शंख बजता है ,मैं मस्जिद में नाचने लगता हूँ )
9 -मुसलमानों का उद्देश्य
"चीनो अरब हमारा ,हिन्दोस्तां हमारा ,मुस्लिम हैं हमवतन हैं सारा जहां हमारा
तेगों के साए में हम पल कर जवां हुए हैं ,खंजर हिलाल का है कौमी निशां हमारा " इकबाल -तराना
10 -पाकिस्तान क्यों बना
मुसलमान हिन्दुओं से नफ़रत रखते थे ,और उनके साथ नहीं रहना चाहते थे .मुहमद अली जिन्ना ने अपने एक भाषण में कहा था कि-
"कुफ्र और इस्लाम के बीच में कोई समझौता नहीं हो सकता .उसी तरह हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच दोस्ती और भाईचारे की कोई गुंजायश नहीं है .क्योंकि हमारी और हिन्दुओं की जुबाने अलग ,रिवायत अलग ,खानपान अलग ,अकायद अलग ,तहजीब अलग ,मजहब अलग हैं यहाँ तक हमारा खुदा भी अलग है .इसलिए हम मुसलमानों के लिए अलग मुल्क चाहते हैं " नवाए आजादी -पेज 207
11 -सर्वधर्म समभाव कुरान के विरुद्ध है
कुरआन धार्मिक एकता और गंगाजमुनी विचारों के विरुद्ध है .और मुस्लिमों और गैर मुस्लिमों के मेलजोल के खिलाफ है .कुरान कहता है -
"(हे मुहम्मद ) कहदो हे काफ़िरो मैं उसकी इबादत नहीं करता ,तुम जिसकी इबादत करते हो .और न तुम उसकी इबादत करते हो ,जिसकी मैं इबादत करता हूँ .और न मैं उसकी इबादत करूँगा ,जिसकी इबादत तुम करते आये हो .और न तुम उसकी इबादत करोगे ,जिसकी इबादत मैं करता हूँ .तुम्हारे लिए तुम्हारा धर्म ,हमारे लिए हमारा धर्म " सूरा अल काफिरून 109 :1 से 6 तक
12 -तहजीब या तखरीब
एक मुस्लिम पत्रकार अलीम बज्मी ने गंगाजमुनी तहजीब की मिसाल देते हुए भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह के ज़माने की होली का वर्णन इस प्रकार किया है .और इसे एक आदर्श तहजीब और हिन्दू मुस्लिम एकता का उदहारण बताया है ,अलीम लिखता है कि -
"होली के समय मस्जिदों के आसपास की सभी दुकाने बंद करा दी जाती थीं .कोई हिन्दू किसी मुसलमान को रंग लगाने कि हिमत नहीं कर सकता था .इसे बदतमीजी माना जाता था .नमाजियों को देखकर हुरियारों को रास्ता बदलना पड़ता था .नमाज के पाहिले ही रंग का खेल बंद करा दिया जाता था .अगर हिन्दू ख़ुशी के मौके पर किसी मुसलमान को मिठाई देते थे ,तो उसे कपडे में लपेट कर दिया जाता था .मुसलमान मिठाई को हाथों से नहीं छूते थे"दैनिक भास्कर दिनांक 18 मार्च 2011
क्या यही हिन्दू मुस्लिम एकता कि मिसाल है .इसे तहजीब (संस्कृति )नहीं तखरीब (تخريبबर्बादी )कहना उचित होगा .
मुसलमान मक्कारी से गंगा को हिन्दू का और जमुना को मुसलमानों का प्रतीक बताकर लोगों को धोखा दे रहे है .यह कहते हैं जैसे गंगा और जमुना मिलकर एक हो जाते हैं उसी तरह हिन्दू मुस्लिमएक होकर गंगाजमुनी तहजीब का निर्माण करते हैं .लेकिन जो लोग गंगाजमुनी तहजीब को हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक समझते हैं ,वह इतनी सी बात भी नहीं जानते कि गंगा और जमुना दोनो ही हिन्दुओं की पवित्र नदियाँ हैं .गंगाजमुनी तहजीब में मुसलमान कहाँ शामिल हैं .मुसलमान मक्का के जलकुंड के पानी "زمزمजमजम "को पवित्र मानते हैं .यदि वह सचमुच हिन्दू मुस्लिम एकता दिखाना चाहते हैं तो ,उन्हें चाहिए कि "गंगाजमुनी "शब्द की जगह "गंगा जमजमी"शब्द का प्रयोग करें .तभी हम मानेंगे कि मुसलमान सचमुच हिन्दू मुस्लिम एकता चाहते हैं
वास्तव में हमें "गंगाजमुनी तहजीब "नहीं "गंगा जमुना तखरीब "कहना चाहिए !



बाइबिल कुरआन एक सामान !

