विश्व के सभी धर्मग्रंथों में शराब पीने और पिलाने को दुर्गुण और पाप कहा गया है .शराब पीनेवालों की निंदा की गयी है .लोग शराबियों को समाज से बहिष्कृत कर देते हैं .शराबियों पर कोई विश्वास नहीं करता .लेकिन कुरान में उन लोगों को जन्नत में शराब पिलवाने का वादा किया गया है ,जो अल्लाह और रसूल पर ईमान रखेंगे .और कट्टर मुसलमान होंगे .
जब हमने इस विषय पर एक लेख लिखा था ,तो मुस्लिम मित्रों ने इस बात पर पर्दा डालने के लिए अजीब से कमेन्ट दिए थे ,जैसे जन्नत की शराब में नशा नहीं होता ,कुरआन में शराब नहीं जूस पिलाया जाएगा .हमने आयातों का गलत अर्थ किया है .लोगों ने तो यहांतक कह दिया कि हम खुद शराब पीकर लिखते हैं .और शराब पीते है .
अब हम सबूत देते हैं ,कि मुहम्मद शराब पीता ,शराब से वजू करता था ,और शराब से रोजा खोलता था .यही नहीं उसके सहाबी भी शराब पीते थे और शराब बनाते भी थे ..प्रमाण के लिए हिन्दी ,अरबी और अंगरेजी सबूत दिए जा रहे है -
1 -मुहम्मद शराब का शौकीन था .
"जाबिर बिन अब्दुलाह ने कहा कि ,रसूल ने मुझ से कुछ चीज पीने के लिए लाने को कहा.मैंने पूछा कि "क्या मैं आपके लिए "नबीज़(शराब ) दूँ ,रसूल ने कहा हाँ वही लाओ .थोड़ी देर बाद जब मैं नबीज़ (शराब )ल एक बर्तन में लेकर आया तो ,रसूल ने पूछा कि जबीर क्या तुमने बर्तन को पत्तों और टहनियों से ठीक से ढका कर लाया .(ताकि किसी को पता न चले )मैंने कहा हाँ .मैं छुपा कर लाया हूँ .यह सुन कर रसूल ने बर्तन लेकर नबीज(शराब )पी ली .मुस्लिम -किताब 1 हदीस 3753
अब आप इसे अरबी के साथ देखिये -
شرب النبيذ وتخمير الإناء الأشربة صحيح مسلم
حدثنا أبو بكر بن أبي شيبة وأبو كريب واللفظ لأبي كريب قالا حدثنا أبو معاوية عن الأعمش عن أبي صالح عن جابر بن عبد الله قال كنا مع رسول الله صلى الله عليه وسلم فاستسقى فقال رجل يا رسول الله ألا نسقيك نبيذا فقال بلى قال فخرج الرجل يسعى فجاء بقدح فيه نبيذ فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم ألا خمرته ولو تعرض عليه عودا قال فشرب
Sahih Muslim: "Drinks, Drinking wine and fermentation"
Narrated by Gaber bin Abdullah:
We were with the messenger of Allah, PBUH and he asked for a drink. One of his men said: "Oh Messenger of Allah, Can we offer you wine to drink?" He said Yes. He (Gaber) went out looking for the drink and came back with a cup of wine. The messenger (Peace Be Upon him) asked, “Have you covered it with a twig in a transverse manner” He (Gaber) said, “Yes” and he (Muhammad) drank.
Sahih Muslim - Hadith #3753
2 -मुहम्मद ने शराब से वजू किया
"अब्दुल्लाह बिन मसूद ने कहा कि ,वह रसूल के पास था .रसूल ने वजू के लिए पानी का बर्तन लाने को कहा मैंने कहा कि बर्तन में तो शराब रखी है ,रसूल ने कहा कि तुम वही बर्तन लाओ ,मुझे वजू करना है .फिर रसूल बोले ,अय अब्दुल्लाह बिन मसूद शराब तो एक पेय है ,जो सिर्फ शुद्ध करती है .फिर रसूल ने उसी से वजू किया "
حدثنا يحيى بن إسحاق حدثنا ابن لهيعة عن قيس بن الحجاج عن حنش الصنعاني عن ابن عباس عن عبد الله بن مسعود رضي الله عنهما أنه كان مع رسول الله صلى الله عليه وسلم ليلة الجن فقال له النبي صلى الله عليه وسلم يا عبد الله أمعك ماء قال معي نبيذ في إداوة فقال اصبب علي فتوضأ قال فقال النبي صلى الله عليه وسلم يا عبد الله بن مسعود شراب وطهور
Narrated by Abdullah bin Masoud (May God be pleased with him):
He was with the Messenger of Allah peace be upon him on the night of the jinn when he asked him if he had water. He answered that he had wine in a pot. Mohammed said: Pour me some to do ablution and he did. [The] Prophet peace be upon him [said]: "O Abdullah bin Masood it is a drink and a purifier."
Musnad Ahmad - Hadith #3594
3 -रसूल के लिए शराब बनतीथी
"इब्ने अब्बास ने कहा कि रसूल के लिए "नबीज़ "बनाई जाती थी ,जिसे ऊंट के छाडे की कुप्पी में भरकर रात को रसूल के घर भेज दिया जाता था ,रसूल सोमवार कि रात से मंगल कि दोपहर तक शराब पीते थे .अगर बच जाती थी .तो गुलामों को दे देते थे .या लुढ़का देते थे "
सही मुस्लिम -किताब 23 हदीस 4972 ,और 4974
4 -नबीज़ क्या है
नबीज खजूरों को सडा कर उसमे खमीर उठाकर बनाई गयी तेज शराब होती है अंगरेजी में इसे Wine कहते हैं
All of the following dictionaries confirm that نبيذ (nabidh) means Wine:
अरबी शब्दकोश لسان العرب लिसानुल अरब में نبيذ नबीज़ का अर्थ الخمر अल खमर यानी शराब है मुहम्मद वहीपीता था
5 -मुहम्मद ने शराब से रोजा खोला
"अबू हुरैरा ने कहा कि ,जब रसूल रोजे में होते थे तो मई उनका इंतजार करता था कि ,वे रोजा कब खोलें ,और जब वह रोजे में नही होते थे ,मैं उनको नबीज पेश कर देता था .मैं नबीज तभी देता था जब वह अच्छी तरह से तय्यार हो जाती थी .रसूल कहा करते थे कि यह नबीज उन्हीं लोगों के लिए है जो अल्लाह और आखिरत पर ईमान रखते हैं ,सुन्ननअबू दौउद -किताब 26 हदीस 3707
6 -जिहादी शराब पीते थे
"जिहाद के समय जिहादी शराब पी लेते थे .उहद के युद्ध में जिहादी शराब के नशे में थे .इसलिए जमकर लड़े और कई काफिरों को लड़ाई में क़त्ल किया ..बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 70
7 -सहाबी छुप कर शराब लाते थे
"जब शराब हराम हो गयी तो ,"अनस बिन मलिक"अंसारो को शराब पहुंचाता था .मुस्लिम -किताब 23 हदीस 4884 और 4885
"अनस बिन मलिक ने कहा कि कुछ जिहादी मेरे पास आये और फदीख Fadikh (यह भी शराब है )मांगी मैंने मुआद बिन जबल ,अबू दुजन्ना और अबू तल्हा को शराब पिलायी ..मुस्लिम -किताब 23 हदीस 4886
8 -सहाबी शराब किस से बनाते थे
"इब्ने उमर ने कहा कि जब शराब हराम हो चुकी तो हम मदीना में इन पाच चीजों से शराब बनाते थे -1 अंगूर 2 पके खजूर 3 गेंहूँ 4 जौऔर स्वाद के लिएकभी कभी शहद भी मिला देते थे .बुखारी -जिल्द 7 किताब 69 हदीस 487
"अनस बिन मलिक ने कहा कि हम पके खजूरों से जो शराब बनाते थे ,उस से तेज नशा होता था .बुखारी -जिल्द 7 किताब 69 हदीस 489
9 -रसूल ने शराब पीने की अनुमति दी
"जबीर ने कहा कि जब शराब हराम हो गयी तो अंसारों के पास शराब भरी पड़ी थी .वे रसूल से बोले हम इस शराब को बर्बाद नहीं करना चाहते .हम इसके बिना नहीं रह सकते .रसूल ने कहा तब तुम इसका इस्तेमाल कर सकते हो .बुखारी -जिल्द 7 किताब 69 हदीस 496
अब इस सारे विवरण से साफ़ हो जाता है कि ,इस्लाम में दोगलापन है .कुरआन में सूरा-अल मायदा 5 :90 में शराब पीने को शैतान का काम बताया गया है क्या .हमें शराबी कहने वाले मुस्लिम ब्लोगरों में इतनी हिम्मत है कि शराब पीनेवाले नकली रसूल मुहम्मद को शैतान कह दें .अगर नहीं तो हमें उपदेश देना बंद करे .कांच के मकान में रहने वाले दूसरों पर पत्थर नहीं फेकते .पहिले ठीक से हदीसें पढो
बलात्कारी रसूल :इस्लामी बलात्कार विधि
सम्पूर्ण इस्लाम केवल इन पांच शब्दों में समाहित है .अय्याशी ,आतंक ,बलात्कार ,लूट और ह्त्या.केवल इन्हीं शब्दों से आप इस्लाम को आसानी से समझ सकते हैं मुसलमान सही कहते हैं कि मुहम्मद जैसा (xxx )कोई न तो हुआ है और न होगा .मुहम्मद इन शब्दों का साक्षात स्वरूप है .अपनी ग्यारह पत्निया और कई रखेलों के अलावा कई दासियों से भी उसकी वासना शांत नहीं होती थी .और मरते दम तक बनी रही ,इसके लिए वह अक्सर "गज़वा"यानी लूट पर निकल जाता है .और लोगों से कहता था कि मुझे अभी अभी अल्लाह का आदेश मिला है .लोग धन और औरतों के लालच में इस गज़वा में शामिल हो जाते थे .मुहम्मद ने ऐसे कई गज़वा यानी लूट अभियान किये थे .हम एक का विवरण दे रहे हैं -
1 -मुहम्मद को औरतें क्यों चाहिए थीं
"अबू हुरैरा से रिवायत है ,रसूल ने कहा औरतें चार कारणों से पकड़ी जाती हैं ,उनका धन (कीमत )उनका खानदान (प्रतिष्ठा बढ़ने हेतू )उनकी सुन्दरता (अय्याशी के लिए )और उनका धर्म .बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 27
मुहम्मद जब भी लूट पर जाता था ,तो उसका लक्ष्य धन के साथ औरतें भी थीं इसके लिए वह निर्दोषों की ह्त्या तक करवा देता था .
2 -बनू कुरैज़ा हत्याकांड
सन 628 में मुहम्मद अपने हजारों लोगों के साथ मदीना से 90 मील दूर बनू कुरेजा नामके एक यहूदी कबीले पर लूट के लिए गया .कबीले के सरदार "किनाना इब्न अल रबी इब्न अबू अल हयाक"की शादी एक दिन पाहिले ही हुई थी .उसकी 20 साल की सुन्दर पत्नी "जुबैरिया बिन्त हारिस इब्न अल मुस्तालिक "से हुई थी जो सन 608 में मदीना में पैदा हुई थी .कनाना धर्मगुरु और कबीले का सरदार था .
3 -मुहम्मद ने अचानक हमला करवाया .
"इब्ने ओन ने कहा कि ,रसूल ने बनू कुरेजा पर बिना कारण अचानक हमला करवाया .उस समय कबीले के लोग जानवरों को पानी पिला रहे थे .बच्चे खेल रहे थे ,औरते कम में लगी थी .नबी के हुक्म से हम लोग मर्दों ,बच्चों को क़त्ल करने लगे .और औरतों को पकड़ने लगे .बिलाल और इब्ने उमर जुबैरिया को नबी के हवाले कर दिया .नबी को वह पसंद आगयी .बुखारी -जिल्द 3 किताब 46 हदीस 417
4 -लूट में मुहम्मद भी शामिल था
"ओन ने कहा कि इस लूट में अधिकाँश लोग मारे गए जिनमे बड़े बच्चे भी थे औरते जब भाग रही थीं नबी ने जुबैरिया को पकड लिया ,और नबी ने अब्दुला बिन उमर को और औरतें पकड़ने को कहा .मुस्लिम -किताब 19 हदीस 4292
5 - किनाना पर अत्याचार .
"नबी ने जुबैर बिन अल अव्वाम को हुक्म दिया कि किनाना के सीने पर आग जला दो .जब किनाना अधमरा हो गया तो रसूल ने "महमूद बिन मुसलामाह "से किनाना का सर कटवा दिया .(Life of muhammad -0xford -page 515
6 -मुहम्मद की जुबैरिया से शर्त
"जुबैरिया काफी सुन्दर थी .जब जुबैरिया ने अपना परिचय दिया तो मुहम्मद ने जुबैया से सौ लोगों की जान के बदले उसी समय सम्भोग करवाने की नीचतापूर्ण शर्त रख दी .विवश होकर जुबैरिया मान गयी .अबू दौउद -किताब 29 हदीस 3290
7 -जुबैरिया मुहम्मद को टालती रही .
मुहम्मद जुबैरिया से उसी समय सम्भोग करना चाहता ,लेकिन जुबैरिया बहाने करतीरही कि उसका उपवास है .
"जुबैरिया ने मुहम्मद से बहाने के लिए उपवास शुरू कर दिया ,लेकिन नबी ने उसका उपवास जबरन तुड़वा दिया .और जुबैरिया को शादी के बहाने उसी समय सम्भोग के लिए विवश कर दिया .बुखारी -जिल्द 3 किताब 31 हदीस 207
8 -साफिया के साथ बलात्कार .
उसी लूट में "साफिया बिन्त हुहीय "नामकी एक और लड़की भी मुहम्मद के हाथ आयी .वह किनाना की Chief Mistress थी साफिया सन 610 में पैदा हुई थी .जब मुहम्मद लूट के बाद अपने लुटेरों और पकड़ी गयी औरतों को लेकर वापस मदीने जा रहा था .वह रास्ते में "सिद्द अश्शाबा "नामकी जगह पर ठहर गया .उसने अपने गुलाम "बिलाल "से कहा कि बनू कुरेजा की किसी सुन्दर औरत को लाओ .बिलाल ने साफिया को पेश कर दिया .बुखारी -जिल्द 2 किताब 14 हदीस 68 और लाइफ ऑफ़ मुहम्मद ऑक्सफोर्ड .पेज 391 ,392
9 -रास्ते में ही बलात्कार
मुहम्मद ने मदीना पहुँचाने तक सब्र नहीं किया .और तुरंत बलात्कार कर डाला .इसकी कई हदीसें है ,कुछ दे रहे हैं .
"मुहम्मद ने बिलाल से एक चमड़े का गद्दा बिछाने को कहा ,जिसमे खजूर के पत्ते कूट कर भरे थे .रसूल ने साफिया को उसी पर गिरा कर सबके सामने सम्भोग किया .मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3329
बुखारी -जिल्द 1 किताब 8 हदीस 367
बुखारी -जिल्द 3 किताब 34 हदीस 437
बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 512
10 -मुहम्मद की इस्लामी बलात्कार की विधि
चूकी मुहम्मद पकड़ी गयी जादा औरतों से बलात्कार करके उन्हें या तो अपने लोगों में बाँट देता था या बेच देता था .वह औरतों को गर्भवती नहीं होने देता था .गर्भवती औरतों की कीमत कम हो जाती थी .इसके लिए मुहम्मद सम्भोग में "अज़ल "करता था .इसमे सम्भोग के बाद स्खलन से पूर्व अपना वीर्य जमीन पर गिरा दिया जाता है .पुरी विधि यह है -
Al-'Azl, (العزل) also known as coitus interruptus, is the practice of having sexual intercourse with a woman but withdrawing the penis before ejaculation. Apparently al-'Azl with female captives and slaves was a pretty important topic for Muhammad and his companions as is evidenced by the abundance of Hadith material on the सुब्जेक्ट
11 -अज़ल के समय कुरआन नाजिल होती थी
"जबीर ने कहा कि ,जब भी रसूल अज़ल करते थे कुरआन की आयत नाजिल होती थी .बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 136
"रसूल दासियों के साथ अज़ल करते थे ..बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 135
"अबू सईद ने कहा कि नबी ने कहा कि गुलाम औरतों से अज़ल जायज है .अल्लाह ने औरतों को इसी लिए बनाया है
अबू दौउद -जिल्द 11 किताब 21 हदीस 66
12 -औरतें खेती है ,पानी डालो या सूखा छोड़ दो
"जिद बिन साबित से रिवायत है ,रसूल ने कहा दासियाँ खेती है .तुम चाहो पानी डालो या नही .मुवात्ता -जिल्द 29 किताब 32 हदीस 99
13 -बलात्कार जायज है
"तुम्हें पकड़ी गई औरतों से पूछने की जरूरत नही है कि वह सम्भोग के लिए राजी हैं या नहीं .तुम जबरदस्ती सम्भोग कर सकते हो ..उनकी इच्छा का कोई महत्त्व नहीं है .मुवात्ता -जिल्द 29 किताब 32 हदीस 100
अन्य हदीसें भी देख लीजिये -
मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3394 ,3373 ,3374 मुवात्ता -जिल्द 29 किताब 32 हदीस 96 ,97 मुवता -जिल्द 8 किताब 23 हदीस 25
अब इतने प्रमाण होने पर भी लोग मुहम्मद को आदर्श पुरुष साबित करना चाहते हैं और दूसरों को नीचा साबित करना चाहते है .मुहम्मद पर तो "दरूद "तारीफ़ की जगह "मरदूद "करना चाहिए .
मेरा मुस्लिम महिला ब्लोगरों से निवेदन है कि यह लेख जरुर पढ़ें .और प्यारे रसूल के बारे में महिलाओं को बता कर सवाब कमायें .
http://wikiislam.net/wiki/Al-'Azl
अल्लाह उसके नबी और फ़रिश्ते सब मुशरिक !
अपने प्रारम्भ से ही इस्लाम दुनिया के लिए विनाश का कारण बना हुआ है .इस्लाम की शिक्षा के कारण कई देश बर्बाद हो गए और करोड़ों निर्दोष लोग मारे गए हैं .आज भी यह सिलसिला जारी है .पहिलेजो लोग अपने अपने धर्म और सदाचार का पालन करते थे .उन्हें सब धार्मिक कहते थे .और उनका आदर करते थे .
लेकिन जब मुहम्मद ने इस्लाम बनाया तो ,एक ही झटके में दुनिया की तत्कालीन आबादी की 90 प्रतिशत को काफिर और मुशरिक घोषित कर दिया .मुहम्मद ने कुरान में ऎसी ऎसी परिभाषाएं गढ़ दीं जिसके अनुसार काफिरों और मुशरिकों (गैर मुस्लिमों )के लिए सिर्फ दो ही विकल्प हैं, कि यी तो वे इस्लाम कबूल करें या क़त्ल कर दिए जाएँ .चाहे उन्होंने अल्लाह और मुहम्मद का कुछ भी नहीं बिगाड़ा हो .इस्लामी कानून के अनुसार फाफिर और मुशरिक "बाजिबुल क़त्ल "हैं हम आपको काफिर और मुशरिक की परिभाषा दे रहे हैं -
1 -कुफ्र और काफिर -
विसे तो काफिर का अर्थ नास्तिक Infidels या Non beliebers भी होता है .लेकिन इस्लाम में काफिर उसे कहते है ,जो अल्लाह को नहीं मानता हो .चाहे वह ईश्वर या God को मानता हो .अगर कोई अल्लाह के साथ रसूल ,आखिरत ,और कुरआन को नहीं माने तो वह भी काफ़िर होगा और अगर कोई अल्लाह की सिफात (गुणों )से इंकार करे तो वह भी काफिर होगा .
2 -शिर्क और मुशरिक -
शिर्क का अर्थ वहुदेववाद Polytheism है .इसके अनुसार अल्लाह के अलावा किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु की उपासना करना ,उसकी स्तुति करना या उसका वंदन करना शिर्क है "Association of Allah with non divine beings and worship and honour such beings .इसके अलावा अल्लाह के सिवा किसी दुसरे की शपथ (swearing )भी शिर्क है .जो भी शिर्क करता है उसे मुशरिक कहा जाता है .
शिर्क ऐसा महा पाप या अपराध है जिसे अल्लाह कभी माफ़ नहीं करेगा .देखिये कुरआन क्या कहती है-
"जो अल्लाह का प्रतिद्वंदी ठहराएगा ,जहन्नम में जाएगा .सूरा -इब्राहीम 14 :30
"अल्लाह इसको माफ़ नहीं करेगा कि उसका सहभागी ठहराया जाये -सूरा अन निसा 4 :48
"जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक करेगा उसपर अल्लाह जन्नत हराम कर देगा .सूरा -अल मायदा 5 :72
"बेशल अल्लाह इस बात को माफ़ नहीं करेगा कि उसके साथ किसी को शरीक किया जाए .सूरा अन निसा 4 :116
"अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करें .सूरा -हूद 11 :2
3 -अल्लाह के सिवा किसी और की कसम खाना भी शिर्क है
"अरब लोगों में बात बात पर कसम खाने की आदत थी .वे अपने देवताओं ,और माँ बाप की कसम खाते थे ,मुहम्मद ने उनको रोका और कहा कि अल्लाह के सिवा किसी और की कसम खाना शिर्क है .और गुनाह है .देखिये हदीस -
"अब्दुल रहमान बिन समूरा से रिवायत है कि रसूल ने कहा कि अलाह के अलावा किसी की कसम खाना शिर्क है .
सहीह मुस्लिम किताब 15 हदीस 4043
रसूल ने ऊमर बिन खाताब से कहा कि अल्लाह ने तुम्हें तुम्हारे माँ बाप की कसम खाने से मना किया है .जब भी कसम खाओ तो अलाह की खाओ .किसी दुसरे की कसम खाना शिर्क है .बुखारी जिल्द 8 किताब 78 हदीस 641 "
इसी तरह और हदीसें हैं ,जिन में अल्लाह के अलावा किसी और की कसम खाना शिर्क बताया गया है -देखिये
बुखारी जिल्द 3 किताब 48 हदीस 844
बुखारी जिल्द 5 किताब 58 हदीस 177
अब आप यह ध्यान से पढ़ने के बाद दी जा रही बातों पर फैसला करिए -
1 -फरिश्तों ने इंसान (आदम )को सिजदा किया
"हमने फरिश्तों से कहा कि आदम (एक मनुष्य )को सिजदा करें ,सबने सिजदा किया .सूरा -बकरा 2 :34
"सभी फरिश्तों ने आदम को सिजदा किया .सूरा -अल हिज्र 15 :30
2 -जादूगरों ने मूसा (एक नबी )को सिजदा किया -
"और जादूगर मूसा के आगे सिजदे में गिर पड़े .सूरा अल आराफ 7 :120
3 -यूसुफ (एक नबी )ने माँ बाप को सिजदा किया .
'जब वह मिस्र पहुंचे तो अपने माँ बाप को सिंहासन पर बिठाया और उनके सामने सिजदे में झुक गए .सूरा -यूसुफ 12 :100
(यूसुफ इब्राहीम के बेटे इशाक का नाती और याकूब का बेटा था यह सभी रसूल या नबी थे )
4 -मुहमद अल्लाह के साथ अपनी स्तुति "तस्बीह "करवाता है -
"तुम लोग अल्लाह के साथ उसके रसूल पर ईमान लाओ .और उसकी मदद करो, और उसकी (रसूल की )प्रतिष्ठा बढाओ.औए सवेरे शाम उसकी तसबीह (स्तुति )करते रहो .सूरा -अल फतह 48 :9
5 -अल्लाह खुद अन्य वस्तुओं की कसम खाता है -
अलाह दूसरोको किसी अन्य वस्तु की कसम खाने से रोकता है ,लेकिन खुद इसका उलटा करता है .अल्लाह को बात बात पर कसम खाने की लत पड़ी है ,वह अपनी कसम नही खाकर दूसरी चीजों की कसम खाता है .देखिये -
तारों की कसम .सूरा अन नज्म 53 :1
सूरज की कसम सूरा शम्श 91 :1 -2
आकाश की कसम सूरा -अल बुरूज 85 :1
रात की कसम सूरा -अत तारिक 86 :1
जब खुद अल्लाह और उसके फ़रिश्ते ,उसके नबी और मुहम्मद सब शिर्क कर रहे हैं .तो गई मुस्लिमों को मुस्लिमों को मुशरिक का काफिर क्यों कहा जाता है .इस्लाम में यह दोगली नीति क्यों है ?
'अल्लाह 'ईश्वर नहीं है !!
जो लोग अज्ञानवश "ईश्वर अल्लाह तेरे नाम "का भजन करते रहते हैं ,शायद उनको ईश्वर की महानता शक्तियों और गुणों के बारे में ,और अल्लाह की तुच्छता और अवगुणों के बारे में ठीकसे पता नहीं है .ईश्वर असंख्य अल्लाह पैदा कर सकता है .क्योंकि असल शब्द अल्लाह नहीं "अल -इलाह "है देखिये कुरआन की पारिभाषिक शब्दावली पेज 1223 और 1224 पर शब्द "इलाह "
इलाह का अर्थ देवता या "god "है
मुहमद के समय अरब में मूर्तिपूजा प्रचलित थी. अकेले काबा में 360 देवता थे हरेक कबीले का अलग अलग देवता था .लोग अपने लड़कों का नाम अपने देवता के नाम से जोड़ देते थे .तत्कालीन अरब इतिहासकार "हिश्शाम बिन कलबी "ने अपनी किताब "किताब अल असनाम "जिसे अंगरेजी में "Book of Idols "भी कहा जाता है अरबों के देवताओं के बारे में विस्तार से लिखा है ,उस से कुछ देवताओं के बारे में दिया जा रहा है .
1 -अरबों के देवता और उनका स्वरूप
अरबों के देवता कई रूप के थे जैसे मनुष्य ,स्त्री ,पशु ,या पक्षी आदि ,कोई आकाश वासी था ,कोई यहीं रहता था .कुछ नाम देखिये -
वद्द-मनुष्य ,सु आ अ -स्त्री ,यगूस-शेर ,याऊक -घोड़ा ,नस्र-बाज ,इसी तरह और देवता थे जिनका नाम कुरआन में है ,जैसे लात ,मनात ,उज्जा और मनाफ .कुरआन में लिखा है -
"क्या तुमने लात ,मनात ,एक और उज्जा को देखा .सूरा -अन नज्म 53 :19 -20
इसी तरह एक और देवता था जिसका नाम "इलाह "था जो चाँद पर रहता था वह "Moon god "था उसका स्वरूप "अर्ध चंद्राकार cresent जैसा था चाँद में रहने के कारण उसकी मूर्ति काबे में नहीं राखी जाती थी ,इलाह विनाश का देवता था .और बड़ा देवता था .