ईश्वर और अल्लाह एक सामान हैं , इसका कोई प्रमाण नहीं है .लेकिन बाइबिल और कुरान की शिक्षा की तुलना करने पर यह बात पूरी तरह से सिद्ध हो जाती है कि बाइबिल का खुदा (God ) और कुरान का अल्लाह एक ही है .
मुस्लिम विद्वान् कहते हैं कि कुरान अल्लाह की किताब है ,जो अल्लाह ने अपने रसूल मुहम्मद के ऊपर नाजिल कि थी .लेकिन यदि हम कुरान और बाइबिल की शिक्षा और कहानियों को ध्यान से पढ़ें तो उनमे काफी समानता मिलती है .इस बात को सभी मानते हैं कि बाइबिल कुरान से काफी पुरानी है .बाइबिल के दो भाग हैं , पुराना नियम और नया नियम .पुराने नियम को यहूदी "तनख תנך" कहते हैं ,इसमे 39 किताबें शामिल हैं .पुराना नियम करीब 535 ई .पू में सकलित हो चूका था .और नए नियम में 27 किताबें शामिल हैं ,जो सन 66 संकलित हो चुकी थी .और यूरोप के अलावा अरब में भी प्रचलित थीं .इस्लाम के अनुसार पुराने नियम में तौरेत और जबूर आती हैं ,और नए नियम को इंजील कहा जाता है .अरब के लोग इन किताबों से अच्छी तरह परिचित थे .कुरान की पहली आयत सन 610 में उतरी थी ,और मुहम्मद की मौत सन 632 तक कुरान की आयतें उतरती ( बनती )रहीं .जिनका सन 644 में खलीफा उस्मान बिन अफ्फान ने संकलन किया था .
आज की कुरान में कोई मौलिकता (Originality ) नहीं दिखाई देती है ,सब बाइबिल से ली गयी हैं .यद्यपि किसी भाषा के टेक्स्ट को दूसरी भाषा में ज्यों का त्यों अनुवाद करना असंभव होता है ,लेकिन उनके भावार्थ में समानता दिखाई मिल जाती है . यही बात कुरान और बाइबिल के बारे में लागु होती है .दौनों के विचारों में असाधारण समानता से सिद्ध होता है ,कि मुहम्मद ने कुरान की रचना बाइबिल से प्रेरणा लेकर की थी .सिफ कुछ थोड़ी सी बातें ऐसी थी ,जो मुहम्मद ,और अरब लोगों से सम्बंधित है .यहाँ पर कुछ उदहारण दिए जा रहे हैं ,जिन से पता चलता है कुरान ऊपर से नहीं उतरी ,बल्कि नीचे ही बैठकर बाइबिल से मसाला लेकर बनायी होगी .और हमें कहना ही पड़ेगा "God और अल्लाह एक ही काम " क्यों ,आप ही .देखिये
1-औरतों का हिस्सा पुरुषों से आधा होगा
कुरान -"एक पुरुष का हिस्सा दो औरतों के हिस्से के बराबर होगा "सूरा -निसा 4 :11
बाइबिल -यदि उनकी आयु 20 साल से अधि हो तो ,पुरुषों के लिए 20 शेकेल और औरतों के लिए 10 शेकेल ठहराए जाएँ " लैव्य व्यवस्था .27 :5
2-माहवारी के समय औरतों से दूर रहो
कुरान -"वह औरतों की माहवारी के बारे में पूछते हैं ,तो कह दो यह तो नापाकी है ,तो औरतों की माहवारी के समय उनसे अलग रहो "
सूरा -बकरा 2 :222
बाइबिल -"जब कोई स्त्री ऋतुमती हो ,तो वह सात दिनों तक अशुद्ध मानी जाये .और जो कोई भी उसे छुए वह भी अशुद्ध माना जाये "
लैव्य व्यवस्था -15 :19
3-औरतें खुद को छुपा कर रखें
कुरान -"हे नबी ईमान वाली औरतों से कहदो कि जब वह घर से बहार निकलें तो ,अपने ऊपर चादर के पल्लू लटका लिया करें "
सूरा -अहजाब 33 :59
बाइबिल -स्त्री के लिए उचित है कि वह आधीनता का चिन्ह ओढ़नी अपने सर पर रख कर बाहर निकलें " 1 कुरिन्थियों 11 :11
4-अल्लाह गुमराह करता है
कुरान -शैतान ने कहा ,हे रब जैसा तूने मुझे बहकाया है ,उसी तरह में छल करके लोगों को बहकाऊँगा " सूरा -अल हिज्र 15 :39
"उन लोगों के दिलों में बीमारी थी ,अल्लाह ने उनकी बीमारी और बढा दी "सूरा -बकरा 2 :10
बाइबिल -फिर खुदा ने उनकी आँखें अंधी और दिल कठोर बना दिए ,जिस से वह न तो आँखों से देख सकें और न मन से कुछ समझ सकें "
यूहन्ना -12 :40
"यदि हमारी बुद्धि पर परदा पड़ा हुआ है ,तो यह खुदा के कारण ही है .और संसार के ईश्वर ने लोगों की बुद्धि को अँधा कर दिया है "
2 कुरिन्थियों 4 : 3 -4
5 -विधर्मियों को क़त्ल कर दो
कुरान -"और उनको जहाँ पाओ क़त्ल कर दो और घरों से निकाल दो "सूरा -बकरा 2 :191
"काफिरों को जहाँ पाओ ,पकड़ो और उनका वध कर दो "सूरा -निसा 4 :89
"मुशरिकों को जहाँ पाओ क़त्ल कर दो ,उन्हें पकड़ो ,उन्हें घेरो ,उनकी जगह में घात लगा कर बैठे रहो "सूरा -तौबा 9 :5
बाइबिल -"अगर पृथ्वी के एक छोर से दूरारे छोर तक दूसरे देवताओं के मानने वाले हो ,तो भी उनकी बात नहीं मानो,और न उनपर तरस खाना .न उन पर दया दिखाना .औं न उनको शरण देना .बल्कि उनकी खोज करके उनकी घात अवश्य करना .और उनका पता करके उनका तलवार से वध कर देना "व्यवस्था विवरण -13 :6 से 13
"जोभी यहोवा की शरण को स्वीकार नहीं करें ,उनको क़त्ल कर दो ,चाहे उनकी संख्या कम हो ,या अधिक .और चाहे वह पुरुष हों अथवा स्त्रियाँ हों " 2 इतिहास 15 :13
6-विधर्मी नरक में जलेंगे
कुरान -मुनाफिकों का ठिकाना जहन्नम है ,और वह बुरा ठिकाना है "सूरा -तौबा 9 :73
"काफिरों और मुनाफिकों ठिकाना जहन्नम है ,जहाँ वह पहुँच जायेंगे " सूरा -अत तहरीम 66 :9
बाइबिल -जो पुत्र को नहीं मानता,उस पर परमेश्वर का क्रोध बना रहेगा " यूहन्ना 3 :37
"फिर उन लोगों से कहा जायेगा ,हे श्रापित लोगो हमारे सामने से निकलो ,और इस अनंत आग में प्रवेश करो ,जो शैतान और उसके साथियों के लिए तय्यार की गयी है " मत्ती -25 :41
7-विधर्मियों से दोस्ती नहीं करो
कुरान -ईमान वालों को चाहिए कि वे काफिरों को अपना संरक्षक और मित्र न बनायें ,और जो ऐसा करता है उसका अल्लाह से कोई नाता नहीं रहेगा "
सूरा -आले इमरान 3 :28
बाइबिल -अविश्वासियों के साथ बराबर का व्यवहार नहीं करो ,इसलिए यातो तुम उनके बीच से निकलो ,या उनको अपने बीच से निकाल डालो .अन्धकार और ज्योति का क्या सम्बन्ध है ." 2 कुरिन्थियों 6 :14 से 17
8-कलमा की प्रेरणा भी बाइबिल से
मुसलमानों का मूलमंत्र या कलमा दो भागों से बना हुआ है जो इस प्रकार है" لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللّٰهِؕ "
"ला इलाह इल्लल्लाह -मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह "अर्थात नहीं हैं कोई इलाह मगर अल्लाह ,और मुहम्मद अल्लाह का रसूल है .कलामे दूसरा भाग मुहम्मद ने खुद जोड़ लिया था .जबकि पहला भाग बाइबिल में काफी पहले से मौजूद था .यहाँ पर मूल हिब्रू के साथ अरबी और अंगरेजी भी दिए जा रहे हैं .
Hear, O Israel, the LORD our God— the LORD is ONE -Deuteronium 6:4
"اسمع يا إسرائيل ، الرب إلهنا، رب واحد "
""शेमा इस्रायेल यहोवा इलोहेनु अदोनाय इहद "
"שְׁמַע, יִשְׂרָאֵל: יְהוָה אֱלֹהֵינוּ, יְהוָה אֶחָד "


He is the God , and there is no other god beside him.
"" हू एलोहीम व् लो इलोही लिदो "
"انه هو الله ، وليس هناك إله غيره بجانبه."
הוא האלוהים של כל בשר, ואין אלוהים לידו
http://www.nabion.org/html/the_shema
इन सभी प्रमाणों से साफ सिद्ध हो जाता है कि मुहम्मद को कुरान बनाने कि प्रेरणा बाइबिल से मिली थी .बाकि बातें उसने अपनी तरफ से जोड़ दी थीं .क्योंकि दौनों में एक जैसी बातें दी गयी हैं .केवल इतना अंतर है कि यहूदी ऐसी अमानवीय बातों पर न तो अमल करते हैं और न दूसरों को मानने पर मजबूर करते हैं .इन थोड़े से यहूदियों ने हजारों अविष्कार किये है ,जिन से विश्व के सभी लोगों को लाभ हो रहा है .लेकिन दूसरी तरफ इतने मुसलमान हैं ,जो कुरान की इसी शिक्षा का पालन करते हुए विश्व का नाश करने पर तुले हुए है .इसी तरह मुट्ठी बार पारसियों ने देश की उन्नति के लिए जो किया है उसे सब जानते हैं .
अगर बाइबिल की बुरी बातें छोड़ कर अच्छी बातें कुरान में लिख देता तो विश्व में सचमुच .शान्ति हो गयी होती
नक़ल के साथ अकल होना भी जरुरी है
http://dwindlinginunbelief.blogspot.com/2008/07/things-on-which-bible-and-quran-agree.html



मेराज का असली राज़ !

मेराज अरबी भाषा का शब्द है , वैसे तो इसका अर्थ "Ascension " या आरोहण होता है .लेकिन इस्लामी विद्वान् इसका तात्पर्य "स्वर्गारोहण "करते हैं .इनकी मान्यता है कि मुहम्मद एकही रात में मक्का से यरूशलेम तक की यात्रा कर आये थे और वहां स्थित अक्सा नाम की मस्जिद में नमाज नमाज भी पढ़ कर आये थे,जो एक महान,चमत्कार था .लेकिन सब जानते हैं कि केवल मान्यता के आधार पर ऐतिहासिक सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता है .मुहम्मद की इस तथाकथित "मेराज " का असली राज (रहस्य ) क्या है ,यह आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है .
यह कहावत प्रसिद्ध है कि"झूठ के पैर नहीं होते "इसका तात्पर्य है कि यदि कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए या दूसरों को प्रभावी करने के लिए झूठ बोलता है ,अथवा गप्प मरता है ,तो उसका ऐसा झूठ अधिक समय तक नहीं चलता है .और एक न एक दिन उसके झूठ का भंडा फूट ही जाता है .
मुहम्मद एक गरीब बद्दू परिवार में पैदा हुआ था ,और उसके समय के यहूदी और ईसाई काफी धनवान थे .और मुहम्मद उनकी संपत्ति हथियाना चाहता था .इसलिए सन 610 में मुहम्मद ने खुद को अल्लाह का रसूल घोषित कर दिया ,ताकि वह यहूदी और ईसाई नबियों के बराबरी करके लोगों को अपना अनुयायी बना सके .लेकिन जब लोगों को मुहम्मद की बे सर पैर की बातों पर विश्वास नहीं हुआ तो ,ने एक चल चली .तब तक मुहम्मद की नुबुवत को 12 साल हो चुके थे .मक्का के लोग मुहम्मद को पागल और जादूगर समझते थे ,इसलिए मुहम्मद ने लोगों का मुंह बंद करने के 27 तारीख रजब (इस्लाम का सातवाँ महीना ) सन 621 ई० को एक बात फैला दी ,कि उसने एक दिन में मक्का से यरूशलेम तक की यात्रा कर डाली है .जिसकी दूरी आज के हिसाब से लगभग 755 मील या 1251 कि.मी होती है .मुहम्मद की इस यात्रा को "मेराज معراج" कहा जाता है .मुहम्मद ने लोगों से कहा कि उसने यरूशलेम स्थित यहूदियों और ईसाइयों के पवित्र मंदिर में नमाज भी पढ़ी ,जिसका नाम यह है .
Temple in Jerusalem or Holy Temple (Hebrew: בֵּית־הַמִּקְדָּשׁ, Beit HaMikdash ;बैत हमिकदश
Al-Aqsa Mosque (Arabic:المسجد الاقصى al-Masjid al-Aqsa, मस्जिदुल अक्सा
फिर मुहम्मद ने लोगों का विश्वास जीतने के लिए यरूशलेम की तथाकथित मस्जिद और यात्रा का पूरा विवरण लोगों के सामने प्रस्तुत कर दिया .मुहम्मद के इस झूठ को बेनकाब करने के लिए पहले हम इस यात्रा के बारे में कुरान और हदीस से सबूत देखेंगे फिर इतिहास से प्रमाण लेकर सत्यता की परख करते हैं .और निर्णय पाठक स्वयं करेंगे .
1 -मुहम्मद की यरूशलेम यात्रा
मुहम्मद की मक्का के काबा से यरूशलेम स्थित अक्सा की मस्जिद तक की यात्रा के बारे में कुरान यह कहता है ,
"महिमावान है वह अल्लाह जो अपने रसूल मुहम्मद को "मस्जिदे हराम (काबाكعبه )से(मस्जिदे अक्सा "(यरूशलेम )की मस्जिद तक ले गया .जिस को वहां के वातावरण को बरकत मिली .ताकि हम यहाँ के लोगों को वहां की निशानियाँ दिखाएँ " सूरा -बनी इस्रायेल 17 :1
2 -मुहम्मद की सवारी क्या थी
इतनी लम्बी यात्रा को एक दिन रात पूरा करने के लिए मुहम्मद ने जिस वहां का प्रयोग किया था ,उसका नाम "बुर्राकبُرّاق "था .इसके बारे में हदीस में इस प्रकार लिखा है .
"अनस बिन मलिक ने कहा कि रसूल ने कहा था मुझे बैतुल मुक़द्दस की यात्रा के बुर्राक नाम का जानवर दिया गया था ,जो खच्चर (Mule) से छोटी और गधी से कुछ बड़ी थी .और जब मैं बुर्राक पर बैठा तो वह मस्जिद की सीढियां चढ़ गया ,फिर मैंने masjidمسجد के अन्दर दो रकात नमाज पढ़ी .और जब मैं मस्जिद से बाहर जाने लगा तो जिब्राइल ने मेरे सामने दो कटोरे रख दिए ,एक में शराब थी और दुसरे में दूध था ,मैंने दूध ले लिया .फिर जिब्रील मुझे बुर्राक पर बिठाकर मक्का छोड़ गया ,फिर दौनों जन्नत लौट गए "सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 309
3-लोगों की शंका और संदेह
लोगों को मुहम्मद की इस असंभव बात पर विश्वास नहीं हुआ ,और वह मुहम्मद को घेर कर सवाल करने लगे ,तब मुहम्मद ने कहा ,
"जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा ,कि रसूल ने कहा जब कुरैश के लोगों ने मेरी यरूशलेम कि यात्रा के बारे में संदेह जाहिर किया ,तो मैं काबा के पास एक पत्थर पर खड़ा हो गया .और वहां से कुरैश के लोगों को बैतुल मुक़द्दस का आँखों देखा विवरण सुनाने लगा ,जो मैंने वहां देखा था "
बुखारी -जिल्द 4 किताब 6 हदीस 233
"इब्ने अब्बास ने कहा जब रसूल से कुरैश के लोगों ने सवाल किया तो रसूल उन सारी जगहों का वर्णन सुनाने लगे जो उन्होंने यरूशलेम स्थित बैतुल मुक़द्दस की यात्रा के समय रास्ते में देखी थीं .फिर रसूल ने सबूत के किये कुरान की सूरा इस्रायेल 17 :60 सुनादी .जिसमे अल्लाह ने उस जक्कूम के पेड़ पर लानत की थी ,जो रसूल को यरूशलेम के रास्ते में मिला था "बुखारी -जिल्द 5 किताब 58 हदीस 228
इस हदीस में कुरान की जिस आयत को सबूत के तौर पर पेश किया गया है ,वह यह है
"हे मुहम्मद जब लोगों ने तुम्हें घेर रखा हो ,तो तुम सबूके लिए उन दृश्यों को याद करो ,जो हमने तुम्हें बताये हैं ,और जिनको हमने लोगों की आजमाइश के लिए बना दिया था .तुम तो उस पेड़ को याद करो जिस पर कुरान में लानत की गयी है .हम इसी निशानी से लोगों को डराते है"
सूरा -बनी इस्रायेल 17 :60
(इस पेड़ को अरबी में "जक्कूम زقّوم" कहा जाता और हिदी मे"थूहर ,या थूबड़ Cactus कहते हैं अंगरेजी Botany में इसका नाम "Euphrobia abyssinica " है .यह पेड़ अरब , इस्रायेल और अफरीका में सब जगह मिलता है .मुहम्मद ने कुरान में इसी पेड़ को सबूत के रूप में पेश किया है सूरा -17 :60 )
( नोट -इसी को कहते हैं कि"कुएं का गवाह मेंढक" )
4 -मुहम्मद का सामान्यज्ञान
लगता है कि मुहम्मद में बुद्धि(GK) नाम की कोई चीज नहीं थी ,क्योंकि जब उस से बैतुल मुक़द्दस के बारे में जानकारी पूछी गयी तो वह बोला ,
"अबू जर ने कहा कि मैंने रसूल से पूछा कि पृथ्वी पर सबसे पहले अल्लाह की कौन सी मस्जिद बनी थी ,रसूल ने कहा "मस्जिदे हराम "यानि मक्का का "काबा "फिर हमने पूछा की दूसरी मस्जिद कौन सी है ,तो रसूल ने कहा "मस्जिदुल अक्सा "यानि यरूशलेम की मस्जिद ,फिर हमने पूछा की इन दौनों मस्जिदों के निर्माण के बीच में कितने सालों का अंतर है ,तो रसूल ने कहा इनके बीच में चालीस सालों का अंतर है "
बुखारी - जिल्द 4 किताब 55 हदीस 585
अब तक मुहम्मद की यरूशलेम की यात्रा (मेराज Night Journey ) के बारे में कुरान और हदीसों से लिए गए सबूतों का हवाला दिया गया है .अब दुसरे भाग में इतिहास के प्रमाणों के आधार पर मुहम्मद और अल्लाह के दावों की कसौटी करते हैं ,कि इस दावे में कितनी सच्चाई और कितना झूठ
है .जिसको भी शंका हो वह विकी पीडिया या दूसरी साईट से जाँच कर सकता है .पाठक कृपया इस लेख को गौर से पढ़ें फिर निष्पक्ष होकर फैसला करें
5 -बैतुल मुक़द्दस का संक्षिप्त इतिहास
अबतक दी गयी कुरान की आयतों और हदीसों में मुहम्मद द्वारा यरूशलेम की यात्रा में जिस मस्जिद में नमाज पढ़ने का वर्णन किया गया है ,वह वास्तव में यहूदियों का मंदिर ( Temple ) था .जिसे हिब्रू भाषा में " मिकदिशמקדשׁ "कहा जाता है .इसका अर्थ "परम पवित्र स्थान यानी Sancto Santorum कहते हैं.इसका उल्लेख बाइबिल में मिलता है ( बाइबिल मत्ती -24 :1 -2 ) इस मंदिर को इस्लाम से पूर्व दो बार तोडा गया था ,और इस्लाम के बाद तीसरी बार बनाया गया था .इतिहास में इसे पहला ,दूसरा ,और तीसरा मंदिर के नाम से पुकारते हैं .इसका विवरण इस प्रकार है -
1 - पहले मंदिर का निर्माण और विध्वंस
पहले मंदिर का निर्माण इस्रायेल के राजा दाऊद(Davidדוד ) के पुत्र राजा सुलेमान (Solomonשלמן ) ने सन 975 ई ० पू में करवाया था .सुलेमान का जन्म सन 1011 ई पू और म्रत्यु सन 931 ई .पू में हुई थी सुलेमान ने अपने राज की चौथी साल में यह भव्य मंदिर बनवाया था ,और इसके निर्माण के लिए सोना ,चन्दन ,और हाथीदांत भारत से मंगवाए थे ( बाइबिल 1 राजा अध्याय 5 से 7 तक I-kings10:22 )
सुलेमान के इस मंदिर को सन 587 BCE में बेबीलोन के राजा "नबूकदनजर (Nebuchadnezzar ) ने ध्वस्त कर दिया था .और यहूदियों को गुलाम बना कर बेबीलोन ले गया था .जाते जाते नबूकदनजर मंदिर के स्थान पर अपने एक देवता की मूर्ति लगवा गया था .और सारा यरूशलेम बर्बाद कर गया था .
(बाइबिल -यिर्मयाह 2 :24 से 20 )
इसके बाद जब सन 538 ई .पू में जब ईरान के सम्राट खुसरू ( cyrus ) ने बेबीलोन को पराजित कर दिया तो उसने यहूदियों को आजाद कर दिया और अपने देश में जाने की अनुमति दे दी थी .लेकिन करीब 419 साल तक यरूशलेम में कोई मंदिर नहीं बन सका .
2 दूसरे मदिर का निर्माण और विध्वंस
वर्षों के बाद जब सन 19 ई .पू में जब इस्रायेल में हेरोद (Herod ) नामका राजा हुआ तो उसने फिर से मंदिर का निर्माण करवाया ,जो हेरोद के मंदिर के नामसे विख्यात था ,यही मंदिर ईसा मसीह के ज़माने भी मौजूद था .लेकिन जब यहूदियों ने ईसा मसीह को सताया ,तो उन्होंने इस मंदिर के नष्ट होने की भविष्यवाणी कर दी थी ,जो बाइबिल में इस तरह मिलती है, -
."फिर जब यीशु मंदिर से निकलते हुए रास्ते में जा रहे थे तो उनके शिष्यों ने उनको मंदिर की ईमारत की भव्यता दिखाया ,तब यीशु ने कहा कि,मैं तुमसे सच कहता हूँ ,कि एक दिन इस मंदिर के पत्थर पर पत्थर नहीं बचेगा ,और सारा मंदिर ढहाया जायेगा "
बाइबिल नया नियम -मत्ती -24 :1 -2 ,मरकुस -13 :1 -2 ,और लूका -19 :41 से 45 ,और लूका -21 :20 -45
ईसा मसीह के समय यरूशलेम पर रोमन लोगों का राज्य था ,और यहूदी उसे पसंद नहीं करते थे .इसलिए सन 66 ईसवी में यहूदियों ने विद्रोह कर दिया .और विद्रोह को कुचलने के लिएरोम के सम्राट " (Titus Flavius Caeser Vespasianus Augustus तीतुस फ्लेविअस ,कैसर ,वेस्पनुअस अगस्तुस ) ने सन 70 में यरूशलेम पर हमला कर दिया .और लाखों लोग को क़त्ल कर दिया .फिर तीतुस ने हेरोद के मंदिर में आग लगवा कर मंदिर की जगह को समतल करावा दिया .और मंदिर कोई भी निशानी बाकि नहीं रहने दी .इस तरह ईसा मसीह की भविष्यवाणी सच हो गयी .