2 -मुहम्मद के पूर्वजों के देवता -
मुहम्मद के पूर्वजों के नाम भी उनके देवता के नाम पर थे जैसे मुहम्मद के परदादा का नाम "अब्द मनाफ़ "था यानी मनाफ़ का सेवक मुहम्मद की पत्नी खदीजा की देवी का नाम "उज्जा 'था इसलिए खदीजा के चचेरे भाई के नाम में नौफल बिन अब्द उज्जा लगा था ,जब मुहम्मद के पिताका जन्म हुआ तो उसका नाम "अब्द इलाह "रखा गया था यानी इलाह देवता का सेवक .यह नाम बिगड़ कर अबदल्ला हो गया था
3 -कुरआन में इलाह का वर्णन -
"अल -इलाह एक बड़े सिंहासन का स्वामी है -सूरा अत तौबा 9 :129
"वह महाशाली एक सिंहासन पर बैठता है -सूरा अल मोमनीन 33 :116
"इलाह एक ऊंचे सिंहासन पर बैठता है "सूरा -अल मोमिन 40 :१५
4 -इलाह से अल्लाह कैसे बना ?
अरबी भाषा में किसी भी संज्ञा (Noun )के आगे Definit Article अल लगा दिया जाता है .इसका अर्थ "the "होता है मुहम्मद ने "इलाह "शब्द के आगे "अल "और जोड़ दिया .और "अल्लाह "शब्द गढ़ लिया .वास्तव में इलाह शब्द हिब्रू भाषा का है ,इसका वही अर्थ है जो अंगरेजी में "god "का है .इलाह को बाइबिल में "अजाजील "भी कहा गया है ,यानी विनाश का देवता -बाइबिल -लेवी अध्याय 16 :8 -10 -26
5 -मुहम्मद की कपट नीति
पाहिले मुहम्मद सभी देवताओं को समान बताता था और लोगों से यह कहता था ,कि-
"हमारा इलाह (देवता )और तुम्हारा इलाह एक ही हैं .सूरा -अनकबूत 29 :46
6 -अरब में तीन काबा थे
एक काबा मक्का में था .जो मुहम्मद के कबीले 'कुरेश 'के कब्जे में था दूसरा काबा नजरान मेंजो बहरीन केथा पास था ,तीसरा काबा सिन्दादका था जो कूफा और बसरा के बीच स्थित थाइनसे चढ़ौती में काफी धन आता था कुरेश मक्का के काबे से जो मिलता था उस से रोजी चलाते थे .जैसा कुरआन में लिखा है -
"क्या हमने तुम्हें यह जगह (काबा )नहीं बनादी ,जिस से लोगों की कमाई खिचकर तुम्हारे पास चली आती है ,और तुम्हारी रोजी रोटी आराम से चलती है "सूरा -अल कसस 28 :57
7 -अल इलाह की इबादत क्यों
जब दूसरे काबे बन गए तो कुरेश की कमाई कम होने लगी .और मुहमद भी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगा .उसने लोगोंपर दवाब डाला की वे केवल "अल -इलाह "की इबादत करें उसने कुरआन में यह कहा -
"तुम्हारा पूज्य केवल इलाह ही है सूरा -अल बकरा 2 :163 ऎसी कई आयतें है -
8 -मुहम्मद ने काबा की मूर्तियाँ क्यों तोडी ?
मुहम्मद को अपने कबीले कुरेश से लगाव था ,जब कुरेश की कमाई कम होने लगी और कमाई में कई कबीले हिस्सेदार बन गए तो मुहमद ने सारी मूर्तियाँ तुड़वा दीं.ताकी पूरी कमाई कुरेश के पास आने लगे ,कुरआन में उसने यह लिख दिया -
"मैंने कुरेश के साथ सम्बन्ध (Attachment )रखा ताकि वे मेरे कारवां को यात्रा के समय सर्दी और गरमी से बचाएं ,इसीलिए मैंने कुरेश को इस घर (काबा )की पूजा के लिए नियुक्त कर दिया .और उनको भूखों मरने से बचाया ,और भय से मुक्त कर दिया .सूरा कुरेश 106 :1 से 4
9 - मुसलमानों ने काबा को लूटा
अरब के लोग जनम से लुटेरे हैं .वह लालच के लिए कुछ भी कर सकते हैं .जब उन्हें पता चला कि काबा में बड़ी संपदा है .तो वे मुसलमान होने के बावजूद काबा पर हमला कर बैठे .सन 930 में इस्माइली मुसलमानों के एक योद्धा "अबू ताहिर अल जन्नवी"ने काबा को लूट लिया और बीस हजार हाजियों को क़त्ल करके उनकी लाशों से "आबे जमजम "का कुआ भर दिया .यही नहीं काबा में जो कला पत्थर "संगे असवद"लगा हुआ था उसे उखाड़ कर "अल हिसा "नामकी जगह पर ले गया .और उस काले पत्थर को नापाक कर दिया .यह जगह बहरैन के पास है .सन 952 तक वह पत्थर अल हिसा में रहा और 22 साल तक मक्का में हज नहीं हो सका .क्योकि हज में काले पत्थर को चूमना जरूरी होता है .बाद में जब "फातिमी "हुकूमत आयी तो उसने भारी धन देकर वह काला पत्थर वापस लेकर काबे में लगवा दिया .
इस तरह मुहम्मद ने एक छोटे से देवता को ईश्वर बना दिया .और मुर्ख लोग अल्लाह को ईश्वर के बराबर मानने लगे .एक कवि ने कहा है-
"शुक्र कर खुदाया ,मैंने तुझे बनाया .तुझे कौन पूछता था मेरी बंदगी से पहले "
इसलिए ईश्वर अल्लाह तेरा नाम कहना बंद करें
नेहरू गांधी परिवार बे नकाब
पिछली सात पुश्तों से तथाकथित नेहरू -गांधी खानदान भारतियो के साथ धोखा करके सत्ता पर कब्ज़ा किए बैठा है। आज देश में जितनी समस्याए हैं इनकी देन हैं .चाहे कश्मीर समस्या हो आतंकवाद की .देश के बटवारे के जिम्मेदार यही खानदान है जातिवाद साम्प्रदायवाद ,भाषावाद ,इन्हीं की पैदायश है .आज चीन हमारी जमीन पर इन्हीं की बदौलत बैठा है। कश्मीर ,मीजोरम नागालैंड और उत्तर पूर्व के प्रांत टूट के कगार पर हैं। लेकिन सत्ता बचाने के लिए यह परिवार कुछ भी कर सकता है .जो भी इनके रास्ते में आया इन्होने उसका सफाया कर दिया,या अपने रास्ते से हटा दिया .सुभाष चंद्र बोस मादाव्राव सिंधिया, राजेश पायलट ,और लाल बहादुर शास्त्री इसके उदाहरण हैं सिखों के खून से इनका पंजा रंगा हुआ है। इस खानदान को देश से कोई लगाव नहीं है यह परिवार देश की हिंदू छवि नष्ट करने पर तुला है। लेकिन इनके चाटुकार कांग्रेसी लगातार यह सिद्ध करने में लगे रहते हैं की देश को आज़ादी सिर्फ़ इसी खानदान की बदौलत मिली है ,इसलिए सिर्फ़ इसी परिवार को देश पर हुकूमत करने का दैवी अधिकार प्राप्त है .इनसे अधिक उपयुक्त व्यक्ति कोई होही नहीं सकता। इसलिए भविष्य में भी इनकी औलाद ही राज करेगी ।
लेकिन इस खानदान की असलियत बहुत कम लोगों को पता है .लोग इन्हें कश्मीरी ब्राह्मण ,हिंदू, पंडित, या महात्मा गांधी का सम्बन्धी मानते हैं .लेनिन यह सब झूठ है।
आर एह एंड्र्यू ने अपनी किताब ऐ लैंप फॉर इंडिया में इनके पूरी जानकारी दी है जिसके मुताबिक इस खानदान का प्रारंभ एक मुसलमान से होता है .जिसका पूरा रिकॉर्ड मौजूद है .उस व्यक्ति का नाम गयासुद्दीन गाजी था.जो एक मुग़ल था।
१-गयासुद्दीन गाजी- इसके पुरखे तैमुर लांग के साथ यहाँ आए थे और यही रह गए थे .इन्हें गाजी की उपाधि दी गई थी जिसका मतलब है काफिरों को मारने वाला। बहादुर शाह ज़फर के राज्य में गयासुद्दीन दिल्ली का कोतवाल था.सन १८५७ में अंग्रेजों ने बहादुर शाह को कैद करके रंगून भेज दिया .और उन सभी लोगों को गोली मारने का हुक्म दे दिया जो बादशाह के वफादार थे। इसके लिए सिख और गोरखा फौज को लगाया गया था.उन्हीं में से कुछ लोग जान बचा कर इलाहाबाद और आगरा चले गए। गंगाधर इलाहबग आ गया और अपना नाम बदल कर गंगाधर रख लिया। वैसे धर कश्मीरिओं का सरनेम होता है इसलिए वह खुदको कश्मीरी बताने लगा.चूंकि ईरानिओं और कश्मिरिओं का रंग रूप एकसा होता है इसलिए किसी को शक नही हुआ। बाद एक नेहर के पास रहने के कारण उसने अपने नाम के आगे नेहरू शब्द और जोड़ लिया।
इलाहाबाद में रहते हुए गयासुद्दीन ७७ मीरगंज में कोठे की दलाली करने लगा.साथ ही एक वकील मुख्त्यार के सहायक के रूप में भी काम करने लगा .लेकिन उसमे कोई ख़ास कमी नहीं हो रही थी .उसने शादी भी की थी .जिस से मोतीलाल पैदा हुआ ।
२-मोतीलाल -इसका बचपन कोठे में गुजरा .और वहीं दलाली से कमाई करता रहा .इसी दौरान उसकी दोस्ती मुबारक अली नामके वकील से हुई,जो जो काफ़ी पैसे वाला और शौकीन तबियत का था। इसके लिए मोतीलाल एक गरीब लड़की शादी कर क्र लाया जिसका नाम थुस्सू था.जिसका नाम उसने स्वरूपरानी रख दिया और उसे मुबारक अली के हवाले कर दिया .मुबारक अली ने उसे अपने मकान इरशाद मंजिल में रख लिया.लेकिन जब वह गर्भवती हो गई तो उसने मुबारक अली उसे घर से यह कह कर निकाल दिया की अगर यह हरामी बच्चा मेरे घरमें पैदा होगा तो मेरी विरासत में हक़ मागेगा मजबूरन मोतीलाल उसे कोठे पर ले गया। जहाँ जवाहर लाल का जन्म हुआ था।
मोतीलाल की एक रखेल भी थी .जिस से शैख़ अब्दुल्ला,सय्यद हुसैन,और रफी अहमद किदवई पैदा हुए.इस तरह जवाहर लाल और शेख अब्दुल्ला सौतेले भाई थे.और यही कारण है की आज तक कश्मीर समस्या का समाधान नहीं हो सका है ।
मोतीलाल और थुस्सू से दो लड़कियां हुई .विजय लक्ष्मी और कृष्णा.विजयलक्ष्मी के सम्बन्ध सय्यद हुसैन थे जिस से एक लड़की चंद्रलेखा हुई थी बाद में विजयलक्ष्मी की शादी आर एस पंडित से हुई जिस से दो लड़कियां नयनतारा और रीता हुईं ।
३-जवाहर लाल नेहरू .यह मुबारक अली और स्वरूपरानी की नाजायज औलाद था। इसका बचपन भी कोठे में गुजरा। जब अवध के नवाब को यह पता चला की एक मुसलमान का लड़का कोठे में रह रहा है ,तो वह उसे अपने साथ ले आए .१० साल की आयु तक जवाहर वहीं रहा और वहीं उसकी खतना भी की गई थी.उसे उर्दू और फ़ारसी पढ़ाई गई। यही कारण है की इस खानदान के लोगों को हिन्दी या संस्कृत का बिल्कुल भी ज्ञान नही है .ख़ुद को कश्मीरी बताने वाले यह लोग कश्मीरी भाषा में एक वाक्य भी नही बोल सकते है ।
लन्दन के ट्रिनिटी कॉलेज पढने के बाद जवाहर लाल मुंबई के मालाबार
हिल में रह कर असफल वकालत करने लगा। उसी दौरान वह एक कैथोलिक नंन के आया जो बाद में गर्भवती हो गई थी .जिस के चलते ईसाइयों ने उसे ब्लैक मेल करके कई काम कराये ।
जवाहर लाल की शादी कमला कॉल से हुई थी .लेकिन उसके कई औरतों से नाजायज सम्बन्ध थे। एक महिला श्रधा माता थी उस से जो लड़का हुआ था उसे बंगलौर के अनाथालय में भेज दिया गया था। जवाहर लाल के तेजी बच्चन से भी सम्बन्ध थे उसका पति एक समलैंगिक था। लेडी माउन्ट बेतीं के बारे ने सब जानते है । जवाहर लाल अपनी अय्याशी की वजह से सिफलिस से मरा था।
उधर कमला ने मुबरल अली के लड़के मंजूर अली से सम्बन्ध बना लिए थे जिस से इंदिरा प्रियदर्शिनी पैदा हुई। मंजूर अली आनंद भवन में शराब भेजता था .इस मकान का नाम पाहिले इरशाद मंजिल था । मोतीलाल ने इसे मुबारक अली से खरीद कर इसका नाम आनद भवन रख दिया था। यहीं इंदिरा का जन्म हुआ था।
इसके आगे दूसरी भाग में देखें -
आतंकवाद समस्या नहीं -जेहादी रणनीति है !
अब तक आतंकवाद को एक समस्या के रूप में प्रस्तुत किया जाता है ,जैसे की वह कोई रोग है जिसका इलाज करने पर वह ठीक हो जाएगा .वास्तव में यह एक विचारधारा है जैसे की कम्युनिज्म .इसका लक्ष्य विश्व से गैर मुस्लिमों का सफाया कर के इस्लामी हुकूमत कायम करना है.आतंकवाद इन लोगों का स्वाभाव है .इसे इस्लामी जेहादी विचारधारा कहना उचित होगा .अपना मकसद पूरा करने के लिए यह लोग कई तरीके अपनाते हैं ,जिन में आतंकवाद भी एक तरीका है। अन्य में धर्म परिवर्तन कराना ,घुसपैठ ,स्मगलिंग ,नकली नोट छापना ,और नशे का व्यापार करना हैं.इसका उद्देश्य गैर मुस्लिम देशों में भय का वातावरण पैदा करना ,अस्थिरता की स्थिति बना कर ,बलपूर्वक इस्लामी राज्य की स्थापना करना है ।
यही कारन है की अबतक जितने भी उपाय किए गए ,वह आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने में विफल हुए हैं आतंकवाद और फ़ैल रहा है .कोई देश ऐसा नहीं है जहाँ आतंकवादी घटनाएँ न हुई हों।
आमतौर पर आतंकवाद के ,गरीबी ,अशिक्षा ,बेरोज़गारी या राजनितिक कारण बताये जाते हैं। कभी ओसामा बिनलादेन ,कभी तालिबान और कभी पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया जाता है .या इसका कारण इस्राइल -फिलिस्तीन विवाद को बताया जाता है.मगर सच्चाई कुछ और ही है.आतंकवाद एक जेहादी रणनीति है.जिसका पालन करना मुसलमाओं का फ़र्ज़ है।
इस जेहादी विचार के बारे में मिर्जा गुलाम अहमद ने अपनी पुस्तक जीजस इन इंडिया में पेज १ से २० तक विस्तार से लिखा है। तह किताब कादियान पंजाब में २५ अप्रैल १८८९ को प्रकाशित हुई थी जिस समय यह किताब छपी थी उस समय न तो कश्मीर समस्या थी न इस्राइल का अस्तित्व था ,न ओसामा बिन लादेन था और न तालिबान ही थे, जिन्हें आज आतंकवाद के लिए जिम्मेदार बताया जाता है.पाकिस्तान का तो नाम भी नही था।
मिर्जा गुलाम अहमद कुरान ,हदीस के अच्छे जानकर और उर्दू अरबी फ़ारसी अंग्रेज़ी के विद्वान थे.उन्होंने इस्लामी जेहाद अर्थात आतंकवाद के बारे में जो खुल कर लिखा है ,उसे पढ़ कर हमारे नेताओं की आँखें जरूर खुल जाएँगी। कम से कम हमारे देशवासी सावधान हो जाएँ तो काफी होगा।
मिर्जा लिखते हैं की मुस्लमान मुहम्मद को अपना आखिरी नबी मानते हैं यानी भविष्य में कोई नबी नही आएगा। यह उनका ईमान है .वह यह भी मानता है की क़यामत से पाहिले एक इमाम मुहम्मद महदी जमीन पर उतरेंगे, जो बनी फातिमा कबीले से होंगे.इस समय सशरीर जन्नत में मौजूद हैं। जब वह जमीं पर उतरेंगे तो ईसा मसीह भी उनके साथ होंगे ,.इसके बाद महदी दमिश्क शहर में किसी जगह एक मीनार पर चढ़ जायेंगे.उन्हें दो फ़रिश्ते उठाये होंगे.तब इमाम सभी गैर मुसलमानों को अपनी तलवार से कतला कर देंगे ,कोई पूछ ताछ न होगी बस वाही लोग बच सकेंगे जो बिना देरी किए इस्लाम काबुल कर लेंगे।
ऐसा विस्वास इस्लाम के सभी फिरकों का है ,जिसमे अहले सुन्नत और अहले हदीस ,जिन्हें वहाबी भी कहते हैं प्रमुख हैं। इनका माना है की वह इमाम महदी का काम आसान बनाना उनकी जिम्मेदारी है। इसलिए पहिले तो लोगो को मुसलमान बनने के लिए धमकाया जाए और न माने तो तलवार के घाट उतार दिया जाए .क्योंकि बाद में ख़ुद इमाम महदी गैर मुसलमानों को दर्दनाक सज़ा देंगे। वह ईसाइयों के सारे क्रॉस तोड़ देंगे। और गैर मुसलमानों के खून से ज़मीन भर देंगे। वह इतना खून बहायेंगे की इतिहास में पहिले कभी नही बहाया गया होगा
इम्मम न तो किसी को समझायेंगे ,न किसी की फरियाद सुनेंगे ,बल्कि बिना किसी सूचना के कत्लेआम शुरू कर देंगे.और ईसा मसीह उनके एक सेनापति की तरह काम जल्दी करने में उनकी सहायता करेंगे।
यह विचार इन मुसलामानों के दिमाग में इस तरह से ठसा हुआ है की वे किसी गैर इस्लामी सरकार को न तो अच्छा मानते हैं न उसके कानून का पालन करते हैं। उनके अनुसार गैर मुस्लिमों के लिए सिर्फ़ दो हो विकल्प हैं ,या तो वे इस्लाम काबुल करें या मरने के लिए तैयार रहें।
इस जेहादी विचार के चलते इन लोगों के दिल में दया इंसानियत ,समानता,और सहानुभूति की जगह दूसरो के प्रति नफ़रत क्रूरता और गैर मुस्लिमों के प्रति शत्रुता की भावना भरी पड़ी है। इनके अनुसार गैर मुस्लिमों को मारना एक धार्मिक कार्य है.मौलवी मदरसों में बच्चों में यह विचार इस तरह से भर देते हैं की उनके लिए निर्दोषों की हत्या अपराध नहीं बल्कि अल्लाह को खुश करने का काम है उन्हें समझाया जाता है की ऐसा करने से उनका समान बढ़ गया है। मरने के बाद उन्हें जन्नत मैं उच्च स्थान प्राप्त होगा।;
उनकी जिम्मेदारी है की साड़ी दुनिया को मुसलमान बनाने के लिए सभी प्रकार के उपाय किए जाएँ .जो इस बात को नहीं मानता उसे काफिर घोषित किया जाए और सज़ा दी जाए ।
ऐसे लोग दोहरा चरित्र रखते हैं .दिखाने के लिए वह आतंकवाद का विरोध करते हैं ,लेकिन गुप्त रूप से आतंकवादिओं की सहायता करते हैं सरकार और साधारण लोगों के सामने जेहादी विचार का खंडन करते हैं ।
इस कपट नीति को -तकिया- कहा जाता है .इसके मुताबिक एक गिरोह को आतंकवाद फैलाने के लिए कहा जाता है ,और दूसरा गिरोह आतंकवादी घटनाओं की निंदा करता है .और सफाई देता है की इस्लाम में आतंकवाद को कोई स्थान नहीं है। ऐसा प्रचार इस लिए किया जाता है की उन पर किसी प्रकार की शंका न की जाए.और पहिला गिरोह अपना काम करता रहे। इसके लिए सरकार में कुछ अपने लोग घुसा लिए जाते हैं।
इसी रणनीति के चलते पूरे विश्व में आतंकवाद फैलता जा रह है .जब तक इसकी जड़ पर प्रहार नही किया जायेगा इस पर अंकुश लगाना सम्भव नही है ।
हमें बाहर से इतना खतरा नहीं है जितना भीतर छुपे उनके साथिओं से है जो उनकी सहायता करते हैं इस लिए सावधानी की जरूरत है
जय भारत
महा कौशल केसरी श्री मायाराम जेसवानी
आख़िर ऐ टी एस ने श्री जेसवानी को क्लीन चिट दे ही दी.उनके विरुद्ध कोई भी आरोप नही पाया गया .आज जबलपुर ही नही सारे देश में उनकी जय जय कार हो रही है उनको बधाई और अभिनन्दन ।आज उनका नाम सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गया है .हिंदू विरोधिओं की चालें विफल हो गयीं ।
श्री मायाराम एक महान देश भक्त और हिंदू कर्मयोगी हैं.ऐसे लोगों के कारण ही आज हिंदू धर्म और देश बचा हुआ है.सम्पूर्ण भारत उनके साथ है।
इस बात की आशंका पाहिले की जा रही थी की जैसे जैसे लोकसभा के चुनाव नजदीक आयेंगे ,हिंदू संगठनों पर शिकंजा कसता जाएगा .क्योंकि यह संगठन किसी भी दशा में एक विदेशी औरत को प्रधान मंत्री स्वीकार नही करेंगे .यदि यह संगठन और श्री मायाराम जैसे लोग न होते तो अब तक आधे देश में जिहादिओं और आधे में ईसाइयों की हुकूमत होती ।
काफ़ी समय पहले हिंदू विरोधी सेकुलरवादी लोगों ,जिनमे दिग्विजय सिंह ,अर्जुन सिंह जैसे ,योजना तैयार कर ली थी की यदि किसी भी तरह एक भी हिंदू संगठन को फांस लिया जाए तो उसके माध्यम से सारे हिंदू संगठनो पर पाबंदी लगाई जा सकती है.और इस तरह सोनिया गांधी को प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठने में कोई दिक्कत नही होगी .और इसके बाद राहुल फिर उसकी औलाद भारत पर राज्य करेगी।
इन शैतानी दिमागों ने पाहिले बजरंग दल ,आर एस एस ,और विश्व हिंदू परिषद जैसे बड़े संगठनो को अपना निशाना बना कर उनकी समानता सिमी से की ,और जब भी कोई आतंकवादी घटना होती यह सिमी के साथ इन संगठनो पर पाबंदी लगाने की मांग करने लगते .इनके साथ समाजवादी और कम्युनिस्ट भी सुर में सुर मिलाने लगते .लेकिन इस योजना सफलता नही मिली.संसद में भी इसका विरोध हुआ ।
इन्ही संगठनो में एक अभिनव भारत भी है। इसकी स्थापना पाँच वर्ष पूर्व रायगढ़ महाराष्ट्र में हुई थी। यह देशभक्त विशुद्ध हिन्दुओं का संगठन है इसके स्थापक वीर सावरकर थे.यह काफ़ी छोटा संगठन है और इसके पास न तो धन था और न ही हजारों की संख्या में सदस्य थे।
दिनांक १२ अप्रैल २००८ को भोपाल के श्री राम मन्दिर में अभिनव भारत की प्रादेशिक ईकाई का पकतिकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमे सभी लोग आमत्रित थे .यह एक आम सभा थी जिसमे कोई गुप्त वार्ता नही हुई थी .पूरे समय पुलिस मौजूद रही। आयोजन की व्यवस्था लोगों के सहयोग से की गई थी .फ़िर भी आरोप लगाये गए की सही राम मन्दिर में मालेगाओं विस्फोट की योजना बनाई गई थी .अभी मामला अदालत में है।
उसी कार्यक्रम में सही मायाराम जी अपने कुछ मित्रो के साथ आए ,उन्हें बस द्वारा जबलपुर जाना था। कार्यक्रम की सुचना अखबारों और पत्रकों के द्वारा सारे भोपाल में दे दी गई थी। मायाराम जी को अभिनव भारत के विचार अच्छे लगे .इस से पाहिले वह हिंदू शक्ति परिषद् कार्य रत थे।
अपने सहयोगिओं और मित्रों से विचार विमर्श करने के बाद उन्होंने जबल पुर में अभिनव भारत की महा कौशल की इकाई स्थापित करने की इच्छा प्रकट की।
और इस तरह दिनांक २९जुन २००८ को जबलपुर के घंटा घर के पास सिन्धी धर्मशाला में कार्यक्रम आयोजत किया गया.महा कौशल में मायाराम को एक सच्चे हिंदू देश भक्त के रूप में आदर और सम्मान से देखा जाता है। उस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आए थे जिसमे पत्रकारों सहित पुलिस दल भी मौजूद था।
उसी सभा में सब लोगों के सामने एक सिन्धी संत ने ३० हज़ार रूपये गौशाला के लिए भेंट किए थे। बाद में यह तय किया गया था की यह रुपया संस्था के खाते में जमा कर दिया जाए.लेकिन उस समय संस्था मध्य प्रदेश में रजिस्टर नही थी ,इस लिए वह रुपया श्री चावला के खाते में जमा कर दिया गया था.और गौशाला के लिए सस्ती उपयुक्त ज़मीं देखने को कह दिया गया था।'
यह वाही रूपये थे जिसके आधार पर श्री मायाराम को फ़साने का षडयंत्र रचा गया था.आख़िर सच्चाई साम आ गई .हिंदू विरोधिओं का मुह काला हो गया।
बड़े दुःख की बात तो यह है की मीडिया ने बिना सच्चाई को जाने ,कुछ नेताओं के दवाब में आकर श्री मायाराम और संगठनो के दुसरे लोगो को बदनाम करने की जो मुहीम चलाई थी ,उसको देख कर भांड भी लज्जित हो जायेंगे .अब इन पर कौन विश्वास करेगा। इन्हे चाहिए की अपनी निष्पक्षता बनाए रखें ।
हमें विश्वास है की मायाराम जी की तरह अन्य सभी लोग निर्दोष सिद्ध होंगे।
हम प्रतिज्ञा करते है इस लोक सभा के चुनाव में प्रजातांत्रिक तरीके से ,इन हिंदू विरोधिओं का हर स्तर पर मुह तोड़ जवाब देंगेऔर जब तक एक भी हिंदू रहेगा ,इनके इरादे कभी सफल नहीं होंगे। भारत हिन्दुओं का है और रहेगा.विदेशी वर्ण संकरों का यहाँ कोई स्थान नही है!