कुरान में भी इस घटना के बारे में उल्लेख मिलता है ,जो इस प्रकार है ,


"फिर हमने तुम्हारे विरुद्ध शत्रुओं को खड़ा कर दिया ,ताकि वह तुम्हारा चेहरा बिगाड़ दें ,और बैतुल मुक़द्दस के अन्दर घुस जाएँ ,जैसे वह पहली बार घुसे थे ,और उनको जोभी चीज हाथ में आई थी उस पर कब्ज़ा किया था .और मस्जिद को तबाह करके रख दिया था .
सूरा -बनी इस्रायेल 17 :17
इस प्रकार इतिहास ,बाइबिल और कुरान से साबित होता है कि सन 70 से मुसलमानों के राज्य तक यरूशलेम में कोई मंदिर या मस्जिद नहीं थे ,बल्कि उस जगह समतल मैदान था .मस्जिद का फिर से निर्माण खलीफाओं ने करवाया था ,जिसका विवरण इस तरह है ,
6 -मंदिर की जगह मस्जिद का निर्माण
जब सन 638 उमर बिन खत्ताब खलीफा था ,तो उसने यरूशलेम की जियारत की थी .और वहां नमाज पढ़ने के लिए मदिर के मलबे को साफ करवाया था .और उसके सनिकों ने खलीफा के साथ मैदान में नमाज पढ़ी थी .बाद में जब उमैया खानदान में "अमीर अब्दुल मालिक बिन मरवानعبد الملك بن مروان"सन 646 ईस्वी में सुन्नियों का पांचवां खलीफा यरूशलेम आया तो उसने पुराने मंदिर की जगह एक मस्जिद बनवा दी ,जो एक ऊंची सी जगह पर है ,इसी को आज" मस्जिदुल अक्सा " Dom of Rock भी कहा जाता है .क्योंकि इसके ऊपर एक गुम्बद है .अब्दुल मालिक ने इस मस्जिद के निर्माण के किये "बैतुल माल" से पैसा लिया था ,और गुम्बद के ऊपर सोना लगवाने के लिए सोने के सिक्के गलवा दिए थे .आज भी यह मस्जिद इस्रायेल अरब के विवाद का कारण बनी हुई है .और दौनों इस पर अपना दावा कर रहे हैं
7 -खलीफा ने मस्जिद क्यों बनवाई
अब्दुल मलिक का विचार था कि अगर वह यरूशलेम में उस जगह पर मस्जिद बनवा देगा ,तो वह यहूदियों और ईसाइयों हमेशा दबा कर रख सकेगा .क्योंकि दौनों ही इस जगह को पवित्र मानते है .लेकिन जब कुछ मुसलमानों ने इसे बेकार का खर्चा बता कर आपत्ति प्रकट की ,तो मलिक ने विरोधियों को शांत करने के लिए यह हदीस सुना दी ,
"अनस बिन मलिक ने कहा कि ,रसूल ने कहा ,यदि कोई घर में ही नमाज पढ़ेगा ,तो उसे एक नमाज का पुण्य मिलेगा ,और अगर वह अपने कबीले के लोगों के साथ नमाज पढ़ेगा तो ,उसे 20 नमाजों का पुण्य मिलेगा .और जुमे में जमात के साथ नमाज पढ़ने से 50 नमाजों का पुण्य मिलेगा .लेकिन यदि जोभी व्यक्ति यरूशलेम की "बैतुल मुक़द्दस " में नमाज पढ़ेगा तो उसे 50 हजार नमाजों का पुण्य मिलेगा "
इब्ने माजा-तिरमिजी -हदीस 247 ,और मलिक मुवत्ता-जिल्द 5 हदीस 17
इस तरह से अब्दुल मलिक यरूशलेम में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़वाना चाहता था ,की मुसलमान पुण्य प्राप्ति के लिए यरूशलेम में रहने लगें .
लेकिन सन 1862 मुसलमान यरूशलेम की मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सके थे .क्योंकि उसपर ईसाइयों का कब्ज़ा हो गया था .बाद में तुर्की के खलीफा "अब्दुल हमीदعبد الحميد "( 1878 -1909 )ने इंगलैंड के "प्रिंस ऑफ़ वेल्स Prince of Wels ) जो बाद में King Edward V II बना ,उस से अनुमति लेकर मस्जिद की मरम्मत करवाई और मुसलमानों को एक मेहराब के नीचे नमाज पढ़ने की आज्ञा प्राप्त कर ली थी .जो अभी तक चल रही है .
8-विचारणीय प्रश्न
अब इन सभी तथ्यों और सबूतों को देखने का बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक हैं ,क़ि जब सन 70 से कर यानि हेरोद के मंदिर के ध्वस्त होने से .सन 691 तक यानी अब्दुल मालिक द्वारा मस्जिद बन जाने तक ,यरूशलेम में कोई मंदिर या मस्जिद का कोई नामोनिशान ही नहीं था ,केवल समतल मैदान था ,तो मुहम्मद ने सन 621 में यरूशलेम की अपनी तथाकथित यात्रा में किस मस्जिद में नमाज पढ़ी थी ?और लोगों को कौन सी मस्जिद का आँखों देखा वर्णन किया था ?क्या कुरान की वह आयतें 691 बाद लिखी गयी हैं ,जिन में मुहम्मद की यरूशलेम की मस्जिद में नमाज पढ़ने का जिक्र है .हम कैसे माने कि कुरान में हेराफेरी नहीं हुई ?क्या कोई अपनी मान्यता के आधार पर ऐतिहासिक सत्य को झुठला सकता है ?
आप लोग कृपया लेख दुबारा पढ़िए और फिर फैसला करिए .और बताइए कि ,यदि हम कुरान और हदीसों की पहले वाली बातों को सत्य मान लें ,तो हमें दूसरी हदीसों और इस्लामी इतिहास को झूठा साबित करना होगा .!
बताइये आप कौनसी बात पर विश्वास करेंगे ?
http://www.abrahamic-faith.com/night-journey.html



सेकुलर आतंकवाद !

सेकुलरिज्म ,सम्प्रदायवाद और आतंकवाद यह सब शब्द लोगों की विचारधारा और उनके सोचने के ढंग से सम्बंधित है .अभी तक सेकुलरिज्म को सम्प्रदायवाद का विपरीत शब्द (opposit ) माना जाता है .लेकिन समय के साथ सेकुलरिज्म शब्द आतंकवाद का पर्यायवाची बनता जा रहा है ..इस बात को और स्पष्ट करने के लिए हमें शब्दों के अर्थ और अभिप्राय को ठीक से समझना जरुरी है ,क्योंकि इनका हमारे अस्तित्व और देश की अखंडता से बड़ा गहरा सम्बन्ध है .यहाँ हम एक एक शब्द के बारे में समझते है -

1 -आतंकवाद

इस विचार के लोग दूसरों पर अपनी बात बलपूर्वक मनवाने में विश्वास रखते है ,चाहे वह धार्मिक विषय हो या राजनीतिक विश्हय हो .यह लोग हमेशा खुद को सही और दूसरों को गल़त मानते हैं ,इनका एकमात्र उद्देश्य देश में अस्थिरता ,और भय का वातावरण बनाये रखना है .ताकि देश की एकता खंडित हो जाये .इस समय देश में नक्सली जैसे और कई आतंकी संगठन कार्यरत है .जो निर्दोष लोगों की हत्या को अपना धर्म समझते. लेकिन कुछ ऐसे आतंकी गिरोह है जिनके आका देश के बाहर हैं ,और उनके गुर्गे यहाँ आतंकी कार्य करते रहते हैं लेकिन सब की कार्यविधि और लक्ष्य एक ही है ,भारत को नुकसान पहुचना ,और दहशत फैलाना .ऐसे लोग अपने कुत्सित इरादों की पूर्ति के लिए निर्दोषों को बम से उड़ने में नहीं झिझकते है ,

हमारा कर्तव्य है ऐसे लोगों पर नजर रखे और इनकी जानकारी सम्बंधित अधिकारीयों को जरुर दे दें

2-सम्प्रदायवाद

भारत में अनेकों धर्म ,संप्रदाय और मत पैदा हुए हैं जो मिलजुल कर रहते आये हैं सविधान के अनुसार सबको अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार है .लेकिन किसी को छल से या जबरन अपना विचार थोपने कोई अधिकार नहीं है .चाहे वह धार्मिक विचार क्यों न हो .ऐसा करने से ही सम्प्रदायवाद का जन्म होता है .चाहे कितनी भी अच्छी बात हो वह किसी को बलपूर्वक मनवाना उचित नहीं है

कुछ लोग सिर्फ इस्लाम को सम्प्रदायवाद से जोड़कर देखते है ,तो उन्हें समझना चाहिए ईसाई और दुसरे लोग भी उन से कम नहीं हैं .खुसी की बात यह है कि कुछ इस्लामी देशों में भी ऐसे अनेकों प्रगतिशील सुधारवादी संगठन बन गए हैं जो रुढ़िवादी ,आतंकी विचारों का विरोध करते है ,निश्चय ही यह शुभ संकेत है .

3-सेकुलरिज्म या धर्मसमभाव

सेकुलरिज्म विदेश से आयातित शब्द है . कानूनी तौर से इसका अर्थ "धर्मनिरपेक्षता " रख दिया है ,जो पूरी तरह से भ्रामक आशयविहीन लगता है . भारत की किसी भी भाषा के साहित्य को खोज कर देखिये यह शब्द कहीं नहीं मिलेगा .आपको प्राचीन पुस्तकों में केवल धार्मिक और अधर्मी शब्द ही मिलेंगे .फिर भी कुछ लोगों ने " सेकुलरिज्म ' के यह अर्थ किये है ,जैसे "सर्वधर्मसमभाव " पंथ निरपेक्षता " आदि ,

यदि सेकुलरिज्म का आशय सभी धर्मों ,पंथों ,और मतों का सामान रूप से सम्मान और आदर करना है ,तो भारत का हरेक हिन्दू , सिख ,जैन ,और बौद्ध स्वाभाविक रूप से सेकुलर है . आज भी हिन्दू दरगाहों ,मजारों , पर जाते हैं और गुरद्वारों ,बुद्ध ,जैन मंदिर में जाते ,सबी एक दूसरों के त्योहारों में शामिल होते है ,फिर कानून बना कर लोगों को सेकुलर बनाने की जरुरत क्यों पड़ गई . बताइये क्या तोते (PArrot ) पर हरा रंग पोतने की जरुरत होती है ? निश्चय ही यह एक राजनीतिक षडयंत्र है .यदि जरुरत होती तो संविधान के निर्माता डा ० बाबा साहेब अम्बेडकर संविधान में सेकुलर शब्द पहले ही लिख देते . इसके लिए हमें कांगरेसी सेकुलरिज्म को समझना होगा .

4 -कांग्रेसी सेकुलरिज्म

वास्तव में सरकारी सेकुलरिज्म का तात्पर्य " तुष्टिकरण " है in fact, official secularism means "appeasement" यह बात किसी से भी छुपी नहीं है कि कान्ग्रेसिओं दिल में हिन्दू विरोधी मानसिकता कूट कूट कर भरी हुई है ,जिसे यह यदाकदा प्रकट भी कर देते है , दिग्विजय सिंह इसका एक उदहारण है . इसी सेकुलरिज्म का सिद्धांत है ,एक समुदाय को खुश करने के लिए हिन्दुओं को जितना बदनाम ,प्रताड़ित करोगे उस समुदाय के उतने ही वोट अधिक मिलेंगे .क्योंकि यह घाघ नेता जानते हैं कि अल्प संख्यक लोग थोक में वोट देते है .यह सरकारी सेकुलर जानते हैं कि अगर सत्ता पर कोई खतरा है ,तो वह हिन्दुओं की एकता से है ,इसलिए किसी न किसी तरह से हिन्दू एकता को भंग किया जाये ,जब भी हिन्दू एक होने लगें उनको कोई न कोई आरोप लगा कर अन्दर कर दिया जाये .आज इन सेकुलरों में हिन्दुओं को गलियां देने की होड़ सी लग रही है .और जो हिन्दू संस्थाओं ,संतों को जितनी अधिक गलियाँ वह उतना बड़ा सेकुलर माना जायेगा

5-सेकुलर आतंकवाद

आप देख चुके हैं ,कि जैसे हर प्रकार का आतंकवाद ,और सम्प्रदायवाद का मुख्य उद्देश्य देश में अस्थिरता और अव्यवस्था फैलाना है .आज यही काम सोनिया जी की सरकार करने वाली है.अपनी इसी इच्छा को पूरी करने के लिए सोनिया ने अपनी सलाहकार मंडली में चुन चुन कर ऐसे सेकुलरों को शामिल किया है ,को हिन्दू विरोध के लिए कुख्यात हैं ,इनने हर्ष मंदर ,तीस्ता सीतलवाड ,सय्यद शहाबुद्दीन ,शबनम हाशिमी जी लोग शामिल है .फिर इन्ही जैसे लोगो की सलाह से सेकुलर देवी सोनिया जी ने 2011में एक " सांप्रदायिक लक्षित हिंसा विरोधी अधिनियम ' सरकार की बिना सहमति के पेश कर दिया .सब जानते हैं कि सोनिया कट्टर कैथोलिक ईसाई है ,और पोप की पक्की अनुयायी है .इन्ही पोपों ने protastant ईसाइयों सिर्फ इस बात पर जिन्दा जलवा दिया था क्योंकि वह बाइबिल की उस व्याख्या से सहमत नहीं थे ,जो तत्कालीन पोप करते थे ,पोपों का यह दमन चक्र सदियों चलता रहा था .अब सोनिया अपने पापं की यही निति भारत में लागु करना चाहती है . यदि यह अधिनियम पारित हो गया तो हिन्दुओं के लिए सिर्फ यही विकल्प होंगे ,ईसाई या मुसलमान बन जाएँ ,देश से पलायन कर जाएँ या फिर जेलों में चक्की पीसें ,केवल पांच साल में हिन्दू विलुप्त प्रजाति बन जायेंगे ,क्योकि इस अधिनियम यही प्रावधान दिए गए हैं .इस विधेयक में कुल 9 अध्याय और 138 धाराएँ हैं ,जिनमे कुछ IPCC और CRPC से ली गयी हैं .यह भारत का पहला अधिनियम है जो नागरिकों को जाती के आधार पर सजा देने की वकालत करता है .और्यः मन कर चलता है कि हिन्दू स्वभाव से आक्रामक और हिंसक होते हैं और हिन्दू ही सबसे पहले दंगे करवाते हैं , साफ है कि सोनिया इस विधेयक के सहारे अपने (कु ) सुपुत्र और फिर उसकी संतानों को हमेशा के लिए भारत पर राज करने का रास्ता बना रही है . .दिग्विजय सिंह कई बार यह बात उगल चुके है ,इसी लिए उनके निशाने पर हिन्दू संत और संगठन बने रहते हैं .बहुत से लोगों को इस अधिनियम का पूरा ज्ञान नहीं होगा ,इसलिए इसके कुछ चुने हुए बिंदु प्रस्तुत किये जा रहे है ,ताकि अभी से सावधान हो जाएँ और अपना भविष्य इस सेकुलर आतंकवाद से बचा सकें .

इस अधिनियम के प्रावधान देखिये .-

1.दंगे के समय बिना किसी जांच पड़ताल के किसी भी हिन्दू को गिरफ्तार किया जा सकता .

2 -हिन्दू तब तक अपराधी माना जाएगा ,जब तक वह खुद को निर्दोष सिद्ध नहीं कर देता .

3 -यदि किसी हिन्दू संगठन के किसी कार्यकर्ता के विरुद्ध कोई अल्पसंख्यक शिकायत करता है ,तो वह पूरा संगठन दोषी माना जाएगा

4-.यदि किसी प्रांत की विरोधी दल की सरकारकी पुलस संप्रदायी दंगे रोकने के हिन्दुओं को गिरफ्तार करने में असफल होती है ,तो उस सरकार को बरखास्त किया जा सकता है .