पुनः श्री मायाराम जी को बधाई ।
प्रज्ञा ठाकुर एक देवी है !
हिंदू धर्म में २४ अवतारों का उल्लेख है। जिसमे एक अवतार वराह का है.जिसका साधारण भाषा में अर्थ सुवर है.हमारा मानना है की धर्म और भक्तों की रक्षा के लिए भगवान् किसी भी रूप में अवतरित हो सकते हैं .चाहे उन्हें सुवर का रूप ही धारण करना पड़े.वह अपने भक्तों की पुकार सुन कर उनकी रक्षा के लिए किसी को भी भेज सकते हैं .जब भक्त चारों तरफ़ से निराश हो जाता है तो वह भगवान् को पुकारता है ,और भगवान् उसकी रक्षा करके पापियों का नाश करते हैं।
ऐसाही साध्वी प्रज्ञा के साथ हुआ .सोनिया सरकार की योजना के अनुसार ,ऐ टी एस ने १० अक्तूबर ०८ को सूरत से चुपचाप उठा लिया और महाराष्ट्र में गुप्त रूप से कैद रखा .इस गैर कानूनी हिरासत मैं २३अक्तुबर ०८ तक ऐ टी एस ने प्रज्ञा पर जो जो अत्याचार किए उसको देख कर हिटलर भी काँप जाएगा।
जब १७ नवम्बर०८ को देश के सभी अखबारों में प्रज्ञा का हलफनामा प्रकाशित हुआ ,तो अत्याचारी पापी करकरे ने साध्वी के साथ जो वर्ताव किया था उसके बारे में लोगों को पता चला.इस पापी ने इंसानियत की सभी हदें तोड़ दी।
हलफनामे के मुताबिक ऐ टी एस ने सादवी को बेल्टों से पीटा ,गालियाँ दी .उसे सवेरे चार बजे से जगाकर लगातार मारा गया.जिस से वह बेहोश तक हो जाती थी .उसको मजबूर किया गया की वह जैसा ऐ टी एस चाहती है वैसा बयान दे दे.रात को उसे अश्लील विडियो दिखाए गए.उसको धमकी दी गई की उसके साथ बलात्कार किया जाएगा यदि वह अपराध काबुल नही करती .यह सब बातें लोगों को पता हैं ।
दुखी होकर प्रज्ञा ने पाहिले तो महिला आयोग को पत्र लिखा था ,जिसकी अध्यक्ष गिरिजा व्यास हैं। उसको लगा की एक महिला होने के नाते वह इस पर जरुर कुछ करेगी ,लेकिन यह उसकी भूल थी .आकिर गिरजा भी तो एक कांग्रेसी है भला वह एक हिंदू साध्वी की सहायता करके सोनिया को नाराज़ कैसे करती? और काफी दिनों के बाद एक बयान दे दिया की प्रज्ञा पर कोई ज्यादती नहीं की गई
गिरजा व्यास नाम की हिंदू है वह सोनिया की चप्पल चाटने वाली औरत है। उस से न्याय की आशा बेकार है
जब १३ दिसम्बर ०६ को राहुल गांधी ने अपने ७ साथियों से मिलकर एक सुकन्या नामकी लड़की से सामूहिक बलात्कार किया था ,और वह लड़की अपनी माँ के साथ फरियाद लेकर गिरजा व्यास के पास गई थी ,तो तब भी इस ह्रदय हीन औरत ने ऐसा ही जवाब दिया था की तुम झूठ बोल रही हो ,तुम माँ बेटी वेश्या हो राहुल ने कोई बलात्कार नही किया ।
जिस तरह कौरवों की सभा में द्रौपदी ने कृष्ण को पुकारा था ,उसी तरह प्रज्ञा ने अपनी रक्षा के लिए इश्वर को पुकारा , और इश्वर ने उसकी विनती सुन कर कसाब को करकरे की मौत बनाकर भेज दिया।
प्रज्ञा ने अपने हलफनामे मेंकहा था की एक मूंछों वाले व्यक्ति ने सब से ज्यादा मुझ पर अत्याचार किए हैं जिसका मैं नाम नहीं जानती .सब को पता है की यह आदमी और कोई नही बल्कि करकरे ही था। '
आख़िर ईश्वर ने प्रज्ञा की विनती सुनी .दिनांक २६ नव २००८ को अत्याचारी पापी करकरे अपने दो साथिओं के साथ नर्क लोक सिधार गया .उसकी चतुराई धरी की धरी रह गई .उसे एक गोली भी चलानेका मौका नही मिला । पापियों का अंत ऐसा ही होता है इस से सिद्ध होता है की प्रज्ञा एक देवी है जीवित देवी .सभी हिन्दुओं की पूज्यनीय .हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं की वह शीघ्र ही अपने सभी साथियों के साथ निर्दोष सिद्ध होकर निकलें
यह सभी धर्मवीर हमारे वन्दनीय हैं
देश अब एक और विदेशी बहू प्रधान मंत्री बर्दाश्त नही करेगा
वैसे तो राहुल गाँधी के कई लडकियो से सम्बन्ध है,और अमेठी की एक लडकी से तो उसने बलात्कार भी किया,लेकिन बहुत कम लोगो को इस बात का पता होगा कि उसने गुप्त रूप से वेरोनिका नामकी लडकी से शादी कर ली है.यह लडकी वेनेजुएला desh कि रहने वाली है और आजकल अमेरिका के कोलंबिया में अपने माँ बाप के साथ रह रही है.राहुल कि वेरोनिका से दोस्ती करूणानिधि के लड़के स्तालिन ने करवाई थी ।
टाईम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक दिनांक २९ जुलाइ ०४ गुरुवार को अमेठी में पत्रकारों के सामने राहुल ने यह स्वीकार किया की स्पनिश मूल की एक लडकी वेरोनिका को अपनी जीवन संगिनी मन चुका है ,जिसे वह काफी समय से जानता है.उसने यह भी कहा की इसकी जानकारी सोनिया और प्रियंका को भी है।
जब पत्रकारों ने पूछा की वह शादी कब करेंगे तो उसने जवाब दिया की अगर मेरी माँ और बहन का बस चले तो वह आज ही शादी करा दे ,लेकिन अभी शादी की जल्दी नही है .उचित समय आने पर शादी की घोषणा कर दी जायेगी ।
इस बात से यह बात सिद्ध होती है की जब तक सोनिया गाँधी प्रधान मंत्री नही बनती तब तक इस शादी की बात को छुपाया जाएगा .क्योंकि कांग्रेस की खानदानी परम्परा के अनुसार सोनिया के बाद राहुल और राहुल के बाद वेरोनिका प्रधान मंत्री होंगे। इस सपने को साकार करने में सोनिया भक्त कांग्रेसी कुछ भी कर सकते हैं। जो कांग्रेसी सोनिया की जितनी चापलूसी करेगा वह उतना ही सच्चा कांग्रेसी माना जाएगा।
सोनिया के चमचो में अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह का नाम टॉप पर है।
यह लोग अच्छी तरह से जानते है की जब तक इस देश के हिंदू संगठन जैसे आर एस एस ,बजरंग दल विश्व हिंदू परिषद् ,अभिनव भारत और ऐसे अन्य संगठन मौजूद हैं इनके नापाक इरादे कभी पूरे नही सो सकते।
इसके लिए जरुरी था की किसी तरह से इन सभी हिंदू संगठनो पर प्रितिबंध लगा दिया जाए.पाहिले इन्होने इन हिंदू संगठनो की तुलना सिमी से करते हुए इन को आतंकवादी कह कर बदनाम करना शुरू कर दिया .और षड़यंत्र रचने लगे। इसमे दिग्विजय सिंह उस्ताद है। इसके कार्यकाल में मध्य प्रदेश में सिमी ने अपने पैर जमाये .और दिनों सिमी के लोग अक्सर दिग्विजय सिंह और राज्यपाल कुरैशी के निवास में जाते और उनके उनके सरकारी प्लेन से घूमते थे। आज भी दिग्विजय सिंह के इन लोगो से सम्बन्ध है। यही बात अर्जुन सिंह केबारे में है।
सिमी के माध्यम से इन लोगो के पाकिस्तान से तार जुड़े है
उन दिनों मध्य प्रदेश में अभिनव भारत नाम की एक विशुद्ध हिन्दुओं की संस्था का मध्य प्रदेश में भोपाल में स्थापना दिवस मनाया गया। यह कार्यक्रम भोपाल के श्री राम मन्दिर में मनाया गया .जिसमे भोपाल के सभी हिंदू संगठनो ने भाग लिया था। यह बात अप्रैल १२ ,२००८ की है यह सार्वजनिक कार्यक्रम था .जिसमे कुछ मुसलमानों और कांग्रेसियों ने इसकी सुचना दिग्विजय सिंह को दे दी ।
चूँकि अभिनव भारत का मुख्यालय महाराष्ट्र में है और वहां भी कांग्रेस की सरकार है.इसलिए इन्होने पाहिले तो ऐ टी एस चीफ रघुवंशी को हटा कर करकरे की नियुक्ति की जो हिंदू विरोधी था .शकील अहमदके इशारे पर करकरे ने अंधाधुंधदेश भक्त हिंदू साधुओं साध्वियो के साथ सेना के अफसरों को गिरफ्तार करके मकोका में बंद कर दिया।
इस करकरे नाम के राक्षस ने शंकराचार्य को मॉस खिलने की कोशिस की और प्रज्ञा भारतीको नंगे चित्र दिखा कर अपमानित किया ।
कर्नल पुरोहित जिसने ऐ टी एस को प्रशिक्षण दिया था उसे देश द्रोही बता दिया।
जिस समय ऐ टी एस चुन चुन कर बिना किसी आधार पर सरे देश में गिरफ्तारियों में लगी थी ,उसी समय कांग्रेसियों और पाकिस्तान की मिली भगत से मुंबई में आतंकवादी अपना प्लान बना रहे थे.और पुलिस के कुछ बड़े अफसरों आर आर पाटिल और शकील अहमद को यह पता था ।
जब सी एस टी में आतंकवादी गोली चला रहे थे तो करकरे को मरीन लाइन की तरफ़ जाने के लिए किसने फ़ोन किया जहाँ उसकी हत्या के लिए अजमल कसाब मौजूद था।
जैसी की योजना थी की पाहिले कसाब करकरे को मारता फ़िर कसाब को मार दिया जाता .लेकिन किस्मत से कसाब बच गया और करकरे कुत्ते की मौत मारा गया.दिग्विजय सिंह का प्लान फ़ैल हो गया। इनकी योजना थी की करकरे की हत्या का इल्जाम संघ या किसी भी हिंदू संगठनो पर लगा कर इन संगठनो पर प्रतिबन्ध लगा कर सोनिया के लिए रास्ता साफ हो जाए .और वह आगामी सैट पीढियों तक राज करे ।लेकिन कांग्रेसियों को पता होना चाहिए जब तक प्रज्ञा भारती पुरोहित रमेश उपाध्याय ,समीर ,और दयानंद पाण्डेय जैसे लोग भारत में रहेंगे इन वर्णसंकर दोगली औलाद कान्ग्रेसिओं के इरादे पुरे नही होंगे।
१८/२/०८ को श्री मायाराम जेसवानी को ऐ टी एस ने निर्दोष घोषित किया। हमारी और से उनको बधाई.यह कांग्रेसियों के मुह पर पहला तमाचा है आप देखेंगे की बाकी सभी शीघ्र ही निर्दोष सिद्ध होंगे।
धर्म की जय होगी पापियों का विनाश होगा !
राहुल गांधी बेनकाब
कांग्रेस के लोग राहुल गन्दी को भारत का प्रधान मंत्री बनाना चाहते है.उनका कहना है की इस से कांग्रेस को फायदा होगा .भले देश बर्बाद हो जाए .दिग्विजय सिंह ने कहा है की प्रधान मंत्री बनने के लिए इस से अच्छा और कोई उपयुक्त व्यक्ति देश में नही है.शायद लोगो को यह नही मालूम की राहुल एक अय्याश और शराबी आदमी है.उसने अपने दोस्तों के साथ दिनांक ३ दिसम्बर ०६ को सुकन्या नामकी लड़की साथ बलात्कार किया था .यह ख़बर देश के सभी टी वि चैनल और अखबारों में दिखाई गई थी।
लेकिन जब इस के बारे में सुकन्या की माँ सोनिया के पास शिकायत लेकर गई तो सोनिया ने जो कहा था वह सुन कर हमारे सर शर्म से झुक जायेंगे .सोनिया ने कहा था की ऐसी सभी बलात्कार पीड़ित वेश्याएं हैं .मेरे लड़के ने उसकी कीमत पचास हज़ाररुपया देना चाह था .तुम ने क्यों नही लिया।
मेराकाम अपने लोगों को बचाना है नाकि तुम्हारे जैसी वेश्याओं को.इस तरह का बयान एक इटली की औरत ही दे सकती ,जिसकी नज़र में भारत की महिलाओं की कोई इज्ज़त नही।
उस लड़की का नाम सुकन्या है। उसके पिता का नाम बलराम सिंह और माँ का नम सुमित्रा देवी है। वह आज भी अमेठी जिला रायबरेली उत्तर प्रदेश में रह रही है .उसका पता २३-१२ मेडिकल चौक,संजय गाँधी मार्ग है।
राहुल गाँधी की शुदा व्यक्ति है .उसकी पत्नी का नाम वेरोनिका है जोकि वेनेजुएला देश की निवासी है .लेकिन यह बातअभी छुपायी जा रही है .अगली बार इसके बारे में विस्तार में लिखेंगे.क्या ऐसे आदमी को प्रधान मंत्री बनाना उचित होगा?
असली गांधी तो वरुण ही है !
वरुण गांधी ने ५ मार्च ०९ को पीलीभीत में जो भी कहा है उसमे एक एक शब्द में सच्चाई है.कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है .वरुण ने जिस निडरता और साहस का परिचय दिया है वह सराहनीय है.इसके लिए वरुण बधाई के पात्र है।
बाला साहेब ठाकरे ने ठीक ही कहा है की वास्तव में वरुण ही गांधी कहलाने के योग्य है.उमा भारती और गिरिराज किशोर ने भी वरुण का समर्थन किया है.संघ के प्रवक्ता श्री राम माधव ने कहा की जब भी कोई व्यक्ति हिंदू हित की बात करता है,हिन्दुओं पर किए अत्याचार ,अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाता है तो ,यहाँ के तथाकथित सेकुलर उसे कुचलने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं ,और उसके ऊपर झूठे आरोप लगाते हैं।
पीलीभीत के हिन्दू भय और आतंक के माहौल में रह रहे हैं.वहाँ अबतक २० मन्दिर तोडे गए,हिंदू लड़किओं पर बलात्कार किया गया ,जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी,खुले आम गाएं काती जातीं हैं .मुसलामानों के वोटों की खातिर सरकार चुप रहती है।
वरुण ने जो कुछ भी कहा वह हिन्दुओं के बचाव में कहा कहा है .वरुण हिन्दू -सिख संस्कारों में पला है,उसकी मान एक सिख है.वरुण ने बचपन में गीता ,रामायण ,और महाभारत पढा है। वह सिखों का इतिहास जानता है। उसे पता है कीहमारे गुरुओं पर मुसलामानों ने कैसे कैसे अत्याचार किए थे.इसलिए वरुण ने जो भी कहा वह हिन्दुओं के बचाव में कहा था।
ऐसा साहसिक बयान केवल वही दे सकता है ,जिसने किसी भारतीय माँ का दूध पीया हो.कोई विदेशी वर्णसंकर की औलाद ऐसा बयान नही दे सकता है.क्योंकि यह एक वैज्ञानिक तथ्य है की बच्चे को संस्कार माँ के दूध से ही मिलते हैं।
कांगेस और सोनिया सदा हिन्दू विरोधी रही है। सोनिया नहीं चाहती की वरुण आगे बढे ,और राहुल के रास्ते का काँटा बन जाए.सोनिया के टुकडों पर पलने वाले कुछ चैनल वरुण को विषैला वरुण बत्त्कर उसे बदनाम कर रहे हैं .आख़िर वरुण ने कौन सी बात ग़लत कही थी.क्या हिन्दू सिर्फ़ अत्याचार सहनेके लिए बने हैं.उन्हें अपनी रक्षा का कोई अधिकार नहीं है.अगर वरुण हिन्दुओं की रक्षा के लिए गीता की कसम खाता है ,तो इसमे कौन सा पाप है.पाप तो अत्याचार सहना है.बापू गांधी ने तो हिदुओं को कायर और डरपोक बना दिया था,लेकिन वरुण ने हिन्दुओं में फ़िर से नया जोश भर दिया है.इस से राहुल समर्थक कांग्रेसी भयभीत हैं ,और वरुण के विरुद्ध झूठे मुक़दमे दायर कर रहे हैं।
आज भारत में विदेशी -वर्णसंकर लोग अपने नाम में गांधी शब्द जोड़ कर देशवासिओं को गुमराह कर रहे हैं.इन हिन्दू -द्रोहियों ने ख़ुद को गांधी की खाल में छुपा रखा है,इनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता पर कब्ज़ा करना और भारत से हिन्दू धर्म का समूल विनाश करना है.यह वर्णसंकर बनावटी गांधी जगह जगह अपनी गंदी फैला रहे है.भारतीय परम्परा के अनुसार शादी के बाद लड़की अपने नाम के आगे अपने पति का उपनाम लगाती है .लेकिन प्रियंका गांधी से शादी करने के बाद उसका पति रॉबर्ट वडेरा से रॉबर्ट गांधी हो गया। इस से सिद्ध होता है की चाहे किसी पर गन्दी चीज़ गिरे,या कोई गंदी में गिरे ,वह दौनों ही दशा में गंदा हो जायेगा।
वरुण पर आरोप है की उसने मुसलामानों को -कटुआ -कहा .यह कोई गाली नहीं है बल्कि एक विशेषण है.लिंग कटवाने के कारण मुसलामानों को कटुआ कहा जाता है.यह शब्द काफी पुराना है।
श्री गुरुगोविंद सिंह जी ने दशम ग्रन्थ में मुसलामानों की इस विशेषता के बारे में इस प्रकार से कहा है-
सांच कहूँ सुनले चित दे ,बिन दीनदयाल की साम सिधाए,
प्रीत करो प्रभु पावत है,कृपालु न भीजत लंड कटाए।
(दशम ग्रन्थ-पेज १११ छंद १०० सवैया )
इसी प्रकार अन्य स्थान पर कहा है-
तिन भी एक पंथ उपराजा,लिंग बिना कीने सब राजा।
(दशम ग्रन्थ -पेज १३५ चौपाई ३७)
बाला साहेब ठाकरे भी मुसलामानों को -लान्दिये -कहते हैं ,यह महाराष्ट्र में मुसलामानों के लिए एक आम संबोधन है। अगर मुसलामानों को इन शब्दों पर आपत्ति है ,तो वह पाहिले हिन्दुओं को काफिर कहना बंद करें।
अभी कुछ दिन पाहिले नसीमुद्दीन ने अडवानी को शैतान और बी जे पी को काफिर कहा था। कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान किदवई ने तो सभी हिन्दुओं को काफिर कह दिया। लेकिन इसके बारे में यह अपने को निष्पक्ष बताने वाले मीडिया ने उतना ध्यान नहीं दिया ,जितना वरुण के के ऊपर। सोनिया के इशारे पर वरुण के ख़िलाफ़ योजनाबद्ध षड़यंत्र चलाया जा रहा है, और उसकी छवि ख़राब की जा रही है।
वरुण ने बापू गांधी की की जिस अहिंसा की आलोचना की वह उचित और तर्कसंगत है। इस बापू गांधी की अहिंसा ने हिन्दुओं को डरपोक और कायर बना दिया है.नेहरू के मित्र हफीज जालंधरी ने बापू की अहिंसा के बारे में कहा था-
हिन्दोस्तान की कॉम है उस गांधी के साथ
दीवाना गर नहीं ,तो वो हुश्यार भी नहीं,
इस सादगी पे कौन न मर जाए ए खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
वरुण गांधी जिंदाबाद! वरुण गांधी आगे बढो हम तम्हारे साथ है।
आतंकवादिओं का संरक्षक -दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह एक तिकड़म बाज़,मक्कार, और सत्तालोलुप व्यक्ति है.यह पैदायशी हिंदूविरोधी स्वभाव के लिए कुख्यात है। दुर्भाग्यवश यह व्यक्ति १९९३ से २००३ तक मध्य प्रदेश का मुख्य मंत्री रहा .इसने अपने १० साल के कार्यकाल में मध्य प्रदेश को पूरी तरह से बरबाद कर दिया। और अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए सिम्मी जैसे आंतकवादी संगठन को संरक्षण देकर ,उसे फलने फूलने ,और विस्तार करने के लिए हर तरह की मदद दी .इन १० सालों के अन्दर ही सिम्मी ने मध्य प्रदेश के हर जिले में अपना जाल बिछा लिया .और आज यह राष्ट्रीय स्तर का एक आंतकवादी संगठन बन चुका है .सिम्मी की सहायता से ही दिग्विजय सिंह १० साल तक सत्ता पर टिका रहा .आख़िर २००३ के चुनाव में उमा भारती ने मध्य प्रदेश की जनता को इस राक्षस से मुक्ति दिलायी ।
अपने हिन्दू विरोधी स्वभाव के चलते दिग्विजय सिंह अक्सर हिन्दू संगठनो पर झूठे आरोप लगाता रहता है। और मुस्लिम आतंकवादिओं को निर्दोष बताता रहता है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं।
१९९८ में झाबुआ जिले में २४ आदमियों ने कुछ ईसाई नर्सोंसे बलात्कार किया था .अपनी आदत के मुताबिक ,बिना किसी सबूत के,दिग्विजय सिंह ने इसके लिए हिन्दू संगठनों को जिम्मेदार ठहरा दिया। बाद में पता चला की बलात्कारी ख़ुद ईसाई थे।
इस झूठे आरोप के लिए ,भोपाल के एक वकील ने दिग्विजय के ख़िलाफ़ झाबुआ की अदालत में मुकदमा दायर कर दिया था। और अदालत ने दिग्विजय की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया था। दिग्विजय उस समय मुख्य मंत्री था। बाद में दिग्विजय ५००० रु की ज़मानत पर छूटा था।
प्रज्ञा ठाकुर को फ़साने की इसी की चाल थी .परज्ञा ठाकुर के पिता ,चन्द्र पाल सिंह भिंड में एक आयुर्वेद डाक्टर हैं,वे पहले पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता थे.लेकिन इमरजेंसी के दौरान इंदिरा ने लोगों पर जो अत्याचार किए थे ,वह देख कर चन्द्र पाल सिंह आर एस एस में शामिल हो गए। उस समय उसकी लड़की पढ़ रही थी। वह भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में शामिल हो गयी। संघ का परम शत्रू होने के कारण ,दिग्विजय सिंह को यह अच्छा नहीं लगा। उसने अपने उपगृह मंत्री गोविन्द सिंह को चन्द्र पाल के पास भेजा, जो उसका ख़ास मित्र था। गोविन्द सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर को भिंड में टीचर की सरकारी नौकरी देने का ,देने का लालच दिया। और कहा की यह दिग्विजय सिंह का प्रस्ताव है। लेकिन चन्द्र पाल सिंह ने वह प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया की वह दुबारा कोंग्रेस में नहीं जा सकते .इसपर गोविन्द सिंह ने चेतावनी दी की दिग्विजय सिंह का प्रस्ताव ठुकराना ,भविष्य में आपके और आपकी बच्ची के लिए भारी पडेगा।
तब से दिग्विजय सिंह ,एक कुचले हुए सौंप की तरह ,प्रज्ञा ठाकुर को फ़साने की तरकीबें तलाश रहा था।
यह सारी घटना इंडियन एक्सप्रेस दिनांक २७ अक्टूबर २००८ में छपी है।
दिग्विजय सिंह और सिम्मी के सम्बन्ध १९९५ में ही उजागर हो गए थे।
दिनांक २६ जुलाई ९५ जनसत्ता के अनुसार इंदौर में ,रतलाम नगर निगम के कांग्रेसी पार्षद आर आर खान के फार्म हाउस से हथियारों का बड़ा ज़खीरा बरामद हुआ था .यह फार्म हाउस आर आर खान के भाई महमूद खान की पत्नी के नाम था। दोनों भाई कांग्रेस की कई संस्थाओं से जुड़े थे। कई बार इनको दिग्विजय सिंह और राज्यपाल शफी कुरेशी के साथ फोटो में मंच पर बैठे दिखाया गया .दिग्विजय सिंह ने आर आर खान को अल्प संख्यक समिति का संयोजक नामज़द किया था। दिग्विजय सिंह की सिफारिश पर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इब्राहीम कुरैशी ने अपने लैटर पेड पर आर आर खान की नियुक्ति की थी ।
दिखाने को तो खान टैंकर चलाता था ,लेकिन वह दावुद का आदमी था ,और मध्य प्रदेश से गुजरात और दूसरे प्रान्तों में हथियार भेजता था .इसमे उसका ड्राईवर पप्पू उसकी मदद करता था। कुरैशी के साथ यह लोग सारे मालवा में सिम्मी के कायक्रम कराते थे। यहाँ तक की ये सिम्मी के लोग मुख्यमंत्री निवास में आयोजित भोजों में शामिल होते थे, और दिग्विजय सिंह इन आतंकवादिओं को अपने हेलिकोप्टर में जगह जगह ले जाता था।
तत्कालीन रतलाम के विधायक झालानी और विपक्ष के नेता विक्रम वर्मा ने इस मामले की जांच कराने और कुरैशी के इस्तीफे की मांग भी की थी। लेकिन दिग्विजय सिंह ने अपने प्रभाव से यह मामला दबा दिया था। और यह आतंकवादी फरार होकर भूमिगत हो गए। फ़िर इन लोगों ने इंदौर ,खरगौन और आसपास के जंगलों में गुप्त रूप से आंतकवादी प्रशिक्षण शिविर लगाए। और धीमे धीमे इनके तार हूजी और अलकायदा से भी जुड़ गए। आज इस दिग्विजय सिंह के संरक्षण की बदौलत सिम्मी का नेटवर्क सारे भारत में फ़ैल गया है।
राज एक्सप्रेस ३अप्रिल २००८ के अनुसार भोपाल में होने वाली सारी लूटों में सिमी का हाथ है। आज सिम्मी की इतनी हिम्मत हो गयी है की ,सफ़दर नागौरी ने खुली धमकी दे डाली की वह सन २०१० तक भारत को एक इस्लामी देश बना देगा ,और मोदी, अडवानी ,तोगडिया ,व् ठाकरे की ह्त्या कर देगा। लोकस्वामी इंदौर दिनांक ३ अक्टूबर ०८ ।
लेकिन दिग्विजय सिंह ने संजय दत्त जैसे आंतकवादी को निर्दोष बताया है .टाइम्स ऑफ़ इंडिया १६.जन ०९
आज भी दिग्विजय सिंह सिम्मी के निकट संपर्क है.इसीलिए जब समीर कुलकर्णी ने भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट की (नवदुनिया १ मार्च ०९)तो दिग्विजय सिंह इसे कैसे बर्दाश्त करता .उसने फ़िर अपनी चाल चली। और दिग्विजय सिंह के इशारे पर सिम्मी के कोषाध्यक्ष मुहम्मद अली ने जबलपुर की अदालत में एक याचिका दायर कर दी की उसे अभिनव भारत से जान का खतरा है .दैनिक जागरण १० मार्च ०९। चूंकि समीर कुलकर्णी अभिनव भारत का एक कार्यकर्ता है ,और हिन्दू है,इसलिए दिग्विजय सिंह का यह प्लान था की समीर का मामला और उलझ जाए। समीर के ख़िलाफ़ जबलपुर के एक चर्च में आग लगाने का झूठा मुकदमा चल रहा था,जो बाद में दिनांक १४ मार्च ०९ को साक्ष्य के अभाव में खारिज हो गया।
यह दुष्ट दिग्विजय सिंह के गाल पर पहिला तमाचा है.आज देश भर में जितनी भी आंतकवादी घटनाएं हुई हैं ,और हो रही हैं उन सबके पीछे जरूर दिग्विजय सिंह का हाथ है .अगर दिग्विजय सिंह का नारको टेस्ट कराया जाए तो अवश्य इसका घिनोना रूप प्रकट हो जायेगा;
इस्लाम में देशभक्ती महापाप है !
कुरान में कुफ्र और शिर्क यह दो ऐसे महापाप बताये गए है ,जिनकी सज़ा मौत है.इन पापों को करने वाले मरने के बाद भी हमेशा नर्क में ही रहेंगे.(कुरान सूरे मायदा आयत १०और ८७)यह दो महापाप इस प्रकार हैं-
१-कुफ्र-अल्लाह और मुहम्मद से इनकार करना,और शरीयत को न मानना कुफ्र कहलाता है। और कुफ्र करने वालों को काफिर कहा जाता है।
२-शिर्क-अल्लाह के अलावा किसी देवी देवता ,या व्यक्ति अथवा किसी वस्तु की उपासना करना,वन्दना करना ,और प्रणाम करना ,यह सब शिर्क कहलाता है। शिर्क करने वालों को मुशरिक कहा जाता है ।
अल्लाह अगर चाहे तो काफिर को माफ़ भी कर सकता है ,लेकिन मुशरिक को कभी भी माफ़ नहीं करेगा।
उक्त परिभाषाओं के मुताबिक देशभक्ति शिर्क की श्रेणी में आती है.क्योंकि भारतीय हिन्दू अपने देश को भारत माता कहकर उसकी वन्दना करते है। भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित करते है,और उसे एक देवी का रूप मान कर आदर करते हैं .इसके बारे में इकबाल ने कहा था -
नौ जादा खुदाओं में ,सबसे बड़ा वतन है ,
जो पैरहन है उसका ,मज़हब का वो कफ़न है।
अर्थात नए नए पैदा हुए देवताओं में वतन भी एक बड़ा देवता है,और इसको पहिनाने के लिए ,मज़हब के कफ़न की ज़रूरत है.तात्पर्य यह है की इस देश रूपी देवी के ऊपर कफ़न डालने की ज़रूरत है। यही कारण है की मुसलमान न तो कभी वन्देमातरम कहते हैं और न कभी भारत माता की जय बोलते हैं.यहांतक की वे योग और सूर्य नमस्कार का भी विरोध करते हैं.उनके अनुसार ऐसा करना शिर्क है।
फ़िर भी यहाँ के मुसलमान ख़ुद को देशभक्त साबित करने के लिए अक्सर कहते रहते हैं की उनके पुरखों ने देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों से जंग की थी। इसलिए दूसरों की तरह हमारा भी देश पर अधिकार है। लेकिन यह बात सरासर झूठ और भ्रामक है ।
मुसलामानों ने अंग्रेजों से जंग जरूर की थी ,लेकिन देश की आजादी के लिए नहीं .वे अंग्रेजों के दुश्मन इसलिए हो गए थे की ,अंग्रेजों ने तुर्की के खलीफा अब्दुल हमीद को उसकी गद्दी से उतार दिया था। जबकि दुनिया के सारे मुस्लिम बादशाह और नवाब खलीफा को अपना धार्मिक और राजनीतिक नेता मानते थे ,और ख़ुद को उसका नुमायन्दा मानकर ,मस्जिदों में उसके नाम का खुतबा पढाते थे। खलीफा को हटाने के कारण मुसलमान अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए ,और उन्होंने खिलाफत मूवमेंट नामका एक संगठन बना लिया था। वीर सावरकर ने इसे खुराफात मूवमेंट कही नाम दिया था।
गांधी ने सोचा की यदि स्वतंत्रता आन्दोलन में इस संगठन को भी शामिल कर लिया जाए तो आन्दोलन को और बल मिलेगा .बस यही गांधी की भूल थी .उस मूर्ख को यह पता नहीं था ,की यदि मुसलामानों की मदद से आजादी मिल भी जायेगी ,तो मुसलमान अपना मेहनताना जरूर मागेंगे .और बाद में ऐसा ही हुआ .मुसलमानों ने पाकिस्तान के रूप में अपना हिस्सा ले लिया।
दिसम्बर १९३० में इलाहबाद में आयोजित मुस्लिम लीग के अधिवेशन में इकबाल ने कहा था -
हो जाय अगर शाहे खुरासान का इशारा ,
सिजदा न करूं हिंद की नापाक ज़मीं पर।
अर्थात यदि हमें तुर्की के खलीफा का इशारा मिल जाए तो हम इस हिन्दुस्तान की नापाक ज़मीन पर नमाज़ तक न पढेंगे .जब मुसलमानों को इस देश से इतनी नफ़रत है ,तो देशभक्ति का पाखण्ड क्यों करते हैं .और इस नापाक देश से अपना अदिकार किस मुह से माँगते हैं। इन्हें तो चाहिए की वे यहाँ से तुंरत निकल जाएँ ।
हमें इनके झूठे भाईचारे ,गंगा जमुनी तहजीब जैसी मक्कारी भरी बातों में नही आना चाहिए। यह लोग न तो कभी देश के वफादार थे और न भविष्य में होंगे।
राहुल गांधी की आपराधिक पृष्ठभूमी
राहुल गांधी -सुकन्या बलात्कार काण्ड के बारे में लगभग सबको पता चल चुका है .और राहल के अपराधों की लिस्ट और बड़ी हो सकती है। परन्तु उन में से दो ऐसे अपराध हैं जिनके प्रमाणिक तथ्य उपलब्ध है ,वे इस प्रकार हैं ।
१-सितम्बर २००१ में राहुल अपनी सीक्रेट वाइफ जुअनिता उर्फ़ वेरोनिका के साथ अमेरिका के बोस्टन एयर पोर्ट पर ऍफ़ बी आई द्वारा गिरफ्तार किया गया था .उसके पास से इटालियन पासपोर्ट ,और सूटकेस से अवैध रूप से २०००० अमेरिकन डालर बरामद हुए थे। इस गिरफ्तारी के बारे में लखनऊ के ६ वकीलों ने हाईकोर्ट के माध्यम से ऍफ़ बी आई से जानकारी देने हेतु एक याचिका भी दायर भी की थी।
राहुल को छुडाने के लिए सोनिया ने ब्रिजेश मिश्रा से अनुरोध किया था .जो उस समय प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के सलाहकार थे। ब्रिजेश मिश्रा की लड़की ज्योत्स्ना एक इटालियन व्यक्ती से ब्याही है ,जो सोनिया का परिचित था.उसने ज्योत्स्ना के माध्यम से ब्रिजेश मिश्रा पर दवाब डाला की वह बाजपेयी से ,राहुल को छुडाने के लिए बुश प्रशाशन से कहें .और इस तरह से बाजपेयी के प्रयासों से राहुल को छुडाया जा सका था।
२-इंडियन एक्सप्रेस दिनांक ०३जन ०५ के अनुसार अपनी कोलंबियन गर्ल फ्रेंड जुअनिता के साथ केरल के कुमार कौनम ताज होटल में तीन दिन-रात रहा था .यह जगह केरल के कोच्ची नाम की जगह के पास है .जब होटल के मालिक ने राहुल से उसके साथ वाली लड़की के बारे में जानकारी चाही तो ,राहुल ने गोलमाल सा जवाब दिया। इस पर उसी होटल में रुके हुए एक रिटायर्ड प्रोफेसर जोन एम् इत्ती ने ३१दिसम्बर ०४ को लेरल की अलिपुज्हा जिला अदालत में राहुल के ख़िलाफ़ इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट के अधीन मुकद्दमा दायर कर दिया था .यह केस अभी अदालत में लंबित है ।
इस से आप समझ सकते हैं की राहुल किस प्रकार का व्यक्ति है .उसे सच्चाई छुपाने की क्या जरूरत थी। सच तो यह है की पूरा सोनिया परिवार ही झूठा है राहुल के बाप राजीव ने दावा किया था की उसने कैम्ब्रिज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री की थी ,जो बाद में सरासर झूठ निकला .उसकी माँ ने कहा की उसने कैम्ब्रिज सेअन्ग्रेज़ी की डिग्री ली है,यह भी झूठ है .उसने सिर्फ़ एक कोचिंग स्कूल से अन्ग्रेज़ी सीखने का प्रमाण पत्र लिया है.अब राहुल भी ख़ुद को एम् फिल बताता फिरता है ,लेकिन जब उसने बी ऐ पास ही नहीं किया तो ,तो एम् फिल होना कैसे सम्भव हो सकता है।
यह सब मकार और चार सौ बीस हैं .ऐसे लोगों से देश को बचाना हमारा परम कर्तव्य है।
३-नेहरू गांधी परिवार बेनकाब
१०-संजय गांधी-चूंकि फिरोज गांधी १८४४ से ही इंदिरा से अलग रहने लगा था ,और उस दरमियान उसके सम्बन्ध तारकेश्वरी सिन्हा ,महमूना सुल्ताना और सुभद्रा जोशी से हो गए थे .और इंदिरा गांधी ने मुहम्मद यूनुस से सम्बन्ध बना लिए थे। इसी नाजायज़ सम्बन्ध से १९४६ में संजय पैदा हुआ .कुछ सालों के बाद इंदिरा फ़िर से गर्भवती हो गई ,और वह गर्भपात कराने बैंगलोर गयी थी .लेकिन उसने लोगों यह बताया की वह संजय का इलाज करने जा रही है ,जिसके कानों में सुनने की तकलीफ है.लेकिन सच यह है की उसे अपना गर्भपात और संजय का खतना कराना था.कहा जाता है की यह गर्भ धीरेन्द्र ब्रह्मचारी से थे।
बड़े होने पर संजय को अपने भाई राजीव की तरह कैम्ब्रिज में पढने के लिए भेजा गया .वहां उसने एक कार की चोरी की थी .गिरफ्तारी से बचने के लिए उसे कृष्ण मेनन ने दूसरा पासपोर्ट जारी कर दिया जिस पर उसका नाम संजय था ,जबकी पहिले उसका नाम संजीव था .इस चालाकी से उसे गिरफ्तारी से बचाया गया ।
इंग्लैंड से वापिस आने पर उसे धीरेन्द्र और इंदिरा के संबंधों का पता चला .जब वह लन्दन में था तो ,अखबारों में इंदिरा और धीरेन्द्र के आपत्तिजनक फोटो छपे थे। इसलिए संजय इंदिरा को ब्लैकमेल करता था और उस पर हाथ भी उठा देता था। और शारीरिक रूप से भी प्रताडित करता था .तंग आकर इंदिरा ने के जी बी की मदद से संजय की ह्त्या षड़यंत्र रचा .क्योंकि इंदिरा ने इसके लिए के जी बी से यह कहा था की संजय अमरीका समर्थक है। और इसीलिए के जी बी इस ह्त्या के लिए खुशी खुशी तय्यार हो गयी ,और इस ह्त्या को एक दुर्घटना का रूप दे दिया गया ।
१२-प्रियंका- इसका जन्म १९७२ ने हुआ .क्योंकि राजीव ईसाई बन चुका था इसलिए सोनिया ने अपनी बड़ी लड़की का नाम बियेन्का रखा .और यही नाम उसके स्कूल में लिखा है। लोगों को धोका देने के लिए उसने अपना नाम प्रियंका लिया है। इसकी शादी मुरादाबाद निवासी ,राजेद्र वडेरा के लड़के रॉबर्ट वडेरा से हुई ,व्यवसायिक विवाद के कारण प्रियंका की रॉबर्ट के भाई रिचार्ड से अनबन रहती थी और प्रायः झगडे होते थे। और आख़िर एक दिन वह सितम्बर २००३ में दिल्ली की वसंत विहार कालोनी में संदेहास्पद स्थिति में मरा हुआ पाया गया था। मौत के कारणों की आज तक कोई जांच नहीं की गयी।
प्रियंका के दोनों बच्चे ,रेहन और मिराया विदेश में पढ़ रहे हैं
यह सब जानकर आप ख़ुद समझ सकते हैं की यह मुस्लिम- ईसाई वर्ण संकर परिवार कई पुश्तों से हिन्दुओं को कैसे मूर्ख बनाकर ,सत्ता पर कैसे कब्जा किए हुए है ।
अब समय आगया है की इनको सत्ता से दूर रख कर ,महत्त्व पूर्ण पदों से वंचित कर दिया जाए .इसी से देश का भला होगा।
२-नेहरू गांधी परिवार बेनकाब
६-इंदिरा गांधी -लोग इंदिरा गांधी को नेहरू और कमला की संतान मानते हैं .लेकिन कमला के नाजायज़ सम्बन्ध मंजूर अली थे जो मुबारक अली का बेटा था .इंदिरा उसी की औलाद थी .इंदिरा जिंदगी भर एक मुसलमान की तरह रही। उअका बचपन का नाम प्रिय दर्शिनी था .एक बार उसने नेहरू के सचिव एम् ओ मथाई से कहा था की में कभी किसी हिन्दू दे शादी नहीं करूंगी .मुझे उन से नफ़रत है .यही कारण था की जब वह प्रधान मंत्री थी तो उसके चारों तरफ़ मुसलामानों का जमावडा रहता था ।
जब वह शान्ति निकेतन में पढ़ती थी तो उसके सम्बन्ध एक जर्मन से थे। बदनामी के डर से उसकी शादी फिरोज़ से कर दी गयी। वह मुसलमान था .उसका बाप नवाब खान था ,जिसकी पत्नी पारसी थी जो मुसलमान बन गई थी .गांधी के कहने पर फिरोज़ खान ने अपना नाम फिरोज़ गांधी कर लिया ,और इसके उसने लन्दन में एक हलफनामा भी पेश किया था। .पाहिले इंदिरा और फिरोज़का निकाह लन्दन में इस्लामी ढंग से हुआ था ,जिसकी खबर वहां के अखबारों को दी गई थी। बाद में भारत आने पर हिन्दू रीति से दिखावे की शादी की गयी ताकि लोगों धोके में रखा जा सके।
फिरोज़ ने इंदिरा का निकाहनामे में नाम मैमूना बेगम लिखवाया था। वह काफी लालची आदमी था और नेहरू से बार बार पैसों की मांग करता था .तंग आकर एक दिन नेहरू ने उसे घर से निकाल दिया ,और उसे इंदिरा से मिलने की मनाही कर दी थी। इंदिरा भी उस से ऊब चुकी थी । फिरोज भी अलग रहने लगा और १९४४ से लेकर अपनी मौत १९६० तक अलग ही रहा। यद्यपि उनका कानूनी तौर से तलाक नहीं हुआ था लेकिनफिरोज ने इंदिरा को छोड़ दिया था।
७-राजीव गांधी- इसका जन्म १९४४ में हुआ.यह मैमूना और फिरोज की संतान था। इसकी इस्लामी रीति से खतना की गई थी .उसे मुहम्मद युनुस ने इस्लामी तौर तरीके सिखाये थे,बाद में उसे पढने के लिए कैम्ब्रिज ,लन्दन भेजा गया। लेकिन वह पढने की जगह ,अपना समय गन्दी किताबी पढने और आवारा लड़कियों के पीछे लगाता था। तीन सालों में उसने एक भी परीक्षा पास नहीं कि इसीलिए उसे होस्टल खाली करने को कहा गया.बाद में बाक़ी समय उसने भारतीय राजदूत के घर में गुज़ारा .वहीं पर उसकी दोस्ती माधव राव सिंधिया से हुई थी। बाद में दोनों काफी घनिष्ट मित्र हो गए थे।
एक बार दोनों ने मौज मज़े के लिए ,रात भर के लिए एक इटैलियन लड़की को बुलाया .उस रात के बाद राजीव उस लड़की को अक्सर बुलाने लगा। लड़की को प्रभावित करने के लिए उसने ख़ुद को एक बिना लाइसेंस का पायलट ,यानि ट्रेनी बताया .लेकिन उस लड़की इरादे कुछ और ही थे। आगे चल कर अपनी योजना के अनुसार उस लड़की ने राजीव से शादी कि .जसे हम सोनिया के नाम से जानते हैं
८-सोनिया-इसका असली नाम अका अनातोनिया है और पारिवारिक नाम माईनो है .इसके पिता का नाम स्तेफेनो माईनो है सोनिया का जन्म उत्तरी इटली में तुरीन के पास ओब्रस्सानो में हुआ था .उसकी बहिन का नाम अलेस्संद्रा है। इसका जन्म निम्न वर्ग के ग्रामीण परिवार में हुआ .गरीब होने के कारण सोनिया ने एक ईसाई मिसनरी में कुछ पढाई की थी। दूसरी गरीब इटालियन लड़किओं कि तरह उसकी भी जल्दी रुपया कमाने कि इच्छा थी। किसी ने उसे सलाह दी वह कैम्ब्रिज या ऑक्सफोर्ड चली जाए, जहाँ दुनिया भर के धनी लड़के पढने और खूबसूरत लड़किओं के लिए आते हैं .सोनिया भी एक पार्ट टाईम मैड काम चाहती थी .उसने घर में बताया कि वह अंग्रेजी सीखने जा रही है जो उसकी नौकरी में फायदेमंद होगा ।
वहीं कैम्ब्रिज में एक रात राजीव ने सोनिया को ग्रीक पिज्जा पैलेस नाम की जगह पर बुलाया था। और बाद में सोनिया के कहने पर राजीव ने कैथोलिक ईसाई धर्म स्वीकार करके उस से शादी कि और अपना नाम रोबेर्तो कर लिया .इनकी दो संतानें हुयीं .बियेन्का और रा उल जिन्हें लोग राहुल और प्रियंका कहते हैं ।
शादी के बाद भी सोनिया के सम्बन्ध माधव राव सिंधिया से काफी समय तक रहे। लेकिन एक समय जब यह दोनों शराब पीकर घर लौट आरहे थे तो उनका अक्सीडेंट हो गया उस समय रात का एक बजा था .सोनिया माधव राव को घायल अवस्था में छोड़ कर ऑटो में बैठ कर भाग गयी थी .माधव राव को नजदीकी हॉस्टल के कुछ बच्चों ने अस्पताल पहुंचाया था .यह बात मादव राव को बहुत बुरी लगी थी .और उसने सोनिया को काफी खरी खोटी सुनायी थी । फ़िर कुछ समय के बाद माधव राव एक हवाई दुर्घटना में मारे गए .
शरीयत या शरारत
देश में जब भी समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास किया जाता है ,यहाँ के मुसलमान इसका विरोध करने लगते हैं ,और इसे इस्लामी शरीयत में हस्तक्षेप बता कर ,अपने धार्मिक मौलिक अधिकारों का हनन निरूपित करते हैं .इसलिए हर बार यह अटक जाता है .हालांकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने पाहिले ही निर्देश जारी कर दिए हैं ।
मुसलमानों की यह दलील है की शरीयत का कानून कुरान पर आधारित है और इसे ख़ुद अल्लाह ने बनाया है ,इसलिए इसमे किसी प्रकार का परिवर्तन या सुधार करना सम्भव नहीं है शरीयत संविधान और देश के कानून से ऊपर है
हमें देखना है की यदि शरीयत अल्लाह का कानून है तो उसमे सभी देशों के ,सभी धर्मो के ,स्त्री पुरुषों को एक समान अधिकार दिया जाना चाहिए था .किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए था .लेकिन ऐसा नहीं है .शरीयत में महिलाओं को कोई अधिकार नहीं हैं ,और गैर मुस्लिम मानो सृष्टि के निकृष्ट जीव है जिनका कोई मूल्य नहीं है .लगता है अल्लाह पक्षपाती और संकीर्ण विचारों वाला है ।
कुरान में ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे जिसमे महिलाओं और गैर मुसलामानों को हेय बताया गया है यहाँ दिए गए एक उदाहरण से यह बात स्पष्ट हो जायेगी।
कुरान की सूरे मायदा ५ की आयत ३३ में कुछ अपराधों और उनकी सजाओं के बारे में लिखा है ,जिसे इस्लामी परिभाषा में हुदूद कहा जाता है .इसके अनुसार
१-व्यभिचार करने की सज़ा पत्थर मार कर जान लेना है ,जिसे रजम कहा जाता है ।
२-यदि कोई मुसलमान विवाहित मुस्लिम व्यक्ती पर व्यभिचार का झूठा आरोप लगाए तो उसे ८० कोडे मारे जायेंगे।
३-इस्लाम धर्म छोड़ने की सज़ा मौत है।
४-शराब पीने की सज़ा ८० कोडे ।
५-चोरी करने पर कलाई के ऊपर से दायाँ हाथ काटना ।
६-रहज़नी और लूट के लिए हाथ पैर काटने की सज़ा ।
७-डाका डालना जिस से किसी की मौत भी हो जाए ,तो इसकी सज़ा तलवार कत्ल करना या सूली चढाना है ।
यदि यही शरीयत का कानून है तो सभी मुसलमान इसे अपने ऊपर लागू कराने की मांग क्यों नहीं करते हैं .इन अपराधों के लिए वह यहाँ की अदालतों में ही जाना क्यों पसंद करते हैं .कारण साफ़ है की ,ज्यादातर मुसलमान इन्हीं अपराधों के दोषी पाये जाते हैं ,और अगर शरीयत के मुताबिक उन्हें सज़ा दी जायेगी तो एक दो साल में ही मुसलामानों की संख्या आधी रह जायेगी .भारतीय कानून के चलते उनको बचने की अधिक संभावना है .वह दोनों नावों की सवारी चाहते हैं ।
अब देखिये शरीयत में ह्त्या जैसे जघन्य अपराध के लिए ,क्षतिपूर्ति का क्या विधान है .यदि कोई मुसलमान किसी दूसरे मुसलमान की ह्त्या करता है ,तो उसे मारे गए व्यक्ति के परिवार को इसे प्रकार से हर्जाना देना होगा -
उसे १०० ऊंट ,या २०० गायें ,या १००० दुम्बे ,या २०० जोडी यमनी वस्त्र ,या १०००दीनार सोने के,या १०००० दिरहम चांदी के देने पड़ेंगे ।
लेकिन मुस्लिम महिला की ह्त्या करने पर ,हत्यारे को बताये गए हर्जाने का आधा भाग ही देना पडेगा। अर्थात अल्लाह की नज़र में महिला की कीमत पुरूष की कीमत से आधी है।
और सबसे नीचता की बात तो यह है की यदि कोई मुसलमान किसी काफिर अर्थात गैर मुस्लिम की ह्त्या करता है तो शरीयत के मुताबिक उसे कोई हर्जाना नहीं देना पडेगा .शरीयत में यह कोई अपराध ही नहीं है जिसका हर्जाना दिया जाए।
इसे से स्पष्ट होता है की आतंकवादी इसी शरीयत का पालन करते हुए दुनिया भर में हत्याएं करते हैं और उसे एक अपराध न मानते हुए ,मुहम्मद का आदेश और अल्लाह को खुश करने का ज़रिया ,और इस्लाम का धार्मिक कार्य मानते है .और इसी शरीयत के कारण वे महिलों पर भी अत्याचार करते है .और उन पर तरह तरह की पाबंदियां लगाते रहते हैं ।
आतंकवाद का मूळ यही शरीयत का जगली कानून है,इसे ईश्वर द्वारा निर्मित मानना मूर्खता होगी .ऐसा लगता है की यह जरूर किसी मानव मात्र के शत्रु की एक शरारत है
इरशाद मदनी संघ पर भोंके !
दिनांक ३ मार्च ०९ को लखनऊ में जमीयते उल्माए हिंद के अध्यक्ष इरशाद मदनी ने अपने कट्टर इस्लामी संप्रदायी ,दुष्ट स्वभाव के अनुसार संघ और बजरंग दल को आतंकवाद का असली चेहरा बताया है .और यह भी आरोप लगाया की यह संगठन भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने को उतारू हैं ,जैसे की यह बहुत बड़ा अपराध हो.अपने बयान में मदनी ने सभी हिंदू संगठनो को आतंकवादी साबित करने की नापाक कोशिश की .ख़ास बता यह है की इस ख़बर को भोपाल के प्रमुख अखबारों इसलिए छापा गया की यह ख़बर यहाँ के मुसलमानों तक जरूर पहुंचे ,और वह मदनी का समर्थन करें ।
वैसे तो इमाम बुखारी ,और मदनी जैसे तमाम मुल्ले मौलवी संघ ,बजरंग दल और सभी हिंदू संगठनो पर सम्प्रदायवादी और आतंकवादी होने का आरोप लगाते ही रहते हैं , कुत्तों की आदत होती है की वे हाथिओं के झुंड को देख कर भोंकते है .लेकिन आजकल यह कुछ अधिक ही भोंक रहे हैं ,क्योंकि चुनाव के मौसम में कांग्रेस उनको हड्डी फेंक रही है। कांग्रेस की गोद में बैठ कर यह मुल्ले एक तीर से दो शिकार कर रहे हैं ।
एक तो संघ और अन्य हिंदू संगठनों को आतंकवादी बता कर प्रतिबन्ध लगवाना ,दूसरे मुसलमानों को नेक ,शरीफ ,शांतिप्रिय ,और देश का वफादार साबित करके सरकार से अपनी मांगें मनवाना और फायदा उठाना।
कोई इन मुल्लों से पूछे की जिन देशों में संघ का नामोनिशान भी नहीं है वहाँ आतंकवाद कौन कर रहा है ? संघ की स्थापना तो १९२५ में हुई थी तो उसके पहिले भारत में जितने आक्रमण ,अत्याचार, लूट, विध्वंस और हत्याएं हुईं थीं वह किसने की थीं .अभी पकिस्तान में श्री लंका की टीम पर हमला क्या संघ ने किया था ?इन लुत्र्रों की औलाद के पास है कोई जवाब!