5 -भारत के बंगलादेशी घुसपैठियों को निकालने की मांग करना ,और जबरन धर्म परिवर्तन करने का विरोध करना भी अपराध होगा .

6 -यदि किसी हिन्दू का मकान या दुकान किराये के लिए उपलब्ध हो ,और वह किसी अल्पसंख्यक को किराये पर देने से इंकार करे ,तो वह हिन्दू स्वामी अपराधी माना जाएगा .

7-यदि कोई अल्पसंख्यक किसी हिन्दू की खाली जमीन पर कब्र ,दरगाह या मस्जिद बना दे तो उस भूमि को खाली नहीं कराया जा सकता ,और विरोध करने पर हिन्दू भूमिस्वामी को सजा दी जा सकती है .

8 -दंगे के दौरान मारे गए हिन्दू के आश्रितों को मुआवजा नहीं दिया जायेगा .

9 -यदि कोई अल्पसंखक किसी हिन्दू लड़की को प्रेमजाल में फंसा ले ,और लड़की के माँ बाप से शादी करने को कहे ,और लड़की के माता पिता ऐसी शादी से मना करें ,तो वह दण्डित होंगे ,चाहे लड़की अवयस्क क्यों न हो.

10-जिन संस्थाओं और संगठनों के नाम में हिन्दू शब्द होगा उनकी मान्यता निरस्त हो जाएगी .

11 -आतंकवादिओं के विरुद्ध आवाज उठाना ,और उनको सजा देने की मांग करना ,एक समुदाय को पीड़ा देने वाला कृत्य मना जायेगा .और ऐसा करने वालों को सजा दी जाएगी .

बताइए यह सेकुलर आतंकवाद नही है तो और क्या है ?.एक तरफ हमारे प्रधान मंत्री पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को "शांति पुरुष " कहके उसका सम्मान करते है ,और परोक्ष रूप से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर चुप रहते हैं ,इसे हम क्या कहेंगे ? क्या यही सेकुलरिज्म है ? आप विचार करिये कि एक तरफ वह आतंकवादी हैं जो बिना किसी धर्म और जाति का भेद करके सौ पचास लोगों को अपना निशाना बनाते हैं ,और दूसरी तरफ यह सेकुलर हैं जो चुन कर सिर्फ सभी हिन्दुओं पूरे समूह को समाप्त करने की तय्यारी कर रहे हैं .बताइए , हम इन सेकुलरों को सबसे बड़ा आतंकवादी क्यों नहीं मानें ?

(नोट -यह लेख प्रसिद्ध लेखक और आलोचक श्री वीरेन्द्र सिंह परिहार के लेख से प्रेरित है ,जो 8 नव 2011 को दैनिक जागरण पेपर में प्रकाशित हुआ था )



इस्लाम का भविष्य क्या होगा ?