सच बात तो यह है की दुनिया में जब से इस्लाम आया है उसी दिन से आतंकवाद का प्रारंभ हो गया .आतंकवाद और इस्लाम एक सिक्के के दो पहलु हैं ये एक दूसरे के संपूरक हैं।
यह मुल्ले मुसलामानों को देश भक्त बता कर देश के संसाधनों में ३०% हिस्सा चाहते हैं ,और हर प्रकार की सुविधा और अधिकार चाहते हैं .क्या ये मुल्ले बताएँगे की मुसलामानों ने देश को क्या दिया ,सिवाय बढ़ती हुई आबादी के, इनका देश की उन्नति में क्या योगदान है ?ये सिर्फ़ मांगना जानते हैं देना नहीं ।
अब तक कुल ३१ ऐसे मुसलामानों की सूची मिल सकी है की जिन्हें बड़ी मुश्किल से कुछ लोग शायद देश भक्त कह सकें इसके विपरीत ९७ % मुसलमान किसी न किसी अपराध में संलग्न है या अपराधिओं की मदद करते है ।
सब मुसलमान आतंकवादी हैं ,यह बात झूठ है ,और उस से भी बड़ा झूठ यह है की सभी मुसलमान आतंकवादी नही हैं। दहशतगर्दी इनके खून में है और इनके मज़हब का एक अंग है ।
आजकल चुनाव का माहौल होने के कारण इन मुल्ले मौलवियों के भाव बढे हुए हैं ,यह जानते हैं की वोटों की खातिर कुछ पार्टियां उनकी खुशामद जरूर करेंगीं ,जिनके सहारे इन्हें संघ और अन्य हिंदू संगठनों के के ऊपर भोंकने का मौका मिल जायेगा .यह पार्टियां एक प्रकार से राजा मान सिंह का रोल अदा कर रही है ,जिसने अपना राज्य बचाने के लिए ,अपनी बहिन अकबर को दे दी थी ।
ताज्जुब की बात है की मध्य प्रदेश जहाँ बी जे पी की सरकार है ,जो अपने को हिंदुत्व का झंडा बरदार कहती है ,वहां का मुख्य मंत्री अपने शपथ ग्रहण समारोह में मुसलामानों को यह सफाई देता है की हमें उन से कोई दुश्मनी नहीं है .इस स्पष्टीकरण की क्या जरूरत आन पड़ी। क्या वे हिन्दुओं के दुश्मन हैं?
आज कल मुख्य मंत्री जी फ़िर मुसलामानों को रिझाने ने लग गए .ताकि उनसे वोट मिल सकें .क्या उनको पता नहीं है की मुसलमान सिर्फ़ मुसलमान को ही वोट देता है ,चाहे वह किसी भी पार्टी का हो .मुसलमान बी जे पी को वोट नहीं देते वह तो बी जे पी के मुसलमान प्रत्याशी को वोट देते हैं .इसलिए बी जे पी को भ्रम में नहीं रहना चाहिए
यदि बी जे पी अपना हिंदूवादी चेहरा छुपाएगी तो उसे हिन्दुओं के वोट भ नहीं मिलेंगे ,मुसलमान तो देने से रहे। इस तुष्टिकरण की नीति से देश फ़िर से मुसलामानों का गुलाम हो जायेगा। क्योंकि मुसलमान जहाँ भी जिस देश में भी रहेंगे वह उत्पात जरूर करेंगे। .यह बातें जन्नत की करते हैं लेकिन इन्हों ने दुनिया को जहन्नम बना दिया है ।
बड़े दुःख की बात है की एक साधारण सा मुल्ला जिसे कुरान और हदीस के अलावा कुछ भी पता नहीं है ,संघ और बजरंग दल पर उंगली उठाता है ,और यह संगठन चुप रहे .और इसका जवाब भी नहीं देते।
हम सभी हिन्दुओं की मांग है की इन मुल्ले मौलाविओं की नाक में नकेल डाली जाए। अगर दुनिया से सचमुच आतंकवाद को समाप्त करना है तो कुरान पर पाबंदी लगायी जाए जो इस सारे फसाद की जड़ है .इसी की तालीम से आतंकवादी बन रहे हैं और दुनिया के लिए ख़तरा बने हुए हैं
संघ और बजरंग दल कभी भी आतंकवादी नहीं हो सकते ।
सनसनी बाज़ मीडिया
मीडिया को प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है.जिसमे समाचार और टी वी मीडिया के प्रमुख अंग हैं। आम जनता पर इनका सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इनसे निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है
परन्तु देखा गया है की जब भी किसी हिंदू संगठन ,नेता या किसी धर्म गुरु के बारे में कुछ कहने का मौका मिलता है तो ,यह मीडिया अपनी सारी मर्यादाएं तोड़ कर उनके ख़िलाफ़ ,बिना किसी प्रमाण के असभ्य भाषा में अनाप शनाप आरोपों की जड़ी लगा देता है.जैसे इन पर हिंदू विरोध के हिस्टीरिया का दौरा पड़ गया हो । लेकिन जब मुसलमानों ,ईसाइयों, या कम्युनिस्टों की बात आती है तो इनको सौंप सूँघ जाता है। इन्हें सारे दुर्गुण हिन्दुओं में ही दिखाई देते है .इनकी नज़र में सिर्फ़ हिंदू ही आतंकवादी, सम्प्रदायवादी ,भ्रष्टाचारी और अपराधी है। बाकी सब दूध के धुले है।
मालेगाओं मामले में मीडिया ने जो रवैया अपनाया ,उसे देख कर एक वेश्या को भी शर्म आ जायेगी। अदालत में आरोप पत्र पेश होने से पाहिले ही इन भांड चैनल वालों ने आरोपियों को दोषी सिद्ध करने की एक मुहीम चलाये रखी और लोगों को भ्रमित करने व् न्यायपालिका को प्रभावित करने का कुत्सित प्रयास किया। कुछ समाचार वाचकों ने कुत्ते की तरह भोंक कर बड़े नाटकीय ढंग से झूठे समाचार इस तरह पेश किए जिस से भोले भाले हिन्दुओं में आरोपिओं के प्रति नफ़रत का भाव पैदा हो जाए .ऐसा करके इन टी वी वालों ने जनता को गुमराह किया है इनके ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।
यह रिपोर्टर और समाचार वाचक भी क्या करें यह अपने मालिकों के पालतू कुत्ते हैं मालिक इनको जिन पर भोंकने को कहता है भोंकते हैं बहुत कम लोगों को यह पता है की भारत के प्रमुख अखबार और टी वी चैनल मालिक अधिकतर ईसाई हैं, और कुछ को मुस्लिम देशों से पैसा मिलता है। इसी लिए यह सब हिन्दुओं के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने में कोई कसार नही छोड़ते है। दी जा रही सूची से हिंदू सच्चाई जान जाएँ गे।
१-एन डी टी वी -इसे इसपे के गोस्पेल ऑफ़ चैरिटी द्वारा चलाया जाता है जो ईसाई हैं और पाकिस्तान समर्थक है.सिर्फ़ इसी चैनल को पाकिस्तान में अनुमति है.भारत में इसे प्रनोय राय जो प्रकाश कारत का भाई है और कम्युनिस्ट पार्टी का महा सचिव है ,संभाल रहा है। इसकी पत्नी वृंदा कारंत की बहिन है
२-आई बी एन- इसका मालिक बाप्टिस्ट चर्च है इसकी शाखाएँ साड़ी दुनिया में हैं। मुख्यालय अमेरिका में है भ्हारत में इसका चीफ राजदीप सरदेसाई और उसकी पत्नी सागरिका घोष हैं .इनको चैनल चलाने के लिए हर साल ८०० मिल्लियन डालर दिए जाते हैं यह कुख्यात हिंदू विरोधी है।
३-टाइम्स ऑफ़ इंडिया -इसका मालिक बनेट एंड कोलमेन ग्रुप है इसमे नवभारत टाईम्स ,टाइम्स नौ ,और टाइम्स ऑफ़ इंडिया शामिल हैं इस ग्रुप में ८० %भागीदारी क्रिस्चियन कोंसिल ऑफ़ इंग्लैंड की और २० %इटली के रोबेर्तो मिन्दो की है जो सोनिया गाँधी का रिश्तेदार है।
४-स्टार टी वी -इसका मालिक आस्ट्रेलियन है.जिसकी सहायता संत पीटर पोंतिफिकल चर्च द्वारा की जाती है। यह चैनल कट्टर हिंदू विरोधी है।
५-हिन्दुस्तान टाइम्स -पाहिले यह बिरला ग्रुप के पास था ,अब इसे टाइम्स ग्रुप के साथ शोभना चला रही है। यह भी हिंदू विरोधी है क्योंकि शोभना ईसाई है।
६-दी हिंदू-यह १२५ साल पुराना अखबार है.कुछ साल पाहिले इसे स्विट्ज़र लैंड की जोशुआ सोसायटी ने ले लिया है। भारत में इसे एन राम देख रहा है जिसकी पत्नी स्विट्ज़र लैंड की है।
७-इंडियन एक्सप्रेस -इसे ऐ सी टी एस क्रिस्चियन मिनिस्ट्री द्वारा चलाया जा रह है
८-एशियन एज -सूदी अरब की एक कंपनी इसकी मालिक है.भारत में इसका हेड एम् जे अकबर है।
इस साफ़ हो जाता है की मीडिया कितना निष्पक्ष है?जब गुजरात दंगों में हिन्दुओं को जिदा जला दिया गया था ,उस समय बरखा दत्त और राजदीप सरदेसाई स्टार टी वी में काम करते थे .उन्हें साउदी अरब से ५ मिलियन डालर इस लिए दिए गए थे की वे सिर्फ़ मुसलमानों को ही टी वी पर दंगा पीडित दिखाएँ, और उन्हीं के बयान दर्ज कें। तरुण तेजपाल को भी हिन्दुओं के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने के लिए अरब देशों से पैसा मिलता है।
इसलिए हम हिन्दुओं से निवेदन करते हैं की इन टुकड़ खोर ,कपटी ,हिंदू विरोधी मीडिया वालों के जाल में न आए और न में उन ओअर विस्वास करें
भारत में हिंदू राज्य की स्थापना कैसे हो !
भारत में ८३ प्रतिशत हिंदू हैं ,जिन पर १७ प्रतिशत हिंदू विरोधी राज्य कर रहे हैं .इसमे सबसे महत्व पूर्ण स्थान सोनिया गाँधी और उसके परिवार का है। जो ईसाई हैं। राहुल तो भविष्य में प्रधान मंत्री बनने का सपना देख रहा है सोनिया के ख़ास सलाहकारों में ,ओस्कर फर्नांडिस, अम्बिका सोनी ,जिसका नाम हिंदू जैसा है लेकिन वह ईसाई है।,शामिल हैं उप राष्ट्रपति मोहम्मद हमीद अंसारी ,अहमद पटेल ,सलमान खुर्शीद सोनिया के ख़ास हिमायती हैं और कट्टर मुसलमान हैं गृह राज्य मंत्री शकील अहमद हिंदू विरोध के लिए कुख्यात है, केन्द्रीय मंत्री ई अहमद एक मुस्लिम लीगी है,और शफी कुरैशी ,अब्दुल रहमान अंतुले जैसे लोग हिन्दुओं के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते रहते हैं ,सोनिया के चहेते हैं.आन्ध्र प्रदेश का मुख्य मंत्री राज शेखर रेड्डी एक ईसाई है ,जिसे लोग हिंदू समझते हैं ,जोन दयाल चेयरमैन केथोलिक यूनियन ,और बालसन थम्पू चेयरमैन एन सी ऐ आर टी सोनिया को हिंदू समाज को कमजोर करने की तरकीबें सिखाते है जिस समय हिंदू अपनी आजीविका कमाने ,या अपने त्यौहार मनाने ,या मन्दिर बनाने में व्यस्त होते हैं, यह लोग हिन्दुओं को राजनीतिक रूप से गुलाम बनाने, और इस भूमि से हिंदू धर्म का सफाया करने की योजनायें बनाते रहते हैं। विश्व में मुसलामानों के ५४ देश हैं लेकिन दुर्भाग्य से लगभग एक अरब हिंदू जनसंख्या होने के बावजूद ऐसा कोई देश नहीं जहाँ हिंदू भय मुक्त होकर रह सकें .हम आज तक भारत को एक हिंदू राष्ट्र नहीं बना सके। इसका मुख्य कारण है हमारा स्वार्थ ,पदलोलुपता, हिन्दुओं में एकता का अभाव.और इसीलिए आज राजनीति में मुसलमान ईसाई कम्युनिस्ट और हिंदू विरोधी छाये हुए हैं .और हमेशा हिन्दुओं की अवहेलना की जाती है। यदि हिंदू सचमुच ,मुलायम, लालू रामविलास जैसे मक्कारों और मुसलमानों, ईसाइयों ,और वामपन्थिओं के चगुल से निकालने, और हिन्दुओं को दूसरे दर्जे का नागरिक बनने से बचाना चाहे हों तो निम्न उपाय करने होंगे।१- सारे हिंदू संगठन जैसे आर एस एस, वी एच पी, बजरंग दल, शिवसेना, बी जे पी और अकाली दल मिल कर एक फ्रंट बनाएं ,और ईश्वर के नाम पर शपथ लें की हर हाल में हिंदू शक्ति की विजय सुनिश्चित करेंगे ।२-भारत में लगभग एक लाख पचास हज़ार अरबपति और चालीस हज़ार खरबपति हैं .और उनमेसे अधिकाँश के पास विदेशों में भी अरबों डालरों की सम्पति है। यदि उन्हें समझाया जाए की यदि भारत में हिंदू अल्प संख्यक हो गए तो कुछ ही वर्षों में उनकी संपत्ति शून्य हो जायेगी। जैसा कश्मीर में हुआ है ३-हम ऐसे सभी धन कुबेरों से उचित माध्यमों से संपर्क कें ,और उन्हें भामा शाह की तरह देशहित में दान देने की सलाह देन ४-देश के सभी सम्प्रदाय के संतों ,उपदेशकों ,धर्माचार्यों ,और महंतों से संपर्क कें और उन्हें इस धर्म कार्य का नेतृत्व करने हेतु निवेदन करें। और अपने प्रवचनों ,उपदेशों में इस विषय को अवश्य सम्मिलित करें .संतों द्वारा चलाये गए अभियान से बाज़ी पलट सकती है। ५-देश में अनेकों ओजस्वी प्रखर वक्ता हैं उमा भारती , सुब्रमण्यम स्वामी और विनत कटियार ,इनको प्रचार के लिए देश में भेजा जाए। ६-प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुभवी लोगों को इस काम के लिए अनुबंधित कियाजाये, और ऐ मेल आदि का भरपूर उपयोग किया जाए।७- हमारे वक्ताओं ,नेताओं को अपने विचार निर्भयता और स्पष्ट रूप से प्रकट करने होंगे ,ताकि लोगों में कोई भ्रम न रहे। स्पष्ट नीति के कारण लोगों का विशवास बढेगा ।'८-यदि आज बी जे पी साफ़ तौर पर यह घोषणा कर दे की ,वह सत्ता मिलने पर देश से आतंकवाद का सफाया कर देगी ,तो कोई कारण नहीं की हिंदू वोट बी जे पी को नहीं मिलें ।९-लोकसभा की लगभग ५० सीटें ऎसी हैं ,जहाँ हिंदू वोट उदासीन रहता है ,और हिंदू वोटों की संख्या कम रहती है। वहां पर विख्यात हिंदू नेताओं को भेजा जाए,जो अपने ओजस्वी भाषणों से हिन्दुओं को वोट देने के लिए प्रेरित करें और वातावरण पक्ष में बनाएं। १०- यदि केवल ४० प्रतिशत हिंदू भी निश्चय करके वोट डालते हैं ,तो हिंदू राष्ट्र की अवधारणा साकार हो सकती है। इसमे कोई संशय नही है। हमें हिंदू धर्म ,संस्कृति और अपने देश को बचाने के लिए ,गहरी नींद से जागना होगा,और एक साथ मिलकर काम करना होगा। हम यह अवसर न चूकें.याद रखिये की समय किसी के लिए नहीं ठहरता ,ऐसा न हो की बाद में हाथ मलना पड़े। आइये सभी हिंदू प्रतिज्ञा करें की हम अपना भाग्य अपने हाथों से बनायेंगे और भात्रत को एक हिंदू राष्ट्र बना कर्ण ही दम लेंगें ।जय भारत बी एन शर्मा भोपाल -०३ मार्च 2009
हिंदू शिरोमणि समीर कुलकर्णी देश भक्त है !
सोना जितना तपाया जाता है, उसकी चमक उतनी ही निखरती है ,यह कहावत समीर पर ठीक चरितार्थ होती है .ऐसा व्यक्ति जिसने अपनी माँ ,और परिवार को त्याग कर अपना सारा जीवन देश अर्पित कर दिया ,आज उसके जैसा दूसरा व्यक्ति मिलना असंभव है.समीर ने भूख प्यास की परवाह किए बिना ,हिंदू धर्म और देश की रक्षा के लिए हिन्दुओं को संगठित करने का बीडा उठाया .केवल एक साल के अन्दर उसने मध्य प्रदेश के सारे हिंदू संगठनों को एक सूत्र में पिरोने का भागीरथ कार्य कर दिखाया .उसी के प्रयासों का परिणाम है, की आज अभिनव भारत का नाम पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिस संगठन को पाहिले कोई जानता तक नहीं था,आज वह एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन माना जा रहा है।
अभिनव भारत का उद्देश्य हिन्दुओं को जगाना और ,तुष्टिकरण की नीति के चलते ,हिन्दुओं पर किए गए अन्याय ,और उपेक्षा का प्रतिकार करना है.आज देश में आतंरिक और बाहरी दोनो तरह का खतरा मौजूद है। और कांग्रेस सरकार कोई कठोर कदम उठाने की वजाय पकिस्तान से नूरा कुश्ती लड़ कर देश को गुमराह कर रही है। जबकि आतंकवादी और देशद्रोही इन्हीं कान्ग्रेसिओं की छत्र छाया में पल रहे हैं .यही उनकी सहायता करते हैं
समीर का मानना था की प्रत्येक हिंदू को एकजुट होकर देश विरोधिओं का मुकाबला करना चाहिए। यह हिन्दुओं का परम धर्म है। जब देश में ऐसी वर्णसंकर और नामर्द सरकार हो तो केवल सेना और पुलिस के भरोसे देश को बचाना संभव नहीं है। समीर इसी महान कार्य में लगा हुआ था।
लेकिन जो लोग फ़िर से एक और विदेशी बहू को प्रधान मंत्री बनाने की योजना बना रहे थे उनको अभिनव भारत से ख़तरा पैदा हो गया.वैसे तो यह वर्णसंकर किसी भी हिंदू संगठन को फूटी आंखों से नहीं देख सकते, समीर शुरू से उनके निशाने पर था .बस वह मौका तलाश रहे थे। और अचानक २७ अक्टूबर २००८को दिवाली से दो दिन पाहिले ,महाराष्ट्र की ऐ टी एस समीर को भोपाल से चुपचाप उठा ले गई.यहाँ तक की इसकी सूचना मध्य प्रदेश पुलिस को भी नहीं दी गई .बाद में एक वरिष्ठ पत्रकार श्री ललित श्रीवास्तव ने इसका विरोध किया था और सरकार का ध्यान खींचा था।
ऐ टी एस ने बिना किसी पूछताछ के समीर को जेल में दाल दिया,और उसे एक आतंकवादी बत्ताते हुए उस पर मकोका भी लगा दिया ताकि मामला और संगीन हो जाए और चुनाव से पाहिले जमानत न हो सके। यह सारा षडयंत्र मध्य प्रदेश के दो कांग्रेसी नेताओं का था जो राहुल गांधी को होनेवाला अगला प्रधान मंत्री मानते हैं।
सारा मध्य प्रदेश जानता है की ,समीर पर लगाए सभी आरोप झूठ हैं .हमारा विशवास है की अदालत जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी। हमें न्यायपालिका पर विशवास है।
ऐ टी एस ने समीर को जितना प्रताडित किया,अगर उतना किसी आतंकवादी को किया होता तो आज देश से आतंकवाद कब का मिट गया होता। लेकिन हाय हिन्दुओं का दुर्भाग्य की सुप्रीम कोर्ट से अपराधी घोषित होने के वावजूद अफजल बिरयानी और कबाब की दावत उड़ा रह है। और बिना अपराध के एक देशभक्त हिंदू को चार चार दिन भूखे रख कर लगातार मारा जाता है .उस पर आरोप लगाया की उसने लाखों रूपये जमा कर के बम बनाए .जबकि समीर के पास मात्र दो जोडी कपड़े थे। उसके खाते सिर्फ़ ७८ रूपये थे .उसके पास खाने को भी पैसे नहीं रहते थे। वह दो दो दिन भूके रह कर काम करता था.या किसी शुभचिंतक के घर खाना खा लेता था।
समीर कुलकर्णी से मध्य प्रदेश की भूमि धन्य हो गई है हमें उस पर गर्व होना चाहिए।
समीर ने भोपाल से लोकसभा का चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट की है। वह अक्सर कहता था की देश और धर्म की रक्षा के लिए राजनीतिक शक्ति भी जरूरी है ताकि वह संसद में जाकर इन दोगलों को मुह तोड़ जवाब दे सके। जो वोटों की खातिर तुष्टीकरण की नीति से हिदुओं की उपेक्षा कर रहे हैं .जब भी संसद में हिन्दुओं पर आरोप लगाए जाते थे तो समीर कहता था की आज अगर में संसद में होता तो इन लोगों को उचित जवाब देता।
हम सभी हिन्दुओं से अपील करते है की अपना वोट समीर को ही देन संसद ने सौ गीदरों को भेजने से अच्छा है की एक शेर को भेजा जाए। समीर की वाणी में ओज है ,जब वह बोलेगा तो सेकुलार्वादिओं और कान्ग्रेसिओं के होश उड़ जायेंगे।
हम श्री राजनाथ सिंह से निवेदन करते हैं की भोपाल की सीट समीर के लिए छोड़ दें .हम बी जे पी को हिंदुत्व समर्थक पार्टी मानते हैं .और आज तक आँख बंद कर बी जे पी को ही वोट देते आए हैं .एक सीट देना उनके लिए बड़ी बात नहीं है .बल्कि इस से बी जे पी को कई गुना बल मिलेगा।
हम सभी का एकमात्र लक्ष्य देश को परम वैभव के शिखर पर पहुंचाना है। हम इस देश के वास्तविक उत्तराधिकारी हैं .किसी विदेशी या उसके वंशजों का यहाँ कोई स्थान नहीं .हम देश और धर्म की रक्षा के लिए संकल्पित हैं ।
खतना कराना शैतान की चाल है !अल्लाह का हुक्म नहीं !!
वैसे तो सभी मुसलमान मानते हैं कि इंसान को अल्लाह ने बनाया है.और उसका अकार,रूप संतुलित और ठीकठाक बनाया है .उसे किसी तरह की कमी नहीं रखी.और यह भी दावा करते हैं कि अल्लाह ने कुरआन में सारी बातें खोल खोल कर साफ़ बता दी हैं.
लेकिन जब उनसे खतना के बारे में पूछा जाता है ,तो वे बेकार के बहाने करने लगते हैं.एक व्यक्ति ने जब इसके बारे में सवाल किया तो इम्पेक्ट उर्फ़ सलीम ने कहा कि अप फल को छीलकर क्यों खाते हैं.हमने कहा अगर अल्लाह को छिला हुआ फल पसंद है तो फल का नाम भी बता देते
लेकिन मेरा मुसलमानों से सवाल है कि वे एक भी आयत बताएं जिसमे खतना का हुक्म हो .या वे बता दें कि मुहम्मद ने कब खतना कराई थी .,इसकी कोई हदीस बता दें अब हम मुख्य विषय पर आते हैं
1 -अल्लाह ने इंसान को उचित रूप में बनाया
"हमने तुम्हें बनाया तो ,ठीक अनुपात और आकार में बनाया और इस प्रकार की रचना बनाई जैसी होना चाहिए .सूरा अल इनफितार 82 :7 -8
"तुम क्यों नहीं मानते कि हमने ही तुम्हें पैदा किया और तुम्हारा आकार देने वाले हम हैं ,या तुम आकार देने वाले हो .सूरा अल वाकिया -56 :57
"हमने तुम्हारा अकार बनाया और अच्छा आकार बनाया .सूरा अल मोमिनीन -40 :64
"अल्लाह ने जो भी चीज बनाई व्यर्थ नहीं बनाई .सुरा आले इमरान -3 :191
"हमने इन्सान को अच्छे से अच्छी स्थिति में बनाया .सूरा अत तीन -95 :3
2 -अल्लाह के दिए आकार को बदलना शैतान की चाल है -
"शैतान ने अल्लाह से कहा ,मैं तेरे बन्दों को बहकाऊँगा ,उनको वासना के मायाजाल में फंसऊँगा ,फिर वे अपने चौपायों के कान फडवाएंगे और अलाह की रचना में बदलाव करेंगे ,और पशुओं को देवताओं के नाम छोड़ देंगे ,ऐसा करने वाले शैतान के मित्र हैं "सूरा अन निसा -4 :119
इस आयत की तफ़सीर में "अल्लाह की रचना "में बदलाव का उदहारण दिया गया है जैसे -नसबंदी करना .किसी को बाँझ करना ,परिवार नियोजन करना ,आजीवन ब्रह्मचारी रहना ,और किसी को हिजड़ा बनाना है .
इसी आयत कि बदौलत मुसलमान परिवार नियोजन नहीं करते हैं .इसे गुनाह मानते है .