मुसलमान अक्सर अपनी बढ़ती जनसंख्या की डींगें मारते रहते है .और घमंड से कहते हैं कि आज तो हमारे 53 देश हैं .आगे चलकर इनकी संख्या और बढ़ेगी .इस्लाम दुनिया भर में फ़ैल जायेगा .विश्व ने जितने भी धर्म स्थापक हुए हैं ,सभी ने अपने मत के बढ़ने की कामना की है .लेकिन मुहम्मद एकमात्र व्यक्ति था जिसने इस्लाम के विभाजन ,तुकडे हो जाने और सिमट जाने की पहिले से ही भविष्यवाणी कर दी थी .यह बात सभी प्रमाणिक हदीसों में मौजूद है .
यदि कोई इन हदीसों को झूठ कहता है ,तो उसे मुहम्मद को झूठ साबित करना पड़ेगा .क्योंकि यह इस्लाम के भविष्य के बारे में है .सभी जानते हैं कि किसी आदर्श ,या नैतिकता के आधार पर नहीं बल्कि तलवार के जोर पर और आतंक से फैला है .इस्लाम कि बुनियाद खून से भरी है .और कमजोर है .मुहम्मद यह जानता था .कुरान में साफ लिखा है -
1-इस्लाम की बुनियाद कमजोर है
"कुछ ऐसे मुसलमान हैं ,जिन्होंने मस्जिदें इस लिए बनायीं है ,कि लोगों को नुकसान पहुंचाएं ,और मस्जिदों को कुफ्र करने वालों के लिए घात लगाने और छुपाने का स्थान बनाएं .यह ऐसे लोग हैं ,जिन्होंने अपनी ईमारत (इस्लाम )की बुनियाद किसी खाई के खोखले कगार पर बनायीं है ,जो जल्द ही गिरने के करीब है .फिर जल्द ही यह लोग जहन्नम की आग में गिर जायेंगे "सूरा -अत तौबा 9 :108 और 109
2 -इस्लाम से पहिले विश्व में शांति थी .यद्यपि इस्लाम से पूर्व भी अरब आपस में मारकाट किया करते थे ,लेकिन जब वह मुसलमान बन गए तो और भी हिंसक और उग्र बन गए .जैसे जैसे उनकी संख्या बढ़ती गयी उनका आपसी मनमुटाव और विवाद भी बढ़ाते गए .वे सिर्फ जिहाद में मिलने वाले माल के लिए एकजुट हो जाते थे .फिर किसी न किसी बात पर फिर लड़ने लगते थे ,शिया सुनी विवाद इसका प्रमाण है .
इसके बारे में मुहमद के दामाद हजरत अली ने अपने एक पत्र में मुआविया को जो लिखा है उसका अरबी के साथ हिंदी और अंगरेजी अनुवाद दिया जा रहा है -
3 -हजरत अली का मुआविया को पत्र
हजरत अली का यह पत्र संख्या 64 है उनकी किताब" नहजुल बलाग "में मौजूद है .
http://www.imamalinet.net/EN/nahj/nahj.htm
"यह बात बिलकुल सत्य है कि,इस्लाम से पहिले हम सब एक थे .और अरब में सबके साथ मिल कर शांति से रह रहे थे .तुमने (मुआविया )महसूस किया होगा कि ,जैसे ही इस्लाम का उदय हुआ ,लोगों में फूट और मनमुटाव बढ़ाते गए .इसका कारण यह है ,कि एक तरफ हम लोगों को शांति का सन्देश देते रहे ,और दूसरी तरफ तुम मुनाफिक(Hypocryt )ही बने रहे ,और इस्लाम के नाम पर पाखंड और मनमर्जी चलाते रहे.तुमने अपने पत्र में मुझे तल्हा और जुबैर की हत्या का आरोपी कहा है .मुझे उस पर कोई सफ़ाई देने की जरुरत नहीं है .लेकिन तुमने आयशा के साथ मिलकर मुझे मदीना से कूफा और बसरा जाने पर विवश कर दिया ,तुमने जो भी आरोप लगाये हैं ,निराधार है ,और मैं किसी से भी माफ़ी नहीं मांगूंगा "
मुआविया के पत्र का हजरत अली का मुआविया को जवाब -नहजुल बलाग -पत्र संख्या 64
ومن كتاب له عليه السلام
كتبه إلى معاوية، جواباً عن كتاب منه
أَمَّا بَعْدُ، فَإِنَّا كُنَّا نَحْنُ وَأَنْتُمْ عَلَى مَا ذَكَرْتَ مِنَ الاَُْلْفَةِ وَالْجَمَاعَةِ، فَفَرَّقَ بيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ أَمْسِ أَنَّا آمَنَّا وَكَفَرْتُمْ، وَالْيَوْمَ أَنَّا اسْتَقَمْنَا وَفُتِنْتُمْ، وَمَا أَسْلَمَ مُسْلِمُكُمْ إِلاَّ كَرْهاً وَبَعْدَ أَنْ كَانَ أَنْفُ الاِِْسْلاَمِكُلُّهُ لِرَسُولِ اللهِ صلى الله عليه وآله حرباً
وَذَكَرْتَ أَنِّي قَتَلْتُ طَلْحَةَ وَالزُّبَيْرَ، وَشَرَّدْتُ بِعَائِشَةَ وَنَزَلْتُ بَيْنَ الْمِصْرَيْنِ وَذلِكَ أَمْرٌ غِبْتَ عَنْهُ، فَلاَ عَلَيْكَ، وَلاَ الْعُذْرُ فِيهِ إِلَيْكَ
[ A reply to Mu'awiya's letter. ]
It is correct as you say that in pre-Islamic days we were united and at peace with each other. But have you realized that dissensions and disunity between us started with the dawn of Islam. The reason was that we accepted and preached Islam and you remained heathen. The condition now is that we are faithful and staunch followers of Islam and you have revolted against it. Even your original acceptance was not sincere, it was simple hypocrisy. When you saw that all the big people of Arabia had embraced Islam and had gathered under the banner of the Holy Prophet (s) you also walked in (after the Fall of Makkah.)
In your letter you have falsely accused me of killing Talha and Zubayr, driving Ummul Mu'minin Aisha from her home at Madina and choosing Kufa and Basra as my residence. Even if all that you say against me is correct you have nothing to do with them, you are not harmed by these incidents and I have not to apologize to you for any of them.
4 -इस्लाम का विभाजन
इस्लाम के पूर्व से ही अरब के लोग दूसरों को लूटने और आपसी शत्रुता के कारण लड़ते रहते थे .लेकिन मुसलमान बन जाने पर उनको लड़ने और हत्याएं करने के लिए धार्मिक आधार मिल गया .वह अक्सर अपने विरोधियों को मुशरिक ,मुनाफिक और काफ़िर तक कहने लगे और खुद को सच्चा मुसलमान बताने लगे .और अपने हरेक कुकर्मों को कुरान की किसी भी आयत या किसी भी हदीस का हवाला देकर जायज बताने लगे .धीमे धीमे सत्ता का विवाद धार्मिक रूप धारण करता गया .मुहम्मद की मौत के बाद ही यह विवाद इतना उग्र हो गया की मुसलमानों ने ही मुहम्मद के दामाद अली ,और उनके पुत्र हसन हुसैन को परिवार सहित क़त्ल कर दिया .उसके बाद ही इस्लाम के टुकडे होना शुरू हो गए .जिसके बारे में खुद मुहम्मद ने भविष्यवाणी की थी .-
"अबू हुरैरा ने कहा कि,रसूल ने कहा था कि यहूदी और ईसाई तो 72 फिरकों में बँट जायेंगे ,लेकिन मेरी उम्मत 73 फिरकों में बँट जाएगी ,और सब आपस में युद्ध करेंगे "अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4579
"अबू अमीर हौजानी ने कहा कि ,रसूल ने मुआविया बिन अबू सुफ़यान के सामने कहा कि ,अहले किताब (यहूदी ,ईसाई ) के 72 फिरके हो जायेंगे ,और मेरी उम्मत के 73 फिरके हो जायेंगे ..और उन में से 72 फिरके बर्बाद हो जायेंगे और जहन्नम में चले जायेंगे .सिर्फ एक ही फिरका बाकी रहेगा ,जो जन्नत में जायेगा "अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4580 .
"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,ईमान के 72 से अधिक टुकडे हो जायेंगे ,और मुसलमानों में ऐसी फूट पड़ जाएगी कि वे एक दुसरे कीहत्याएं करेंगे ."
अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4744 .
"अरफजः ने कहा कि मैं ने रसूल से सुना है ,कि इस्लाम में इतना बिगाड़ हो जायेगा कि ,मुसलमान एक दुसरे के दुश्मन बन जायेंगे ,और तलवार लेकर एक दुसरे को क़त्ल करेंगे "अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4153 .
"सईदुल खुदरी और अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,पाहिले तो मुसलमान इकट्ठे हो जायेंगे ,लेकिन जल्द ही उनमें फूट पड़ जाएगी .जो इतनी उग्र हो जाएगी कि वे जानवरों से बदतर बन जायेगे .फिर केवल वही कौम सुख से जिन्दा रह सकेगी जो इनको इन को ( नकली मुसलमानों )को क़त्ल कर देगी .फिर अनस ने रसूल से उस कौम की निशानी पूछी जो कामयाब होगी .तो रसुलने बताया कि,उस कौम के लोगों के सर मुंडे हुए होंगे .और वे पूरब से आयेंगे "अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4747 .
5 -इस्लाम के प्रमुख फिरके
आमतौर पर लोग मुसलमानों के दो ही फिरकों शिया और सुन्नी के बारे में ही सुनते रहते है ,लेकिन इनमे भी कई फिरके है .इसके आलावा कुछ ऐसे भी फिरके है ,जो इन दौनों से अलग है .इन सभी के विचारों और मान्यताओं में इतना विरोध है की यह एक दूसरे को काफ़िर तक कह देते हैं .और इनकी मस्जिदें जला देते है .और लोगों को क़त्ल कर देते है .शिया लोग तो मुहर्रम के समय सुन्नियों के खलीफाओं ,सहबियों ,और मुहम्मद की पत्नियों आयशा और हफ्शा को खुले आम गलियां देते है .इसे तबर्रा कहा जाता है .इसके बारे में अलग से बताया जायेगा .
सुन्नियों के फिरके -हनफी ,शाफई,मलिकी ,हम्बली ,सूफी ,वहाबी ,देवबंदी ,बरेलवी ,सलफी,अहले हदीस .आदि -
शियाओं के फिरके -इशना अशरी ,जाफरी ,जैदी ,इस्माइली ,बोहरा ,दाऊदी ,खोजा ,द्रुज आदि
अन्य फिरके -अहमदिया ,कादियानी ,खारजी ,कुर्द ,और बहाई अदि
इन सब में इतना अंतर है की ,यह एक दुसरे की मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ते .और एक दुसरे की हदीसों को मानते है .सबके नमाज पढ़ने का तरीका ,अजान ,सब अलग है .इनमे एकता असंभव है .संख्या कम होने के से यह शांत रहते हैं ,लेकिन इन्हें जब भी मौका मिलाता है यह उत्पात जरुर करते हैं .
6 -इस्लाम अपने बिल में घुस जायेगा
मुहम्मद ने खुद ही इस्लाम की तुलना एक विषैले नाग से की है .इसमे कोई दो राय नहीं है .सब जानते हैं कि यह इस्लामी जहरीला नाग कितने देशों को डस चुका है .और भारत कि तरफ भी अपना फन फैलाकर फुसकार रहा है .लेकिन हम हिन्दू इतने मुर्ख हैं कि सेकुलरिज्म ,के नामपर ,और झूठे भाईचारे के बहाने इस इस्लामी नाग को दूध पिला रहे हैं .और तुष्टिकरण की नीतियों को अपना कर आराम से सो रहे है .आज इस बात की जरुरत है की ,हम सब मिल कर मुहम्मद की इस भविष्यवाणी को सच्चा साबित करदें ,जो उसने इन हदीसों में की थीं .-
"अबू हुरैरा ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,निश्चय ही एक दिन इस्लाम सारे विश्व से निकल कर कर मदीना में में सिमट जायेगा .जैसे एक सांप घूमफिर कर वापिस अपने बिल में घुस जाता है 'बुखारी -जिल्द 3 किताब 30 हदीस 100 .
"अब्दुल्ला बिन अम्र बिन यासर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जल्द ही एक ऐसा समत आयेगा कि जब लोग कुरान तो पढेंगे ,लेकिन कुरान उनके गले से आगे कंधे से निचे नहीं उतरेगी.और इस्लाम का कहीं कोई निशान नहीं दिखाई देगा "
बुखारी -जिल्द 9 किताब 84 हदीस 65
"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा है कि ,इस्लाम सिर्फ दो मस्जिदों (मक्का और मदीना )के बीच इस तरह से रेंगता रहेगा जैसे कोई सांप इधर उधर दो बिलों के बीच में रेंगता है "
सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 270 .
"इब्ने उमर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ऐसा निकट भविष्य में होना निश्चय है ,कि इस्लाम और ईमान दुनिया से निकलकर वापस मदीने में इस तरह से घुस जायेगा ,जैसे कोई विषैला सांप मुड़कर अपने ही बिल में घुस जाता है "
सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 271 और 272 .
अब हम देखते हैं कि मुसलमान इन हदीसों को झूठ कैसे साबित करते है . आज लीबिया ,यमन और दूसरे इस्लामी देशों में जो कुछ हो रहा है ,उसे देखते हुए यही प्रतीत होता है कि मुहम्मद साहिब की यह हदीसें एक दिन सच हो जायेगीं ,जिनमे इस्लाम के पतन और विखंडन की भविष्यवाणी की गयी है .!
http://www.faithfreedom.org/oped/AbulKasen50920.htm



अल्लाह को पहचान लो !

भारत में जितने भी धर्म है ,सब में ईश्वर के बारे में लगभग एकसी मान्यताएं और विश्वास है .और अनेकों संतों ,भक्तों ,कवियों और विद्वानों ने अपनी अपनी बुद्धि से ईश्वर के महानता और गुणों का बखान करने के किये हजारों ग्रन्थ लिखे हैं .फिर भी वह ईश्वर के गुणों का वर्णन नहीं कर सके . लेकिन मुहम्मद ,उसके साथियों और मुस्लिम उलेमा ने अपने अल्लाह की अपनी बुद्धि से जो वर्णन किया है ,वह अब तक लोगों को पता नहीं था .क्योंकि मुसलमान इसे छुपा लेते थे .अब मुसलमानों ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार दी है ,और सारी बातें इन्टरनेट पर डाल दी है .उसी से लेकर अल्लाह के बारे में कुछ जानकारी आपके सामने दी जा रही है .ताकि आप लोग अल्लाह के बारे में अपना भ्रम दूर कर सकें .कि क्या ऐसा अल्लाह भी ,ईश्वर हो सकता है .इसे गौर से पढ़िए -
1-अल्लाह ने जन्नत उँगलियों पर उठा रखी है
Allah is holding the earth and heaven on his fingers
हमारा ईमान है कि अल्लाह लोगों के बीच में उनके दिल आपस में बदलता रहता है .और अपनी एक उंगली से प्रथ्वी को और दूसरी से स्वर्ग को उठाये रखता है .
We read in Al-Tauhfa al-Madania by Hamad bin Nassir al-Mu'amar, page 131:
وندين أن الله تعالى مقلب القلوب وأن القلوب بين إصبعين من أصابعه وأنه يضع السموات على أصبع والأرضين على أصبع
“We believe that Allah almighty changes the hearts and the hearts are between two of his (Allah) fingers and he put the heavens on a finger and the earth on another finger”
2-अल्लाह मच्छर पर सवारी करता है
Allah travel over a mosquito
पता चला कि जब फ़रिश्ते उस तख़्त को उठाने में नाकाम हो गए ,जिस पर अल्लाह अपनी शानो शौकत से बैठता है ,तो उन्होंने झुक कर कहा इस भारी तख़्त को जमीन से उठाकर स्वर्ग तक लेजाने की ताकत हमारे अन्दर नहीं ,और सिवाय अल्लाह के कोई दूसरा इसे नहीं उठा सकता .तब अल्लाह एक मच्छर पर सवार हो गया ,जो उसे तख़्त के साथ उठाकर सातों आसमानों तक घुमाकर ले गया .तख़्त कितना भारी होगा
Imam Darami records in his book Aqa'id al-Salaf, page 443:
وقد بلغنا أنـهم -الملائكة- حين حملوا العرش وفــوقــه الجــبار في عزته وبـهائه ، ضعفوا عن حمله واستكانوا وحنوا على ركبهم حتى لقنوا ( لا حول ولا قوة إلا بالله ) فاستقلوا به بقدرة الله وإرادته ، ولولا ذلك ما استقل به العرش ، ولا الحملة ولا السماوات ولا الأرض ولا من فيهن . ولو قد شاء لاستقر على ظهر بعوضة فاستقلت به بقدرته ولطف ربوبيته ، فكيف على عرش عظيم أكبر من السماوات السبع ؟
"It has reached us that when the Angels lifted the throne while the almighty is on top of it in his might and glory, they were weak in lifting it, and they rested and bent onto their knees until they said (there is no might or power except with Allah) but they lifted it with His power and will, and if it wasn't for it (His power and will), it would not have been possible for the throne, or those that carry it or the skies or the earth or whoever is inside it. And if he so wished, he would have mounted on the back of a mosquito and she would have carried Him by His Divine Grace, so how about a great throne that is larger than the seven skies?
3-अल्लाह को मोटापे की बीमारी है
Allah suffers from weight gain
खालिद बिन मदान ने कहा जब से दुनिया बनी है,तख़्त पर अल्लाह का वजन बढ़ता जा रहा है .और उसे मोटापे की बीमारी हो गयी है
We read in Al-Sunnah by Abdullah Ibn Ahmad ibn Hanbal, page 161:
خالد بن معدان انه كان يقول أن الرحمن ليثقل على حملة العرش من أول النهار
Khalid bin Madaan said: ‘Allah's weight becomes heavy on the throne in the beginning of the day’
4-अल्लाह जहन्नम में रह चुका है
Allah is in hell
रसूल ने कहा कि जब लोगों को जहन्नम की आग में झोंका जायेगा तो ,आग कहेगी क्या अभी और लोग भी आने वाले हैं .लेकिन जब अल्लाह जैसे ही अपना पैर उस जहन्नम की आग में रखेगा तो वह कहेगी बस ,बस ,काफी हो गया .
( उस दिन जहन्नम से पूछा कि क्या तू भर गयी है ?वह बोली अभी कुछ और लोग चाहिए .कुरआन .सूरा -काफ 50 :30 )
We read in Sahih Bukhari that the Prophet (saws) said:
" "سيتم يكب الناس في النار (جهنم)، وسوف يقول :" هل هناك أي أكثر (في المستقبل(50:30) حتى يضع الله قدمه عليها، وسوف يقول "القات القات!" (كفى! كى!) " "
"The people will be thrown into the (Hell) Fire and it will say: 'Are there any more (to come)?(50:30) till Allah puts his foot over it and it will say 'Qat! Qat!" (Enough! Enough!)"
Sahih Bukhari Arabic-English Volume 6 hadith number 371 translated by Dr Muhsin Khan
5-अल्लाह चकित हो जाता है
Allah wonders
आश्चर्यचकित होजाना अल्लाह की विशेषता है ,जो कुरान और हदीसों से साबित है.
We read in Sefat Allah by Alawi al-Saqaaf, page 58:
التَّعَجُّبُ صفةٌ فعليَّةٌ خبريَّةٌ ثابتةٌ لله عَزَّ وجَلَّ بالكتاب والسنة.
“Wondering is a quality of Allah proven by Quran and Sunnah”
6-अल्लाह को शर्म आती है
Allah possesses shy qualities
शर्मा जाना (लज्जित होजाना ) अल्लाह की विशेषता है ,जो कुरान और हदीसों से साबित है
We read in Sefat Allah by Alawi al-Saqaaf, page 86:
الْحَيَاءُ وَالاسْتِحْيَاءُ صفةٌ خبريَّةٌ ثابتةٌ لله عَزَّ وجَلَّ بالكتاب والسنة
“Shyness is a quality of Allah proven by the Quran and Sunnah”.
7-अल्लाह एक वस्तु और एक व्यक्ति है
Allah is a ‘thing’ and a ‘person’

अल्लाह को व्यक्ति या "शख्स "कहने की अनुमति है .
We read in Sefat Allah by Alawi al-Saqaaf, page 125:
يجوز إطلاق لفظة (شخص) على الله عَزَّ وجَلَّ
“It is permissible to use the word (person) for Allah almighty”
अल्लाह को एक चीज "शय "कहने की अनुमति है ,यह अल्लाह का गुण है
On page 130, we read:
يصح إطلاق لفظة (شيء) على الله عَزَّ وجَلَّ
“It is permissible to use the word (a thing) to qualify Allah almighty.”
8-अल्लाह हरेक बुराई की जड़ है
Allah is the root source of acts of polytheism, fornication and homosexuality
इमाम अबू हनीफा ने अपनी मसनद में लिखा है कि फ़रिश्ते ,नबी ,किताबें अच्छाइयां और बुराइयां सब अल्लाह भेजता है .और शिर्क ,व्यभिचार और समलैंगिकता की जड़ अल्लाह ही है .
In the recognized Ahl'ul Sunnah work Musnad Abu Hanifa, page 152 we read:
الإيمان بالله وملائكته وكتبه ورسله والقدر خيره وشره من الله
"Iman is to believe in Allah, His angels, His books, His messengers, qadr, the good and the evil is all from Allah”
Musnad Abu Hanifa, page 152



इब्ने उमर ने कहा ,एक आदमी अबू बकर के पास गया और बोला ,क्या आप मानते हैं की व्यभिचार भी अल्लाह के आदेश से होता है .अबूबकर ने कहा ,हाँ ,तब वह बोला अब मैं देखता हूँ कि तुम मुझे सजा क्यों देते हो .अबू बकर ने कहा खेना के बेटे एक आदमी मेरे साथ है ,जो तेरी नाक तोड़ देगा .
Similarly Allamah Hibatullah Lalkai (d. 418 H) records:
Ibn Umar said: ‘A man came to Abu Bakr and asked: ‘Do you believe that adultery is from God?’ He (Abu Bakr) replied: ‘Yes’. He said: ‘God will make me do it and then will punish me?’ He (Abu Bakr) replied: ‘Yes, Oh son of Khena, by Allah if there was a man with me I would order him to smash your nose’.
وقال بن عمر : "جاء رجل إلى أبي بكر وسأل :" هل تعتقد أن الزنا هو من عند الله "إنه (أبو بكر) فأجاب :" نعم ". وقال : "الله سيجعل لي بذلك ، وبعد ذلك سوف يعاقبني؟" انه (أبو بكر) فأجاب : "نعم ، يا ابن ، والله لو كان هناك رجل معي أود أن تأمره لسحق ' .
मुझे तो ऐसा लगता है कि मुसलमान अल्लाह की तारीफ़ नहीं बल्कि बुराई कर रहे है और उसके दुर्गुणों का प्रचार कर रहे हैं सछ बात तो यह है कि कोई अल्लाह जैसी चीज नहीं है .अल्लाह के नाम से कोई चालाक व्यक्ति अनपढ़ ,मूर्ख ,उज्जड और लालची अरब के लोगों को मुर्ख बनाता था ,और उनको आतंक ,लूट ,हत्या ,और बलात्कार के लिए प्रेरित करके अपना उल्लू सीधा करता रहता था .
आज भी मुसलमान इसी अल्लाह के नाम पर धोखा खा रहे हैं ,और लोगों को धोखा दे रहे है .इस अल्लाह से दूर रहिये .
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