3 -खतना कराना यहूदिओं की नक़ल है -
वैसे तो मुसलमान यहूदिओं को रोज गालियाँ देते हैं .लेकिन उनकी नक़ल करके छोटे छोटे बच्चों की खतना कर देते है .जब वह नादान होते है .कुरआन में ऐसा कोई आदेश नहीं है ,यह बाईबिल का आदेश है -
" खुदा ने कहा तू और तेरे बाद तेरे वंशज पीढी दर पीढी हरेक बच्चे का खतना कराये,और उनके लिंग की खलाड़ी काट दे,जो ट्रे घर में पैदा हो या जिसे मोल से खरीदा हो सबका खतना कर "बाइबिल -उत्पत्ति अध्याय -17 :9 से 14
4 -मूसा और उसके पत्रों का खतना नहीं हुआ
" मिस्र निकालने बाद जितने लोग पैदा हुए किसी का खतना नहीं हुआ -यहोशु-5 :5
"अपना नहीं बल्कि अपने ह्रदय का खतना करो "बाइबिल व्यवस्था -10 :16
यहाँ तक तो लड़कों के खतना की बात है .लेकिन मुहम्मद ने अल्लाह से आगे बढ़ कर औरतों के खतना का हुक्म दे डाला
5 -औरतों का खतना -female genital mutilation
यह मुहमद के दिमाग की खुराफात है .इसका कुरान में कोई जिक्र नहीं है चूँकि यहूदी लड़कों का खतना करते थे मुहम्मद उसका उलटा करा चाहता था .उसे यहूदिओं से नफ़रत थी .उसने कहा -
"रसूल ने कहा कि काफिर और यहूदी जैसा करते हैं ,उम उसका उलटा करो .बुखारी -जिल्द 7 किताब 72 हदीस 780
एक दिन मदीना में उम्मे अत्तिया लड़किओं की खतना करने जा रही थी ,मुहम्मद ने उस से कहा कि लड़की की योनी को गहराई से मत छीलो .ऐसा न हो कि वह उसके पति को अच्छी न लगे -अबू दाऊद-किताब 41 हदीस 5149 ,5151 और 5152
"रसूल ने कहा कि लड़किओं की सिर्फ भगनासा clitoris और आस पास के भागोस्ष्ठ छील दो बुखारी जिल्द 7 किताब 72 हदीस 779
6 -महिला खतना में क्या होता है
भगनासा को बिलकुल निकाल देना -removal clitoris भगोष्ठ को छील देना या काट देना trimming of labia majora .और cutting
महिला खतना अरब में अधिक है .लेकिन भारत के मुसलमान भी अपनी औरतो की खतना इस लिए करा देते है कि उनकी औरतें किसी गैर मुस्लिम के साथ न भाग जाए ,क्योंकि सिर्फ मुस्लिम ही ऎसी बर्बाद और बिद्रूप औरत को रख सकता है
http://sheikyermami.com/2009/09/30/are-you-a-sponsor-of-female-genital-mutilation/
शिवाजी का पत्र-गद्दार मिर्जा राजा जयसिंह के नाम
भारतीय इतिहास में दो ऐसे पत्र मिलते हैं जिन्हें दो विख्यात महापुरुषों ने दो कुख्यात व्यक्तिओं को लिखे थे .इनमे पहिला पत्र "जफरनामा "कहलाता है .जिसे श्री गुरु गोविन्द सिंह ने औरंगजेब को भाई दया सिंह के हाथों भेजा था .यह दशम ग्रन्थ में शामिल है .इसमे कुल 130 पद हैं .दूसरा पत्र शिवाजी ने आमेर के राजा जयसिंह को भेजा था .जो उसे 3 मार्च 1665 को मिल गया था.इन दोनों पत्रों में यह समानताएं हैं की दोनों फारसी भाषा में शेर के रूप में लिखे गएहैं .दोनों की प्रष्ट भूमि और विषय एक जैसी है .दोनों में देश और धर्म के प्रति अटूट प्रेम प्रकट किया गया है .जफरनामा के बारे में अगली पोस्टों में लिखेंगे .
शिवाजी पत्र बरसों तक पटना साहेब के गुरुद्वारे के ग्रंथागार में रखा रहा ..बाद में उसे "बाबू जगन्नाथ रत्नाकर "ने सन 1909 अप्रेल में काशी में
काशी नागरी प्रचारिणी सभा से प्रकाशित किया था.बाद में "अमर स्वामी सरस्वती ने उस पत्र का हिन्दी में पद्य और गद्य ने अनुवाद किया था.फिर सन 1985 में अमरज्योति प्रकाशन गाजियाबाद ने पुनः प्रकाशित किया था
राजा जयसिंह आमेर का राजा था ,वह उसी राजा मानसिंह का नाती था ,जिसने अपनी बहिन अकबर से ब्याही थी .जयसिंह सन 1627 में गद्दी पर बैठा था .और औरंगजेब का मित्र था.औरंगजेब ने उसे 4000 घुड सवारों का सेनापति बना कर "मिर्जा राजा "की पदवी दी थी .औरंगजेब पूरे भारत में इस्लामी राज्य फैलाना चाहता था.लेकिन शिवाजी के कारण वह सफल नही हो रहा था .औरंगजेब चालाक और मक्कार था .उसने पाहिले तो शिवाजी से से मित्रता करनी चाही .और दोस्ती के बदले शिवाजी से 23 किले मांगे .लेकिन शिवाजी उसका प्रस्ताव ठुकराते हुए 1664 में सूरत पर हमला कर दिया .और मुगलों की वह सारी संपत्ति लूट ली जो उनहोंने हिन्दुओं से लूटी थी
फिर औरंगजेब ने अपने मामा शाईश्ता खान को चालीस हजार की फ़ौज लेकर शिवाजी पर हमला करावा दिया .और शिवाजी ने पूना के लाल महल में उसकी उंगलियाँ काट दीं.और वह भाग गया
फिर औरंगजेब ने जयसिंह को कहा की वह शिवाजी को परास्त कर दे .जयसिंह खुद को राम का वंशज मानता था .उसने युद्ध में जीत हासिल करने के लिए एक सहस्त्र चंडी यग्य भी कराया .शिवाजी को इसकी खबर मिल गयी थी जब उन्हें पता चला की औरंगजेब हिन्दुओं को हिन्दुओं से लड़ाना चाहता है .जिस से दोनों तरफ से हिन्दू ही मरेंगे .तब शिवाजी ने जयसिंह को समझाने के लिए जो पत्र भेजा था ,उसके कुछ अंश हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे है -
1 -जिगरबंद फर्जानाये रामचंद -ज़ि तो गर्दने राजापूतां बुलंद .
हे रामचंद्र के वंशज ,तुमसे तो क्ष त्रिओं की इज्जत उंची हो रही है .
2 -शुनीदम कि बर कस्दे मन आमदी -ब फ़तहे दयारे दकन आमदी .
सूना है तुम दखन कि तरफ हमले के लिए आ रहे हो
3 -न दानी मगर कि ईं सियाही शवद-कज ईं मुल्को दीं रा तबाही शवद ..
तुम क्या यह नही जानते कि इस से देश और धर्म बर्बाद हो जाएगा.
4 -बगर चारा साजम ब तेगोतबर -दो जानिब रसद हिंदुआं रा जरर.
अगर मैं अपनी तलवार का प्रयोग करूंगा तो दोनों तरफ से हिन्दू ही मरेंगे
5 -बि बायद कि बर दुश्मने दीं ज़नी-बुनी बेख इस्लाम रा बर कुनी .
उचित तो यह होता कि आप धर्म दे दुश्मन इस्लाम की जड़ उखाड़ देते
6 -बिदानी कि बर हिन्दुआने दीगर -न यामद चि अज दस्त आं कीनावर .
आपको पता नहीं कि इस कपटी ने हिन्सुओं पर क्या क्या अत्याचार किये है
7 -ज़ि पासे वफ़ा गर बिदानी सखुन -चि कर्दी ब शाहे जहां याद कुन
इस आदमी की वफादारी से क्या फ़ायदा .तुम्हें पता नही कि इसने बाप शाहजहाँ के साथ क्या किया
8 -मिरा ज़हद बायद फरावां नमूद -पये हिन्दियो हिंद दीने हिनूद
हमें मिल कर हिंद देश हिन्दू धर्म और हिन्दुओं के लिए लड़ाना चाहिए
9 -ब शमशीरो तदबीर आबे दहम -ब तुर्की बतुर्की जवाबे दहम .
हमें अपनी तलवार और तदबीर से दुश्मन को जैसे को तैसा जवाब देना चाहिए
10 -तराज़ेम राहे सुए काम ख्वेश -फरोज़ेम दर दोजहाँ नाम ख्वेश
अगर आप मेरी सलाह मामेंगे तो आपका लोक परलोक नाम होगा .
इस पत्र से आप खुद अंदाजा कर सकते है .शिवाजी का देश और धर्म के साथ हिन्दुओ के प्रति कितना लगाव था .हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम उनके अनुयायी है .हमें उनके जीवन से सीखना चाहिए .तभी हम सच्चे देशभक्त बन सकते हैं
अपराधी को कितनी बार क्षमा कर सकते हैं?
देश में भारतीय मूल के कई धर्म प्रचलित हैं ,इनमे हिन्दू ,जैन ,बौद्ध और सिख धर्म मुख्य हैं .इनके अनुयायी अपने अपने धर्म पर गाढ श्रद्धा रखते हैं ,और अपने धर्म को मानते हैं.वैसे तो सभी अपने धर्म को मानते हैं ,परन्तु अधिकाँश अपने धर्म को ठीक से नहीं जानते .यही एक विडम्बना है.धर्म के बारे में विद्वानों ने कहा है कि "धर्मस्य त्वरितो गतिः "अर्थात धर्म की गति बड़ी तेज है.धर्म एक बहती हुई निर्मल जल की सरिता की तरह है.समाज को धर्म के साथ और धर्म को समाज के साथ चला चाहिए .नहीं तो धर्म के प्रवाह में गतिरोध हो जाएगा और कट्टरता आजायेगी .
भारत के सभी धर्मों में अहिंसा ,क्षमा,दया आदि अनेकों सद्गुणों को धर्म का अंग माना गया है.ल्र्किन लोग इन्हीं गुणों को हमारी कमजोरी समझकर हमें भीरु और निर्बल मानते है.हमारे जैन बंधुओं ने अहिंसा और क्षमा को पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया है ,यह जैन धर्म की विशेषता है.
भगवान महावीर का जन्म 599 ई पू हुआ था ,उनंके जन्म का नाम वर्धमान था .जैन ग्रंथों में उनका नाम महावीर होने के पीछे एक कथा है .जब वर्धमान लगभग 8 साल के थे तो वे अपने बाल मित्रो के साथ एक "तिन्दूसक "नामका खेल खेल रहे थे.इस खेल में बच्चे किसी भी वृक्ष को लक्ष्य करके उसकी तरफ दौड़ते थे ,जो बच्चा सबसे पहले उस पेड़ को पकड़ लेता था वही जीत जाता था .जब सारे बच्चे लौट रहे थे तो अचानक एक मायावी ने भयानक रूप धारण करके बच्चों को भयभीत करना प्रारंभ कर दिया .और वे डर से कांपने लगे .
उस समय बालक सिद्धार्थ ने उस दुष्ट के सर पर इतनी जोर से मुष्टिका प्रहार किया कि वह दुष्ट मायावी भूमि में धंस गया.
वर्धमान की यह वीरता देख कर इंद्र प्रसन्न हो गया .और बोला कि आज से आपका नाम "महावीर "होगा
अहिंसा वीरता का लक्षण है.-आवश्यक चूर्णी -भाग 1 पत्र 246
बाद में जब महावीर जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर बने तो उनके पहले 11 शिष्यों को गणधर कहा जाताहै प्रथम गणधर "गौतम "थे
भगवान महावीर ने अपने उपदेश में गौतम गणधर से इस तरह कहा -
"गोयमा ! उच्चं पासई उच्चं पणामम करेई नीयम पासेई नीयम पणामम करेई ,जं जहा पासति तस्स तहा पणामम करेई "
हे गौतम उत्तम व्यक्तीं के साथ उत्तम व्यवहार करो और नीच लोगों के साथ उसी तारक का व्यवहार करो -भगवती सूत्र शतक 9 उद्देसा 6 सूत्र 383
क्षमा करना धर्म का लक्षण है परन्तु किसी दुष्ट को कितनी बार क्षमा करे यह समय के अनुसार निर्धारित होता रहा है ,जैसे जसी लोगों की सहनशीलता कम ,और दुष्ट बढ़तेगए क्षमा करने की संख्या कम होती गयी
1 -द्वापर युग में 100 अपराध माफ़ थे
महाभारत के अनुसार कृष्ण ने शिशुपाल की माँ को वचन दिया था कि मैं सिसुपाल के सौ अपराध माफ़ कर दूंगा .लेकिन जब शिसुपाल लगातार अपराध करता रहा और जैसे ही उसने सौ के बाद फिर अपराध किया ,कृष्ण ने उसका वध कर दिया
महाभारत -आदिपर्व अध्याय 100 श्लोक 20
2 -ईसा मसीह के समय 49 अपराध माफ़ थे
"पतरस ने पूछा कि हे प्रभु यदि कोई मेरा अपराध करता है तो मैं उसी कितनी बार माफ़ कर दूँ .क्या सात बार ?यीशु ने कहा नहीं .बल्कि सैट बार के सात गुने तक "बाइबिल नया नियम -मत्ती 18 21 और 22
3 -हज़रत अली के समय केवल 2 अपराध माफ़ थे
यही सवाल हज़रत अली से किसी ने पूछा कि या मौला हम अपने अपाधी को कितनी बार माफ़ कर सकते है .तो उन्हों ने कहा -
"सालिसुं हीलास्सैफ"यानी तीसरी बार तलवार से काम लो .नजहुल बलाग पेज 83 खुतबात
4 -गुरु गोविन्द सिंह जी के समय एक भी अपराध माफ़ नहीं
सिख इतिहास सब जानते हैं .गुरु गोविन्द जी ने धर्म के लिए अपने पिता और चार बच्चों के सहित कई महान वीरों को बलदान कर दिया था. वे जीवन भर अत्याचार और अन्याय से लड़ते रहे .आज हम उन्ही की बदौलत जीवित हैं .वरना देश में हिन्दू मिट गए होते .
गुरुजी ने सब उपाय कर लिए और देखा कि अत्याचारी अपना जुल्म कम नही कर रहे है .तो उन्हों ने अपने "जफरनामा "में यह लिखा.
"चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त ,हलालास्त बुर्दन बशमशीर दस्त "
अर्थात हमने हर तरह से नरमी की नीति अपना कर देख ली .अब तलवार उठाना ही एक मात्र उपाय है .जफ़र नामा छंद 46
गुरुजी ने यह भी कहा कि
"चुन शेरे जिया ज़िंदा मानद हमे,जि इन्ताकामे सीतानद हमे .
यानी जब तक यह शेर वीर ज़िंदा रहेंगे ,हमेशा बदला लेते रहेंगे
इसी को पजाबी कवी ईसर सिंह इसर ने इस तरह लिखा है
"नहला उथ्थे दहला मार बदला चुका देंदे ,रखदा न किसीदा उधार तेरा खालसा .
सारा बकरा खा जांदा एक पलापल विच ,मारदा न एक भी डकार तेरा खालसा .
आज समय है कि गुरु गोविन्द सिंह जी की नीति का पालन किया जाये .तभी देश का कल्याण हो सकेगा
अंत में मेरा सभी मित्रों से निवेदन है कि वे यथा सम्बभ्व अभद्र भाषा का प्रयोग न करें .और न बेनामी कमेन्ट करें .
जब मैं सटीक उत्तर दे सकता हूँ तो आप बेकार ऎसी भाषा क्यों प्रयोग करें .आप खुद देख लेंगे कि ऐसे सब फर्जी लोगों का कैसे मुंह बंद किया जाता है .आप संयम रखें और धीरज के साथ अगली पोस्टें देखते रहिये
क्या अल्लाह भी मुहम्मद की तरह अनपढ़ है ?
एक तरफ तो मुसलमान मुहम्मद को बिलकुल अनपढ़ ,निरक्षर ,और उम्मी बताकर उसके अज्ञान पर पर्दा डालते रहते हैं ,और कहते हैं कि मुहम्मद ने कुरआन में जो भी कहा है वह मेरा कथन नहीं है.यह तो अल्लाह की वाणी है. और दूसरी तरफ मुहम्मद के मुंह से कहे गए अल्लाह की आयातों को विज्ञानं सम्मत सिद्ध करने की नाकाम कोशिश करते रहते हैं.
मुसलमान कुरआन की ऊंटपटांग व्याख्याएं करके कभी कुरआन में गणित का चमत्कार दिखाते हैं .कभी भौतिक विज्ञान और शारीरिक विज्ञान का प्रमाण साबित करने का प्रयत्न करते हैं.लेकिन जब कोई व्यक्ति कुरआन को गौर से पढ़ता है तो मुसलमानों के सारे दावों की पोल खुल जाती है.और साफ पता चल जाता है कि अल्लाह का सामान्य ज्ञान एक नर्सरी के बच्चे के ज्ञान से भी कम है.लगता है कि अल्लाह यातो लोगों को बातों में बहला रहा है या बहका रहा है .अल्लाह के ज्ञान का नमूना देखिये -
1 -अल्लाह ने एक गधे और उसके मालिक को सौ साल की मौत देदी -सूरा बकरा -2 :259
2 -जब लोग वही काम करने लगे जिस से उन्हें रोका गया था तो अल्लाह ने कहा तुम बन्दर बन जाओ -सूरा अल आराफ -7 :166
3 -हे मरियम के पुत्र !ईसा मेरा अनुग्रह याद करो ,जब तुम पैदा होते ही पालने में लोगों से बात करने लगे.सूरा अल मायदा -5 :110
4 -हमने तारों और नक्षत्रों को दुनिया के बिलकुल निकट सजा दिया है.और उनको शैतान को मार भगाने के काम पर लागा दिया .अल्मुल्क 67 :5
5 -हमने तारों को आकाश में दुनिया के बिलकुल सुशोभित कर दिया है सूरा अस साफ्फात -37 :6
6 -हमने सारी धरती को बिछौना और आकाश को तम्बू canopy बनाया है .और उस से पानी उतारा .सूरा बकरा --2 :22
7 -अल्लाह ही है ,जिसने आकाश को बिना सहारे के ऊंचा किया हुआ है,जैसा कि तुम खुद देख सकते हो.इस काम के बाद अल्लाह उसके ऊपर राज -सिंहासन पर विराजमान हो गया.यह सोचने वालों के लिए बड़ी निशानी है.सूरा अर रअ द-13 :2
8 -क्या तुम नहीं देखते कि ,अल्लाह ने आकाश को धरती पर गिराने से रोक रखा है.निश्चय ही अल्लाह लोगों के लिए अत्यंत दयावान और अत्यंत करूणामयहै .सूरा अल हज्ज -22 :65
9 -क्या हमने धरती को बिछौना नहीं बनाया ,और पहाड़ों को खूंटे bulwarks नही बनाया.ताकि वे सुद्रढ़ बने रहें.सूरा अन नबा -78 :7 ,8
10 -हनने अपनी खिलाफत को आकाशों ,धरती और पहाड़ों के सामने रखा,लेकिन वे उसे उठाने को तैयार नहीं हुए,और कांपने लगे.फिर एक मनुष्य ने उसे आसानी से उठा लिया.निश्चय वह आदमी बड़ा जाहिल और ज़ालिम है .सूरा अल अहजाब -33 :72
11 -हमने पहाड़ों को दाउदके साथ इस काम पर लगा दिया कि वे रोज संध्या और प्रातः काल अजान देते रहें .और बिछ जाएँ -साद -38 :18
बताइये क्या आप अब भी मुसलमानों के इस दावे ओअर विशवास कर सकते हैं कि कुरआन अल्लाह की क्याब है ,और यह ज्ञान और विज्ञान के अनुकूल है .क्या ऎसी ही बेवकूफी की बातें बता कर लोगो को मुसलमान बननेका बुलावा दे रहे है
यह तो थोड़ा सा नमूना है.आगे कुरआन की गणित और इस्लाम के कामसूत्र के बरे में लिखेंगे.क्यों कि यह विषय मुहम्मद को प्यारा था ,तो मुसलमानों को जरूर पसंद आयेगा.
बस आपसे अनुरोध है कि हरेक लेख ध्यान से पढ़ें ,ताकि तारतम्य बना
क्या अल्लाह सबकुछ जानता है ?
विश्व के अधिकाँश धर्म ईश्वर को सर्वव्यापी ,समर्थ और सर्वज्ञ मानते हैं और यह भी मानते हैं कि ईश्वर सब जानता है ,उस से कोई भी बात छुपी नही है .यही बात कुरआन भी कहती है .
1 -अल्लाह ज्ञानी है .
"अल्लाह सर्व शासक ,गुणवान ,प्रभुत्वशाली,और अत्यंत बुद्धिमान है -सूरा अल जुमुआ -62 :1
"अल्लाह का ज्ञान फरिश्तों से अधिक है .सूरा बकरा -2 :33
"अल्लाह को हरेक विषय का ज्ञान है ,और ज्ञान की दृष्टी से अल्लाह हरेक विषय को घेरे हुए है .सूरा अत तलाक -65 :12
यहाँ तक तो सब लोग सहमत होंगे ,लेकिन जब हम अल्लाह के भ्रूण विज्ञान embriology के बारे में पता करते है तो अल्लाह के ज्ञान के स्तर का पता चल जाता है कि उसे कितना ज्ञान है
2 -अल्लाह का भ्रूण विज्ञानं
"हमने मनुष्य को एक बूंद वीर्य से बनाया है .सूरा अन नहल -16 :4
"हमने तुम्हें तुच्छ पानी से बनाया ,और अंदाजे से बनाया .सूरा अल मुरसिलात -77 :20 से 23
"हमने इंसान को उछलते पानी से बनाया .सूरा अत तारिक -86 :5 और 8
"हमने इंसान को गारे और कीचड़ से बनाया .सूरा अस सजदा -32 :7 और 8
"हे लोगो देखो हमने तुम्हें मिट्टी से बनाया है .सूरा अल हज्ज -22 :5
3 -अल्लाह का शारीरिक अज्ञान
"फिर हम खालों से कहेंगे कि तुमने हमारे विरुद्ध गवाही क्यों दी ?तो खालें बोलेंगी ,अल्लाह नेकहा .सूरा हां नीम सजदा -41 :21
"उस दिन लोगों की जुबानें ,और हाथ पैर गवाही देंगे .सूरा अन नूर -24 :24
"अब हम लोगों के मुंह पर ठप्पा लगाए देते हैं ,फिर उनके हाथ बोलेंगे और पैर गवाही देंगे .सूरा यासीन -36 :65
अब आपने अल्लाह के ज्ञान के बारे में जान लिया है.अब अल्लाह के प्यारे रसूल का ज्ञान भी देख लीजिये ,जो अल्लाह से बढ़कर है .
4 -रसूल का शारीरिक ज्ञान
"बच्चे का पेशाब पानी और कीचड़ से बनाता है ,और बच्ची का पेशाब मांस और खून से-इब्ने माजा 1 :325
"अल्लाह गर्भ में एक फ़रिश्ता नियुक्त कर देता है ,जो अल्लाह को पाहिले से बता देता है कि होनेवाला लड़का होगा या लड़की होगी .फिर अल्लाह उसका भाग्य लिख लेता है.सही मुस्लिम -किताब 33 हदीस 6397
"जैसे ही वीर्य का एक विन्दु कोख ने गिरता है ,फ़रिश्ते अल्लाह से पूछते हैं कि यह मुस्लिम होगा या काफिर होगा .लड़का होगा या लड़की ,अच्छा होगा या बुरा .अल्लाह उसी समय सब कुछ लिख लेता है .सही मुस्लिम -किताब 33 हदीस 6392
"जब भ्रूण मारे एक गोश्त का एक टुकड़ा भर होता है ,अल्लाह इतनी बातें उसी वक्त लिख लेता है ,जिसमे कभी कोई बदलाव नहीं हो सकता है यह बातें इस प्रकार हैं -जीविका यानी रिज्क,मौत का समय और तरीका ,उसके कर्म यानी आमाल और ईमान, यानी धर्म .यह उसी वक्त अल्लाह के द्वारा तय कर दिए जाते हैं .मुस्लिम -किताब 33 हदीस 6390
"जैसे ही किसी मुसलमान का वीर्य किसी औरत की कोख में गिरता है फ़रिश्ते उसका ध्यान रखते हैं इसी लिए गर्भस्थ भ्रूण embryo को सारे लोग "रह्म"कहते है यानी रहमान का दिया हुआ .
बुखारी -जिल्द 1 किताब 6 हदीस 315
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 430
बुखारी -जिल्द -4 किताब 55 हदीस 550
बुखारी -जिल्द 8 किताब 73 हदीस 17 और 18
अब आप लोग खुद ही समझ सकते है ,कि जब अल्लाह और उसके रसूल का ज्ञान इस प्रकार का है ,तो मुसलमानों के ज्ञान का स्तर क्या होगा .यही कारण है कि मुसलमान जिन यहूदिओं को कोसते रहते हैं उनको सबसे जादा नोबुल पुरूस्कार मिले हैं .मुसलमान सिर्फ आतंक ही फैला सकते है .अगर दुर्भाग्य से पढ़ भी जाते हैं तो अपना ज्ञान समाज विरोधी ,और देश विरोधी कामों में लगा देते हैं
आखिर में मेरा सभी पाठकों से निवेदन है कि वे मेरे सभी लेखों को एक धारावाही के सामान समझ कर पढ़ें ,ताकि विषय में तारतम्य बना रहे .आगे भी इसी प्रकार के लेख दता रहूँगा .
मुसलमानों के ईमान की कीमत सौ मिलियन डॉलर !
भारत तो वर्षों से इस्लामी आतंकवाद को झेल रहा है .इसी की बदौलत देश का विभाजन हुआ .और इसी की कारण कश्मीर नरक बना हुआ है.आज भी दुनिया के कई देश इस्लामी आतंकवाद से त्रस्त हैं .जहां थोड़े से भी मुसलमान होते हैं ,वे वहां समस्या पैदा कर देते हैं .जब कोई समस्या भी नहीं होती है ,वे आपस में लड़ जाते हैं .यह उनका स्वभाव बन चुका है .जो बदल नहीं सकता.
अब लगभग सारी दुनिया के देश महसूस करने लगे हैं कि आतंकवाद और इस्लाम में कोई फर्क नहीं है.और कुरआन इसकी तालीम देती है .
अमेरिका को खुद की ताकत और सम्पती पर बड़ा घमंड था .लेकिन उसे भी इस्लामी आतंक का असली रूप उस समय पता चल गया जब ओसामा बिन के कहने पर अमेरिका के world trade center के twin towers को 11 नवम्बर 2001 को मुस्लिम आतंकवादिओं ने ध्वस्त कर दिया था .एक प्रकार से यह अमेरिका की इज्जत पर हमला था .इस आतंकी कार्यवाही में अमेरिका के 3000 निर्दोष लोग मारे गए थे .जिन में बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं जिस जगह वह दो towers थे आज वहां खाली मैदान है .new york की उस जगह को ground zero के नाम से जाना जाता है .चूंकि इस आतंकी कार्यवाही में जादातर ईसाई मरे थे.इसलिए उनके दिलों में मुसलमानों ,इस्लाम और कुरआन के प्रती नफ़रत भरी है .इसलिए वे हर साल 11 नवम्बर को ground zero की जगह पर मृतकों को श्रद्धांजलि देते आये हैं.ईसाईयों का घाव अभी भरा भी नहीं था कि अमेरिका में पहली बार एक वर्णसंकर barack hussain obama राष्ट्रपति बन गया .जो एक हब्शी मुसलमान है .
ओबामा ने आते ही अमेरिका की नीतियाँ बदलना शुरू कर दीं.क्यों कि उसमे भी मुसलमानों का खून है.ओबमाने अपनी नीति का नाम रखा है " operation infinit justice "यानी अनंत न्याय .पहिले bush के समय इसका नाम operation enduring freedom था.
फिर ओबामा ने अपनी असलियत दिखाई और ईसाइयों के जले पर नमक छिड़कने के लिए घोषणा कर दी कि grund zero की जगह पर एक islamic culture center बनाया जाएगा .जिसमे तेरा मंजिलें होंगीं .और एक बड़ी सी मस्जिद भी होगी .यह बात ऎसी है जैसे कोई राम जन्म स्थान पर फिर से मस्जिद बनाने की बात कर.
अमेरिका की सीनेट में इसका घोर विरोध हुआ ..सेनेट के democrate michael bloomberg ने चिला कर कहा कि "dont glorify the murderers of 3000 innocent americans .इसके अलावा democrate harry reid ने भी विरोध किया.washington post 8 अगस्त 2010 .
ओबामा की इस कमीनी हरकत से ईसाई आगबबूला हो गए .वे जान गए की आतंक की जड़ कुरआन है .इसलिए ईसाई संस्था Dove World Outreach Center ने 11 nov 2010 फ्लोरिडा में सार्वजनिक रूप से कुरआन जलाओ दिवस मनाने की तय्यारी की है .उस दिन शाम को 6 बजे से 9 बजे तक कई ईसाई देश अपने शहरों में कुरआन जलाएंगे .इसमें फ्रांस ,डेनमार्क ,रूस भी शामिल हैं .यह सारा कार्यक्रम संस्था के प्रमुख Terry Jones कर रहे हैं .लोग नारे लगा रहे हैं कि stop islam ,stop islamic law ,stop brutality .धीमे धीमे कई देश जुड़ रहे है जो इस्लाम से तंग आ चुके है .
चूंकि ओबामा जानता है कि ईसाई मानेंगे नहीं .इसलिए उसने मुसलमानों को शांत रखने के लिए इस्लामी देशों का दौरा किया .और वहां के मुस्लिम शाशकों और संस्थाओं को अनुदान भी दिए है .ओबामा ने करीब 13 इस्लामी देशों का दौरा किया .जैसे मिस्र ,लेबनान ,सीरिया ,और सौउदी अरब .
भारत में ओबामा ने अपने एक ENVOY राशिद हुसैन को भेजा था ,जो भारत के बिहार में पैदा हुआ था,राशिद 1978 में पैदा हुआ .उसकी माँ नाम रुकय्या और बाप का नाम मुहम्मद हुसैन है .उसका एक भाई और बही हैं जो पटना में मेडिकल में पढ़ रहे है
राशिद के साथ कई मुल्ले भी थे .इस टीम ने अलीगढ़ ,हैदराबाद ,लख नौउ,मुम्बई ,पटना ,और जलगाँव में मुस्लिम लीडरों और मौलवियों को खुश कर दिया .ईसाईयों का आरोप है कि ओबामा ने मुसलमानों को चुप रहने के लिए सौ मिलियन डालर खर दिए .क्यों कि वह साबित करना चाहता है कि मुसलमान शांतिप्रिय होते है .यह साबित करके ओबामा शान्ति का नोबल पुरस्कार पाना चाहता है और .इस्लाम का कलंक धोना चाहता है .
ईसाई कुरआन क्यों जलाना चाहते है ,उसके कारण हम उनकी वेब साईट www .dove world .org से ज्यों का त्यों अंगरेजी में दे रहे हैं .
The Koran does not have an eternal origin. It is not recorded in heaven. The Almighty God, Creator of the World, is NOT it's source. It is not
Two
The Koran does not have an eternal origin. It is not recorded in heaven. The Almighty God, Creator of the World, is NOT it's source. It is not holy. It's writings are human in origin, a concoction of old and new teachings. This has been stated and restated for centuries by scholars since Islam's beginnings, both Moslem and non-Moslem.
Three
The Koran's teaching includes Arabian idolatry, paganism, rites and rituals. These are demonic, an ongoing satanic stronghold under which Moslems and the world suffer.
Four
The earliest writings that are known to exist about the Prophet Mohammad were recorded 120 years after his death. All of the Islamic writings (the Koran and the Hadith, the biographies, the traditions and histories) are confused, contradictory and inconsistent. Maybe Mohammad never existed. We have no conclusive account about what he said or did. Yet Moslems follow the destructive teachings of Islam without question.
Five
ohammad's life and message cannot be respected. The first Meccan period of his leadership seems to have been religiously motivated and a search for the truth. But in the second Medina period he was "corrupted by power and worldly ambitions." (Ibn Warraq) These are characteristics that God hates. They also led to political assassinations and massacres which continue to be carried out on a regular basis by his followers today.
Six
Islamic Law is totalitarian in nature. There is no separation of church and state. It is irrational. It is supposedly immutable and cannot be changed. It must be accepted without criticism.
Seven
Islam is not compatible with democracy and human rights. The notion of a moral individual capable of making decisions and taking responsibility for them does not exist in Islam. The attitude towards women in Islam as inferior possessions of men has led to countless cases of mistreatment and abuse for which Moslem men receive little or no punishment, and in many cases are encouraged to commit such acts, and are even praised for them. This is a direct fruit of the teachings of the Koran.
Eight
A Muslim does not have the right to change his religion. Apostasy is punishable by death.
Nine
Deep in the Islamic teaching and culture is the irrational fear and loathing of the West.
Ten
slam is a weapon of Arab imperialism and Islamic colonialism. Wherever Islam has or gains political power, Christians, Jews and all non-Moslems receive persecution, discrimination, are forced to convert. There are massacres and churches, synagogues, temples and other places of worship are destroyed.
यद्यपि यह काम निंदनीय है .लेकिन अमेरिका में भारत जैसा लोकतंत्र नहीं है .वहां सचमुच की आजादी है .इसलिए ओबामा ईसाईयों को रोकने की जगह मुसलमानों को रुपये देकर खरीद रहा है.भारत के मुसलमान सबसे गरीब है .शायद वह इसी लिए चुप हैं .अगर हिन्दू ऐसा करते तो न जाने क्या हो जाता.डालर में बड़ी ताकत होती है ..इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो अल्लाह जाने या राशिद जाने .
इसका सही पता तो 11 नवम्बर 2010 पता चलेगा .
मुहम्मद के ससुर -सहाबियों का आदर्श दुश्चरित्र और महान कुकर्म !
इस्लाम अल्लाह का पसंदीदा और सर्वश्रेष्ठ धर्म है.इसलिए अल्लाह ने इस्लाम के शुरुआती दौर में ही इस्लाम में आसानी कर दी थी .इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ती अपने सारे जीवन में एक बार भी ,चलते फिरते मुहम्मद को देख लेता था तो वह "सहाबा"यानी मुहम्मद का companion बन जाता था.और जो किसी सहाबा को देख लेता था वह "ताबीइन"बन जाता था .इसी तरह जो व्यक्ति ताबीइन को देख लेता था वह ताबये ताबीइन बन कर महान और इज्जतदार बन जाता था .धीमे धीमे ऐसे लोगों की काफी बड़ी संख्या हो गयी थी .पाहिले यह लोग मुहम्मद की पत्नी आयेशा से मिलकर मुहम्मद के बारे में जानकारियाँ जमा करते थे ,जैसे मुहम्मद ने क्या कहा ,वह क्या खाते या क्या पहिनते हैं ,आदि चूंकि मुहम्मद के ससुर अबूबकर और उमर मुहम्मद के घर के पास रहते थे ,वे पाहिले सहाबी बन गए .इन सहबियों ने मुहम्मद के बारे में में या जो भी कथन था वह लोगों तक पहुंचा दिया .इन लोगों को 'रावी "या narraator भी कहा गया है .सारी हदीसें इन लोगों के द्वारा ही कही गयी हैं .
बाद में यही लोग जिहाद के नामपर जगह जगह से माल लूटने लगे .और लूट का पांचवां हिस्सा आयेशा के घर भेजने लगे .जब यह फ़ौज बढ़ गयी तो अबूबकर ने एक चाल चली .उसने अपनी बेटी मुहम्मद की औरत को "उम्मुल मोमिनीन "यानी मुसलमानों की अम्मा का खिताब देकर सारे लोगों का नेता बना दिया .सब आयेशा की बात मानने लगे.चारों तरफ से लूट का माल आने से अबूबकर धनवान हो गया .इसी तरह उमर भी पैसे वाला बन गया .इन लोगों को सत्ता का खून लग चुका था .और उनके दिलों में बादशाह या खलीफा बनाने का लालच पैदा हो गया .
मुहम्मद को यह पता था ,लेकिन वह अपने दामाद अली को खलीफा बनाना चाहता था.मुहम्मद कयी बार लोगोंके सामने अपनी यह इच्छा प्रकट की ही .क्योंके अली एक नेक दिल इंसान थे वह भारत को शान्ति प्रिय देश मानते थे."मुहम्मद ने कहा की "अना मदीनतुल इल्म व् अलीयुन बाबुहा "मैं ज्ञान का नगर हूँ और अली उसके द्वार हैं .
जब अबूबकर और उमर को इसकी भनक पड़ी तो उन्हों ने अपनी बेटीओं आयेशा और हफ्शा के द्वारा मुहम्मद को जहर दिलवा दिया .मुहम्मद बीमार पड़ गया .जब उसे लगा की उसका अंतिम समय आने वाला है ,तो उसने अबुबकर से कहा कि जल्दी से मेरे पास कागज़ कलम लाओ .ताकि मैं अपनी वसीयत लिख दूँ जिससे बाद में कोई विवाद न हो .
देखिये -कन्जुल उम्माल -जिल्द 1 पेज 283 हदीस 939 .और बुखारी -जिल्द 7 पेज 22 और मुस्लिम जिल्द 2 पेज 14
लेकिन अबूबकर को डरथा कि कहीं मुहम्मद अली को वारिस न बनादें .उसने मुहम्मद से कहा कि या रसूल अगर आप अपनी वसीयत लिखाकर सब को बता देंगे तो आपकी यह पोल खुल जायेगी कि आप अनपढ़ हैं और कुरआन अल्लाह की किताब है .जब लोगों को पता चलेगा कि आप लिख पढ़ सकते हैं यहूदी ईसाई कहेंगे कि कुरआन मुहम्मद ने रची है .यह सुनकर मुहम्मद डर गया .और वसीयत लिखने से रुक गया .
आखिर 63 साल की आयु में दिनाक 8 जून सन 632 को मुहम्मद दुनिया से बिना वसीयत लिखे ही कूच कर गए .
आयेशा और अबूबकर से साथ उमर भी अली से नफ़रत करतेथे .इनके साथ कुरैश के कई लोग भी थे .आयेशा को अली से खतरा था .उस समय अली बसरा में थे आयेशा ने अली की ह्त्या करवाने के लिए एक भारी फ़ौज जमा कि .और अली पर हमला कर दिया आयेशा खुद अल अक्सर नाम के ऊंट पर सवार होकर लोगों को अली की ह्त्या के लिए उकसा रही थी यह युद्ध सन 656 में बसरा में हुआ था .इस युद्ध को इतिहास में "जंगे जमल"यानी ऊंटों का युद्ध कहा गया है .इसमे अली के 1070 लोग मारे गए ,लेकिन वह जीत गए
जब अली जीतकर मदीने आये तो अबूबकर और उमर ने फिर चाली .जैसी मुसलमानों की आदत होती है .इन लोगों में अली से समझौता कर लिया .और पाहिले सहाबियों को रिश्वत देकर पटा लिया .फिर कहा कि जिसके पक्ष में सबसे जादा सहाबी होंगे वे संख्या के अनुसार खलीफा बनेंगे .अली के पक्ष में सिर्फ तीन लोग आये 1 मिकदाद बिन अस्वाद 2 अबू जरार गफारी और ३सलमान फारसी
इसा तरह मक्कारी से इस्लाम की हुकूमत हो गयी .जिसे खिलाफत कहते हैं .अली का क्रम चौथा कर दिया गया .खलीफों के नाम यह हैं -
1 -अबूबकर सन 632 में बना 634 में बीमार हो कर मर गया
2 -उमर बिन खत्ताब 634 से 644 में मर गया
3 -उस्मान बिन अफ्फान 644 से 656 इसकी ह्त्या की गयी
4 -अली बिन अबूतालिब 656 से 661 इनकी भी ह्त्या की गयी थी
इसके बाद मुआविया बिन अबू सुफ़यान और फी यजीद बिन मुआविया खलीफा बने .अली को छोड़ सभी खलीफाओं ने जो जो कुकर्म किये उस से इंसानियत काँप उठी थी .आज भी इनकी औलादें और अनुयायी अरब पर राज कर रहे है ,जिन्हें वहाबी या अहले हदीस कहा जाता है .
इमाम जाफर सादिक जो सन 703 में पैदा हुए उन्होंने अपनी किताब "हयातुल कुलूब "और "हक्कुल ईमान "में इन खलीफों के बारे में जो लिखा है वह दिया जा रहा है .याद रहे इमाम जाफर मुहम्मद के वंशज है ,जो झूठ नहीं बोल सकते .
1 -आयेशा और हफ्शा ने मुहम्मद को जहर दिया था ,जिससे कुछ दिनों बाद वह मर गए. हक्कुल य -पेज 870
2 -इमाम जैनुल अबिदीन ने कहा कि अबूबकर और उस्मान काफिर हैं .हक्कुल य पेज 522
3 -जो अबूबकर और उमर को मुसलमान मानते हैं उनपर अल्लाह और रसूल की लानत है हक्कुल य पेज 680
4 -इमाम जाफर रोज अपनी फर्ज नमाजों के बाद इन लोगों पर नयमित लानत भेजते थे .अबूबकर,उस्मान ,उमर .,मुआविया ,आयेशा ,हफ्शा और मुआविया की बहिन उम्मुल हकीमपेज -342
5 -इमाम जाफर ने कहा कि सीरिया के लोग रोमनों सेजादा नीच हैं और मक्के वाले उन से अधिक ,लेकिन मदीने के लोग सबसे सत्तर गुना बदकार हैं .हयातुल कुलूब जिल्द 2 पेज 410
6 -हजार जफ़र ने कहा कि अरब की उम्मत वेश्याओं की तरह है ,जो सूअर की तरह बच्चे पैदा कर रही है अरब की उम्मत वेश्याओं की संतान है हयातुल कुलूब -पेज 337
8 -जब खालिद बिन वलीद ने मालिक इब्ने नावरिया के कबीले के सरदार को क़त्ल किया तो उसी समय सबके साने उसकी औरत से बलात्कार किया.और सरदार के सर को तंदूर में पका कर अपनी शादी का वलीमा किया था.हयातुल कुलूब -पेज 100
9 -जब मुहम्मद की औरतें खेत में शौच के लिए जाती थीं ,तो उमर उनसे गंदे इशारे करता था.हया -पेज 430
10 -शराब हराम होने के बाद भी उमर जम कर शराब पीताऔर इसी से उसकी मौत हुई थी हया-पेज 430
11 -उमर अपनी औरतों के साथ पीछे से सम्भोग करता था .anal sex .हया-पेज 432
12 -उस्मान ने अपनी पत्नी को जब वह बीमार थी ,अत्याधिक सम्भोग करके मार डाला था .जब उसकी पत्नी उम्मे कुलसुम मर गयी तो उसकी लाश से भी सम्भोग किया था .हयातुल कुलूब जिल्द 2 पेज 432
13 -सारे अहले सुन्नत बिदती और बिलाशक काफिर है .ह यकीन पेज 384
ऐसे और केई उदाहरण है .लेकिन कुछ लोग इस्लाम की यह खूबियाँ जान कर मुसलमान बन रहे है ,खिलाड़ी ,कबाड़ी ,साहित्यकार और सहत्याकार सभी ऊंट की तरह मक्के की तरफ दौड़ रहे .शायद उन्हें पता है घुसना आसान है पर निकलना असंभव है
मुस्लिम ब्लोगर अक्सर घुमाफिरा कर सेक्स पर आ जाते है .इसलिए उनके लिए इसी विषय पर जल्द ही लिखा जाएगा ..प्रतीक्षा करें
यह कुरआन के आदेश हैं !मान लो !वरना .....!!
इस्लाम शान्ति का धर्म है .और मानवमात्र के कल्याण की कामना रखता है.कुरआन लोगों में भाईचारा फैलाना चाहता है.कुरान लोगों को अत्याचार और अन्याय से मुक्ति दिलाता है.ताकि विश्व के सारे लोग बिना भेदभाव के सुख शान्ति से जी सकें. इसीलिए अल्लाह ने अपने प्यारे अंतिम रसूल मुहम्मद को कुरआन देकर दुनिया में भेजा था.कि वह कुरआन का शान्ति सन्देश दुनिया भर में पहुंचा दे.और मुहम्मद के बाद यह काम मुसलमान करते रहें.
इसी कुरआन के ऊपर फ़िदा होकर लाखों लोग इस्लाम कबूल कर रहे हैं .और दुनिया के कोने कोने में शान्ति फैला रहे हैं.जैसा कि हम रोज अखबारों में पढ़ रहे हैं और टी वी में देख रहे हैं .आखिर कुरआन की शिक्षा में क्या है ,आप इसके कुछ नमूने देखिये -
1 -गैर मुसलमानों पर रौब डालो ,और उनके सर काट डालो .
काफिरों पर हमेशा रौब डालते रहो .और मौक़ा मिलकर सर काट दो .सूरा अनफाल -8 :112
2 -काफिरों को फिरौती लेकर छोड़ दो या क़त्ल कर दो .
"अगर काफिरों से मुकाबला हो ,तो उनकी गर्दनें काट देना ,उन्हें बुरी तरह कुचल देना .फिर उनको बंधन में जकड लेना .यदि वह फिरौती दे दें तो उनपर अहसान दिखाना,ताकि वह फिर हथियार न उठा सकें .सूरा मुहम्मद -47 :14
3 -गैर मुसलमानों को घात लगा कर धोखे से मार डालना .
'मुशरिक जहां भी मिलें ,उनको क़त्ल कर देना ,उनकी घात में चुप कर बैठे रहना .जब तक वह मुसलमान नहीं होते सूरा तौबा -9 :5
4 -हरदम लड़ाई की तयारी में लगे रहो .
"तुम हमेशा अपनी संख्या और ताकत इकट्ठी करते रहो.ताकि लोग तुमसे भयभीत रहें .जिनके बारेमे तुम नहीं जानते समझ लो वह भी तुम्हारे दुश्मन ही हैं .अलाह की राह में तुम जो भी खर्च करोगे उसका बदला जरुर मिलेगा .सूरा अन फाल-8 :60
5 -लूट का माल हलाल समझ कर खाओ .
"तुम्हें जो भी लूट में माले -गनीमत मिले उसे हलाल समझ कर खाओ ,और अपने परिवार को खिलाओ .सूरा अन फाल-8 :69
6 -छोटी बच्ची से भी शादी कर लो .
"अगर तुम्हें कोई ऎसी स्त्री नहीं मिले जो मासिक से निवृत्त हो चुकी हो ,तो ऎसी बालिका से शादी कर लो जो अभी छोटी हो और अबतक रजस्वला नही हो .सूरा अत तलाक -65 :4
7 -जो भी औरत कब्जे में आये उससे सम्भोग कर लो.
"जो लौंडी तुम्हारे कब्जे या हिस्से में आये उस से सम्भोग कर लो.यह तुम्हारे लिए वैध है.जिनको तुमने माल देकर खरीदा है ,उनके साथ जीवन का आनंद उठाओ.इस से तुम पर कोई गुनाह नहीं होगा .सूरा अन निसा -4 :3 और 4 :24
8 -जिसको अपनी माँ मानते हो ,उस से भी शादी कर लो .
"इनको तुम अपनी माँ मानते हो ,उन से भी शादी कर सकते हो .मान तो वह हैं जिन्होंने तुम्हें जन्म दिया .सूरा अल मुजादिला 58 :2
9 -पकड़ी गई ,लूटी गयीं मजबूर लौंडियाँ तुम्हारे लिए हलाल हैं .
"हमने तुम्हारे लिए वह वह औरते -लौंडियाँ हलाल करदी हैं ,जिनको अलाह ने तुम्हें लूट में दिया हो .सूरा अल अह्जाब -33 :50
10 -बलात्कार की पीड़ित महिला पहले चार गवाह लाये .
"यदि पीड़ित औरत अपने पक्ष में चार गवाह न ला सके तो वह अलाह की नजर में झूठ होगा.सूरा अन नूर -24 :१३
11 -लूट में मिले माल में पांचवां हिस्सा मुहम्मद का होगा .
"तुम्हें लूट में जो भी माले गनीमत मिले ,उसमे पांचवां हिस्सा रसूल का होगा .सूरा अन फाल- 8 :40
12 -इतनी लड़ाई करो कि दुनियामे सिर्फ इस्लाम ही बाकी रहे .
"यहांतक लड़ते रहो ,जब तक दुनिया से सारे धर्मों का नामोनिशान मिट जाये .केवल अल्लाह का धर्म बाक़ी रहे.सूरा अन फाल-8 :39
13 -अवसर आने पर अपने वादे से मुकर जाओ .
"मौक़ा पड़ने पर तुम अपना वादा तोड़ दो ,अगर तुमने अलाह की कसम तोड़ दी ,तो इसका प्रायश्चित यह है कि तुम किसी मोहताज को औसत दर्जे का साधारण सा खाना खिला दो .सूरा अल मायदा -5 :89
14 - इस्लाम छोड़ने की भारी सजा दी जायेगी .
"यदि किसी ने इस्लाम लेने के बाद कुफ्र किया यानी वापस अपना धर्म स्वीकार किया तो उसको भारी यातना दो .सूरा अन नहल -16 :106
15 - जो मुहम्मद का आदर न करे उसे भारी यातना दो
"जो अल्लाह के रसूल की बात न माने ,उसका आदर न करे,उसको अपमानजनक यातनाएं दो .सूरा अल अहजाब -33 :57
16 -मुसलमान अल्लाह के खरीदे हुए हत्यारे हैं .
"अल्लाह ने ईमान वालों के प्राण खरीद रखे हैं ,इसलिए वह लड़ाई में क़त्ल करते हैं और क़त्ल होते हैं .अल्लाह ने उनके लिए जन्नत में पक्का वादा किया है .अल्लाह के अलावा कौन है जो ऐसा वादा कर सके .सूरा अत तौबा -9 :111
17 -जो अल्लाह के लिए युद्ध नहीं करेगा ,जहन्नम में जाएगा .
"अल्लाह की राह में युद्ध से रोकना रक्तपात से बढ़कर अपराध है.जो युद्ध से रोकेंगे वह वह जहन्नम में पड़ने वाले हैं और वे उसमे सदैव के लिए रहेंगे .सूरा अल बकरा -2 :217
18 -जो अल्लाह की राह में हिजरत न करे उसे क़त्ल करदो
जो अल्लाह कि राह में हिजरत न करे और फिर जाए ,तो उसे जहां पाओ ,पकड़ो ,और क़त्ल कर दो .सूरा अन निसा -4 :89
19 -अपनी औरतों को पीटो.
"अगर तुम्हारी औरतें नहीं मानें तो पहले उनको बिस्तर पर छोड़ दो ,फिर उनको पीटो ,और मारो सूरा अन निसा - 4 :34
20 -काफिरों के साथ चाल चलो .
"मैं एक चाल चल रहा हूँ तुम काफिरों को कुछ देर के लिए छूट देदो .ताकि वह धोखे में रहें अतता.सूरा रिक -86 :16 ,17
21 -अधेड़ औरतें अपने कपडे उतार कर रहें .
"जो औरतें अपनी जवानी के दिन गुजार चुकी हैं और जब उनकी शादी की कोई आशा नहीं हो ,तो अगर वह अपने कपडे उतार कर रख दें तो इसके लिए उन पर कोई गुनाह नहीं होगा .सूरा अन नूर -24 :60
हमें समझ में नहीं आ रहा है कि जब कुरआन में इतनी अच्छी बाते बताई गयी हैं ,जिस से विश्व का कल्याण हो सकता है ,तो कुछ मूर्ख कुरआन का विरोध करके उसे जलाने की बातें क्यों कर रहे है .पूरी दुनिया कुरआन और इस्लाम के खिलाफ क्यों होती जा रही .है .क्या लोग नहीं जानते कि यह अल्लाह की किताब है .और उसके मानने वाले मुसलमान भोले भाले शरीफ लोग है ,जो दुनिया में सिर्फ शांन्ति ही फैला रहे हैं
पता चला हैकि 11 सितम्बर 2010 को फ्लोरिडा में विश्व कुरआन जलाओ दिवस मनाया जाएगा .यह एक निदनीय कार्य है .हम इसका विरोध करते हैं .क्योंकि लाखों कुरानें जलाने से वातावरण प्रदूषित होगा .
मुहम्मद का उस्ताद वरका बिन नौफल
कुरआन अल्लाह की किताब है .अल्लाह के आदेश से एक फ़रिश्ता जिब्राइल कुरआन की आयतें मुहम्मद को भेजता था.क्योंकि मुहम्मद अल्लाह के सबसे प्यारे और आखिरी नबी थे.मुहम्मद अल्लाह के द्वारा भेजी गयी आयातों को ज्यों की त्यों लिखवा लेता था .जो बाद में कुरआन बन गयी .ऐसा मुसलमानों का दवा है .लेकिन दुनिया भर के विद्वान् इस बात को नहीं मानते . लोगों ने मुहम्मद के गुरु का पता कर लिया है .जो मुहम्मद को कुरआन दिखाता था ,और जिसने मुहम्मद को आम आदमी से अल्लाह का रसूल बनवा दिया था .
इसी लिए अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में दिनांक 11 नवम्बर 2010 विश्व स्तर पर कुरआन जलाओ दिवस मनाया जाएगा .जो कि"dove world outreach center "आयोजित कर रही है
मुहम्मद का जन्म 11 नवम्बर सन 569 को मक्का में हुआ था उसका नाम "अब्दुल्लाह -अबू अल कासिम -इब्ने इब्ने अब्दे मुत्तलिब -इब्ने हाशिम "था जन्म से पाहिले ही उसके पितागुजर गए .और आठ साल की उम्र में माँ भी मर गयी .मुहम्मद को पहिले उसके दादा और बाद में उसके चाचा ने पाला .6 सालकी आयु होने के बाद मुहम्मद को गाँव भेज दिया गया .ताकि वह अरबी सही बोलना सीख सके .क्योंकि शहर के मुकाबले गाँव की अरबी तुकबंदी में बोली जाती है ,जो शुद्ध मानी जाती थी.देखिये "कुरआन का हिंदी अनुवाद -मुहम्मद का जीवन परिचय पेज-1 प्रकाशित मकतबा अल हसनात राम पुर U .प
12 साल का होने पर मुहम्मद अपने चाचा अबूतालिब के साथ व्यापार कराने लगा .और काफिलों के साथ सीरिया और कई देशों से सामान की खरीद फरोख्त में कमाने लगा .उस समय अरब में यहूदी और ईसाई धर्म का काफी प्रभाव था .यद्यपि अरब के कुछ लोग अपने देवताओं की पूजा कृते थे ,लेकिन वे इसाई और यहूदी धर्म की कथाएं जानते थे .इन धर्मों में ऐसे लोगों की कहानियां हैं ,जो भविष्यवक्ता थे .और समय समय पर भविष्य वाणियाँ करते रहते थे .इनको हिब्रू में "नबी "और अंगरेजी में "prophet "कहा जाता है .अरब में इनका काफी आदर था .
उस समय मुहम्मद एक साधारण आदमी था .वह खरीदारी करता था .सूरा -अल फुरकान -25 :20 .उसे पता नहीं था कि आगे उसका क्या होगा सूरा -अल अहकाफ -46 :9 .उसे परोक्ष का कोई ज्ञान नही था सूरा -अल अन आम -6 :50 .
जब मुहम्मद 25 साल का हुआ तो उसने 40 साल की दो बार विधवा "खदीजा बिन्त खुवैलिद "से शादी कर ली .जिसके यहाँ मुहम्मद काम करता था.खदीजा काफी मालदार थी .उसके पिछले दोनों पति ईसाई थे .खदीजा के साथ उसका चचेरा भाई "वरका बिन नौफल बिन असद बिन अब्दुल उज्जा "भी रहता था .जो ईसाई था और मक्का का बिशप "bishop "था वरका अरबी भाषा में बाइबिल की कहानियाँ लिखा करता था .और खदीजा और मुहम्मद को सुनाया करता था .देखिये -बुखारी -volume -1 book 1 हदीस 3
वरका बिन नौफल ने जो किताबें लिखी थी बाद में उनका लैटिन भाषा में अनुवाद किया गया .यह किताबें हैं -
१-"EVANGELIUM INFANTAEARABICUM "
२-LIBER EVENGELIUM LUCAE "इन दोनों किताबों का अरबी से latin में "HIERRNYMOS "ने किया था .इन किताबों को चर्च ने अमान्य करते हुए "PSUEDOAPOCRYPHA "कहा है इनमे से पहली किताब मरयम के बारेमे आर दूसरी लुकमान के बारे में है .इन दोनों किताबों से लगभग 70 प्रतिशत आयतें कुरआन की सूरा मरियम -19 और सूरा लुकमान -31 में दी गयी हैं .
देखिये -"तावारीखे मसीही कलीसिया और दीन की "पेज 93 .लेखक "PG PFENDER "
कहा जाता हा कि मुहम्मद अक्सर एक गुफा में आराम करता था .जिसका नाम "गारे हिराँ"है यह सन 610 कीबात है .मुहम्मद को बुखार था.जब वह घर आया तो उसने कहा की मुझे गुफा में किसी ने कहा की "पढो "लेकिन मैं डरकर भाग आया.वरका चालाक आदमी था .उसने खदीजा से कहा गुफा में आने वाला जिब्राईल होगा ,जो नबियों को खुदा का सन्देश देता है.वरका ने मुहम्मद से कहा कि अगता है कि अल्लाहने तुम्हें नबी बना दिया है .कहा जाता है कि उसी समय कुरआन की पहली सूरत लिखी गयी,सूरा -अलक -96 .उसके बाद छे महीने तक कोई सूरत नहीं उतरी.फिर सूरा 68 उतरी .
वरका मुहम्मद को एक नबी से बढाकर कुछ और बनाना चाहता था.उसे पता था कि ईसा मसीह ने अपना सन्देश लोगों तक बजाने के लिए 12 शिष्यों को चुना था .जिन्हें बाइबिल में"APOSTELS 'कहा गया है -बाइबिल नया नियम -लूका -6 :6 से 17 तक .और कुरआन में इनको अरबी में "हवारी "कहा गया है सूरा -अस सफ्फ 61 :14 .
पाहिले तो मुहम्मद खुद को नबी कहाता रहा सुरा -अन फाल 8 :64 -65 ,सूरा तौबा 9 ;73 ,सूरा अह जाब 33 ;28 ,33 :45 ,33 :50 और सूरा अत तलाक 65 1 .
चूंकि इसा मसीह ने कहा था कि यदि मैं कभी बाहर चला जाऊंगा तो मैं किसी सहायक को भेज दूँगा जो मेरे भक्तों का मार्गदर्शन करता रहेगा .देखिये बाइबिल -यूहन्ना 14 :16 और 15 :26 .इस सहायक ,या तसली देने वाले को ग्रीक भाषामे "PERAKLETOS "कहा गया है अभी तक यह शब्द हिब्रू और ग्रीक बाइबिल में ऐसा ही लिखा है .वर्का तो यह बात पता थी .उसने बड़ी चालाकी से इस शब्द का अर्थ अरबीमें "अहमद" "करदिया .यानी तारीफ़ किया गया ."praised one "सूरा अस सफ-61 :6 .
उस समय लोग मुहम्मद को "काहिन"यानी भविष्यवक्ता मानते थे सूरा अत तूर-59 :29
मुहम्मद साधारण नबी बल्कि अल्लाह का संदेशवाहक नही बनाना चाहता था इसके लिए उसने इथोपियन भाषा के शब्द "रसूल "का प्रयोग किया .इसका भी वही अर्थ है जो फारसी में पैगम्बर का और अंग्रेजी में "MESSAANGER "का है लेकिन मुहम्मद ने लोगों को बताया कि रसूल वह होता है जो अल्लाह कि खबरें लाता है.
इसके बाद मुहम्मद ने अपने नाम के आगे "रसूलुल्लाह "लगाना शुरू कर दिया सूरा -अल अह्जाब 33 :40 .गौर करने की बात यह है कि सूरा अल अह्जाब से पाहिले 89 सूरतें लिख चुकी थीं .इससे पहले मुहम्मद खुद को रसूल नहीं कहता था .
बाद में मुहम्मद ने अपने नाम का कलमा भी बनवा लिया .जो दो हिस्सों में अलग अलग कुरआन की सूरतों से लेकर बना है .कलमा दो भागो में है .पूरा कलमा कुरआन में कहीं नहीं है यह दो भाग इस तरह है -
1 - ला इलाह इल्लल्लाह -सूरा -आले इमरान -3 :62
2 -मुहम्मद्र्रसूलुल्लाह .सूरा अल अहज़ाब -33
मुहम्मद के गुरु वरका बिन नौफल ने जिस तरह से बाइबिल का सहारा लेकर मुहम्मद को चालाकी से नबी की जगह रसूल बना दिया .और अल्लाह का दूत बना दिया ,उसी तरह मुहम्मद के वकील हिन्दुओं ,बौद्धों और दूसरे धर्म की किताबों का सहारा लेकर मुहम्मद को अंतिम अवतार, कल्कि अवतार और मैत्रेय बुद्ध साबित करने में लगे रहते हैं ..लेकिन 11 नवम्बर 2010 सारी दुनिया के सामने कुरआन और मुहम्मद का भंडा फूट जाएगा .
इस्लाम के दस नियम
यह कहावत सभी जानते है कि सोते हुए व्यक्ति को जगाना आसान होता है ,लेकिन जिसने सोने का ढोंग कर रखा हो ,या जिसे नींद कि गोली दी गयी हो ,उसे जगाना मुश्किल होता है .नादान को समझाने पर वह फ़ौरन समझ जाता है ,लेकिन जन पढ़े लिखे लोगों की अक्ल पर सेकुलर विचारों का पर्दा पड़ा हो ,जो मुसलमानों की चिकनी चुपड़ी मक्कारी भरी बातों में गुमराह हो गए हैं ,उनको समझाना कठिन है .यह लोग नहीं जानते कि आज कश्मीर नाम मात्र को भारत का अंग क्यों बना हुआ है ?क्या इसके लिए मुसलमानों की जिहादी विचारधारा जिमेदार नहीं है ?
अज का हिन्दू सिर्फ मैच देखने ,या बिग बोस जैसे फालतू सीरियल देखने में व्यस्त रहते हैं .और महिलाएं ऐसे सीरियल देखती रहतीं हैं ,जो समाज को तोड़ने के लिए बने हैं .यह एक सोची समझी योजना है .
मुसलमानों ने यही नीति रूस के एक हिस्से "कौकेसिया Caucasia "में अपनायी थी .पाहिले वहां पर आरमीनियन ,अज़रबैजानी लोगों की अधिकता थी .धीमे धीमे मुसलमान अपनी संख्या बढ़ाते गए .और वहां के आतंकी संगठन "हिजबुत तहरीर "और "Muslim Brotherhod "ने वहां इतना आतंक फैलाया की ,वहां के लोग भाग कर आस पास के देशों में चले गए .बाद में उन्ही आतंकी गिरोह ने अपना अलग देश बना लिया .और 9 अगस्त 2008 में इसे आजाद देश घोषित करा दिया .इसकी सीमा ज्योर्जिया ,और रूस से लगी है.यहाँ पर इस्लामी कानून चलता है .यहाँ के शासक को अमीर कहा जाता है .अबतक इस देश के दो अमीर बन चुके हैं .वर्त्तमान आमिर का नाम "دوكوعمروDokku Umarov "है
इसका मकसद पूरे विश्व में इस्लामी राज्य की स्थापना करना है ,यानि "Pan islam "या "अल वहदत अल इस्लामिया الوحدة الاسلاميه"बनाना है .इस आतंकी गिरोह के तार भारत तक जुड़े होने के सबूत मिले हैं .
इस इस्लामी आतंकी दल ने अपने सदस्यों को जो दस आदेश दिए हैं ,वह प्रस्तुत किये जा रहे हैं -
1 - يجب على كل مسلم الاقتداء محمد. Every muslim must follow Mohammed’s example.
हरेक मुसलमान को मुहम्मद के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए.
2 - الجهاد هو أول واجب المسلمين في كل! Jihad is the first duty of ALL MUSLIMS!
जिहाद करना मुसलमानों का पहिला कर्तव्य है.!
3 - يجب تحويل العالم كله إلى الإسلام The whole world must be converted to Islam
सम्पूर्ण विश्व को इस्लाम में बदलना होगा .
4 - سوف الارهاب تجعل الإسلام منتصرا Terror will make Islam victorious.
इस्लाम सिर्फ आतंक से विजयी होता है.
5 - فيعذبه الله العذاب المسلمين أن لا نقاتل في الجهاد.Allah will punish Muslims that don’t fight in Jihad.
जो मुसलमान जिहाद में युद्ध नहीं करेगा ,अल्लाह उसे सख्त सजा देगा .
6 - يجب على المسلمين محاربة كل الكفار في جميع أنحاء العالم ويجب أن تكون قاسية معهم Muslims must fight all infidels around the world and MUST be ruthless with them.
7 -يجب على المسلمين استخدام أي وسيلة تحت تصرفكم لمحاربة الكفار Muslims must use any means at your disposal to fight the Infidel.
मुसलमानों को दुनिया भर के गैर मुस्लिमों से युद्ध करना चाहिए ,और उनसे क्रूरता का वर्ताव करना चाहिए .
8 - يجب على المسلمين أن يقتل كل من يترك الإسلام Muslims must kill anyone who leaves Islam
इस्लाम छोड़ने वालों को मुसलमान क़त्ल दें .
9 - واستشهد لك في قضية الإسلام، والله يأخذك إلى الجنة you are martyred in the cause of Islam, Allah will take you into paradise where you can enjoy unlimited sex with your brand new 72
Virgins
अगर तुम इस्लाम की खातिर शहीद हो गए ,तो अल्लाह तुम्हें जन्नत में दाखिल कर देगा .जहाँ तुम्हें असीमित वासना पूर्ति के लिए 72 कुँवारी कन्याएं दी जायेंगी .
10 - ومداعبة الأطفال هو ارتفاع مضاهاة The fondling of children is the height of emulation
बच्चों के साथ यौनाचार सबसे बड़ी प्रतियोगिता है.
The Islamic Emirate of Caucasus
यह दस आदेश इस्लामी कौकेसिया की अमीरात के सदर "दोकू उमरोव" ने अपने दल के लोगों को दिए थे .ताकि वह इन आदेशों का सख्ती से पालन करें ,और करवाएं .
अब यह सब पढ़ने के बाद ,जो लोग मुसलमानों को शांतिप्रिय ,शरीफ ,देशभक्त ,मानते हैं ,और उनकी वकालत करते हैं ,तो उनकी बूढी पर तरस आता है .अगर अब भी हिन्दू नहीं संभले तो ,यहाँ एक नहीं कई इस्लामी देश बन सकते हैं .मुसलमान कैसा भी हो ,मर्द हो ,या औरत ,बच्चा हो या बूढ़ा सब आतंक से इस्लाम फैलाना चाहते हैं.उनकी आपसी सौहार्द ,भाईचारे की बातों में नहीं आयें .आपको इस से बड़ा सबूत और क्या चाहिए ?
IslamDin : Message from the South-West sector Amir, Zakari (ha)
निवेदन -मुसलमानों के खूंखार इरादों ,आतंकी कार्यवाहियों के बारे में पूरी जानकारी के लिए इस दिए गए ब्लॉग को जरूर पढ़िए .!
http://kavkaz-jihad.blogspot.com/2011_01_01_archive.html
अल्लाह कौन था ?
यदि कुरान और हदीसों को ध्यान से पढ़ें ,तो उसमे अल्लाह के द्वारा जितने भी आदेश दिए गए हैं ,सब में केवल जिहाद ,ह्त्या ,लूट ,बलात्कार और अय्याशी से सम्बंधित है .कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति इनकी ईश्वर के आदेश मानने से इंकार कर देगा .अप देखेंगे की अल्लाह हमेशा मुहम्मद का पक्ष लेता है ,मुहम्मद के हरेक कुकर्म को किसी न किसी आयात से जायज बता देता है .मुहम्मद के लिए औरतों का इंतजाम करता है ,मुहम्मद के घरेलु विवाद सुलझाता है ,मुहम्मद के पापों पर पर्दा डालता है ,आदि
यूरोप के विद्वान् इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वास्तव में अल्लाह एक कल्पित चरित्र है .अल्लाह का कोई अस्तित्व नहीं है .अल्लाह और कोई नहीं मुहम्मद ही था .जो अल्लाह का रूप धरकर पाखण्ड कर रहा था ,और लोगों को मूर्ख बनाकर अपनी मनमर्जी चला रहा था .और अय्याशी कर रहा था .कुरान अल्लाह की किताब नहीं ,बल्कि मुहम्मद ,आयशा ,और वर्क बिन नौफल की बेतुकी बातों का संग्रह है .और हदीसें मुहम्मद के साथियों द्वारा चुगली की गयी बातें हैं (इसके बारे में अगले लेख में विस्तार से दिया जायेगा )
यहाँ पर उन्हीं तथ्यों की समीक्षा की जा रही है ,जिस से साबित होता है ,की मुहम्मद अलाह की खाल ओढ़कर अपनी चालें कैसे चलता था .इसके लिए प्रमाणिक हदीसों और कुरान से हवाले लिए गए हैं -
1 -अल्लाह को केवल मुहम्मद ही जानता था
"रसूल ने कहा कि केवल मुझे ही अलह के बारे में पूरी पूरी जानकारी है ,कि अल्लाह कैसा है ,और कहाँ रहता है ,और भवष्य में क्या करने वाला है "
सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5814
"आयशा ने कहा कि ,जब भी मोमिन रसूल के पास आकर,उन से अल्लाह और रसूल के अधिकारों ,के बारे में कोई सवाल करता था ,तो रसूल एकदम भड़क जाते थे ,और कहते थे कि ,मैं अल्लाह को अच्छी तरह पहिचानता हूँ .मुझ में और अल्लाह में कोई फर्क नहीं है .मैं अल्लाह के बारे में तुम सब से अधिक जानता हूँ "
बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 19
सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जन्नत में केवल उन्हीं लोगों को ऊंचा स्थान मिलेगा जो ,अल्लाह के साथ मुझे भी आदर देंगे ,और मुझे चाहेंगे "
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 478 .
2 -अल्लाह मुहम्मद को औरतें भेजता था
"खौला बिन्त हकीम नामकी एक औरत रसूल के पास गयी ,रसूल ने उस से सहवास कि इच्छा प्रकट की ,लेकिन आयशा को यह पसंद नहीं आया .इस पर रसूल ने कहा कि ,आयशा क्या तुम नहीं चाहती हो ,आल्लाह मुझे औरतें भेजकर मुझे ख़ुशी प्रदान नहीं करे .इस औरत को अल्लाह ने मेरे लिए ही भेजा है ".
बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 48 .
3 -अल्लाह मुहम्मद का पक्ष लेता था
"अब्ब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब ने कहा कि ,रसूल से मैंने सुना कि रसूल ने कहा अल्लाह हमेशा मेरा ही पक्ष लेता है .और मेरी हरेक बात को उचित ठहरा देता है .मेरे मुंह से अल्लाह ही बोलता है "सहीह मुस्लिम -किताब 1 हदीस 54 .
4 -मुहम्मद को गाली,अल्लाह को गाली
"अबू हुरैरा ने कहा कि ,जब कुरैश के लोग रसूल को मुहम्मद कि जगह "मुहम्मम "कहकर चिढाते थे तो,रसूल ने कहा क्या तुम लोग यह नहीं जानते हो कि ,तुम अल्लाह को चिढ़ा रहे हो .इस से तुम पर अजाब पड़ेगा "बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 773
5 -मुहम्मद कि जुबान अल्लाह कि जुबान
"अबू मूसा ने कहा कि ,रसूल ने कहा ,मैं जो भी कहता हूँ वह मेरी नहीं बल्कि अल्लाह कि जुबान है .जिसने मेरी बात मानी समझ लो उसने अल्लाह कि बात को मान लिया "अबू दाऊद-किताब 3 हदीस 5112
"आयशा ने कहा कि ,हिन्दा बिन्त उतबा रसूल के पास शिकायत लेकर आई और बोली कि ,मुझे अबू सुफ़यान से खतरा है ,क्या मैं अपना घर छोड़ कर चली जाऊं ,क्या सुफ़यान को अल्लाह का खौफ नहीं है .रसूल ने कहा तुम डरो नहीं ,तुम्हें कुछ नहीं होगा .यह मेरा नहीं अल्लाह का वायदा है "सहीह मुस्लिम -किताब 18 हदीस 4254 .
6 -मुहम्मद को अल्लाह का डर नहीं था
"आयशा ने कहा कि ,एक बार जैसे ही रसूल घर में दाखिल हुए तो ,एक यहूदिन ने चिल्लाकर रसूल से कहा कि ,क्या तझे पता नहीं है कि ,कयामत के दिन अल्लाह तेरे गुनाहों के बारे में सवाल करेगा .रसूल ने कहा कि मुझे इसका कोई डर नहीं है .मैं खुद अपने आप से सवाल क्यों करूंगा "मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1212 .
"अम्र बिन आस ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अल्लाह तो मेरा दोस्त है .और वह मुझसे या मेरे बाप दादाओं या मेरे साथियों से उनके गुनाहों के बारे में कोई सवाल नहीं करेगा .और मई सब गुनाह माफ़ कर दूंगा "मुस्लिम -किताब 1 हदीस 417 .इब्ने माजा -किताब 1 हदीस 93
7 -मुहम्मद से नीची आवाज में बोलो
"हे ईमान वालो ,अपनी आवाजें रसूल की आवाजों से ऊंची नहीं करो ,और जो लोग रसूल के सामने अपनी आवाजें नीची रखते है .अल्लाह उनके लिए क्षमा और उत्तम बदला देगा "सूरा -अल हुजुरात 49 :2 और 3
8 -अल्लाह के नाम पर मुहम्मद का कानून
"जब अल्लाह का रसूल की फैसला कर दे ,तो किसी को कोई अधिकार नहीं रह जाता है कि ,वह रसूल कि वह रसूल के फैसले कि अवज्ञा कर सके ."
सूरा -अहजाब 33 :36 .
"इब्ने अब्बास ने कहा कि ,जो रसुल के आदेश को कबूलकरेगा और मान लेगा समझ ले कि उसाने अल्लाह केअदेश को मान लिया .और जो रसूल के आदेश का विरोध करेगा वह अल्लाह का विरोध माना जाएगा "बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 634 .
9 -मुहम्मद का आतंक अल्लाह का आतंक
"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,मैं लोगों ले दिलों में आतंक पैदा कर दूंगा .और जो आतंक होगा वह अल्लाह के द्वारा पैदा किया आतंक समझा जाये
"सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1066 और 1067 .
10 -अल्लाह ने शादियाँ तय करवायीं
"जब मुहम्मद ने अपनी पुत्रवधू जैनब बिन्त से अपनी शादी करवाई थी ,वह शादी खुद अल्लाह ने ही करवायी थी .उस समय अल्लाह के आलावा कोई दूसरा नहीं रसूल ही थे "सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1212 .
11 -अल्लाह के बहाने अली बोलता था
"जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि ,अक्सर जब रसूल कोई महत्वपूर्ण आयत सुनाने वाले होते थे तो ,सब को बुला लेते थे .फिर अपने घर के एक गुप्त कमरे में अली को बुला लेते थे .जबीर ने कहा कि इसी तरह एक बार रसूल ने हमें बुलाया ,फिर कहा कि एक विशेष आयत सुनाना है .फिर रसूल अली को एक कमरे में ले गए .आर कहा कि इस आयत में काफी समय लग सकता है इसलिए अप लोग रुके रहें ,हमने चुप कर देखा कि अली ,रसूल से अल्लाह की तरह बातें कर रहा था .वास्तव में कमरे में रसूल और अली के आलावा कोई नहीं था .अलह कि तरह बातें करने वाला और कोई नहीं बल्कि रसूल का चचेरा भाई अली था "शामए तिरमिजी हदीस 1590 .
इस सारे विवरणों से साफ पता चलता है कि ,अल्लाह का कोई अस्तित्व ही नहीं है .यह मुहम्मद की चालबाजी और पाखंड था .अरब के मुर्ख ,लालची लोग मुहाम्मद की बे सर पैर की बातों को अल्लाह का आदेश मान लेते थे .आज भी कई ढोंगी बाबा ,फकीर इसी तरह से लोगों को ठगते रहते है .चूंकि आज विज्ञानं का प्रचार होने से लोग ऐसे ढोंगियों को जल्द ही भंडा फोड़ देते हैं .और पाखंडियों को जेल के अन्दर करा देते हैं .और ढोंगियों के जाल से बच जाते है .
आज इस बात की अत्यंत जरुरत है कि दुनिया के सबसे बड़े धूर्त ,पाखंडी ,और अल्लाह के नाम पर आतंक करने वाले स्यंभू रसूल का विश्व स्तर पर भंडा फोड़ा जाये .तभी लोग शांति से जी सकेंगे .अल्लाह को मानाने या उस से डरने कि कोई जरुरत नहीं है .मुहम्मद ही अल्लाह बना हुआ था .
http://www.islam-watch.org/AbulKasem/BismiAllah/10a.htm
सहाबा :मुहम्मद के साथी !!
यह सर्व स्वीकृत सत्य है कि ,किसी भी व्यक्ति के चरित्र और स्वभाव के बारे में उसकी संगत से पता चल जाता है.जो जिस प्रकार का व्यक्ति होता है ,उसको वैसे ही साथी मिल जाते हैं .मुहम्मद ने भी अपने स्वभाव के अनुसार साथी बना रखे थे .मुहम्मद के साथियों को मुसलमान "الصحابهसहाबी "या Companion कहते हैं.और उनको अपना आदर्श मानकर आदर से उनके नाम से "रजी अल्लाहु अन्हु "लगा देते हैं ,यानि अल्लाह उन से राजी हो .मुहम्मद के साथियों में कई तरह के लोग थे ,जिनमे ,ईर्ष्यालु ,रिश्वत लेने देने वाले ,वेश्यागामी ,गंदे ,और ऐसे लोग भी थे ,जो औरतों पर बुरी नजर रखते थे .इनके बारे में हदीसों और इस्लाम की प्रमाणिक इतिहास की किताबों में जो लिखा है उसका कुछ नमूना प्रस्तुत किया जा रहा है .
1 -ईर्ष्यालु
इतिहास की किताबों में सहबियों की आपसी लड़ाइयों के बारे में जो प्रामाणिक हदीसों में रावियों द्वारा बयान की हैं ,उसके अनुसार अधिकांश सहाबी मुख्य मार्ग से हट गए थे .और जालिम और फासिक बन गए थे .क्योंकि वह इर्ष्या ,नफ़रत ,और लालच से भर गए थे .कई लोगों ने तो रसूल को देखा भी नहीं था .यह सभी पूरी तरह से निष्पाप नहीं थे .
The battles (between the Sahaba) as its recorded in history books & narrated by reliable narrators serve as proof that some companions left the right path and became Zaalim and Fasiq because they became affected by jealousy, hatred, stubbornness, a desire for power and indulgence because the companions were not infallible , nor was every individual that saw Rasulullah (s), good".
Imam Dhahabi stated in his book Marifat al-Ruwah, page 4:
अल शुयूती ने कहा कि वह एकदूसरे को काफ़िर कहते थे .
Al-Suyuti writes:
“Some of the Sahaba issued Takfeer against one another”
Al-Dur al-Manthur, Volume 2 page 361
2 -मन के पापी
एक औरत रसूल के पीछे नमाज पढ़ती थी ,वह बहुत सुन्दर थी .उसी लोग
को देखने के लिए उसके पीछे खड़े हो जाते थे ,ताकि वह जैसे ही झुके उसके पीछे का हिस्सा दिख जाये .एक बार उन में से एक आदमी जब उस औरत को देखने को अगली पांति में अगया तो ,सब नाराज हो गए .
رأة تستخدم للصلاة وراء النبي (ص) وكانت جميلة جدا، وبالتالي فإن الناس سوف يصلون في السطر الأخير حتى يتمكنوا من مراقبة لها في حين أنها رضخت، واحد منهم، ثم توجه إلى السطر الأول بحيث أنهم لم يتمكنوا لرؤيتها، وبالتالي كشف الله '{لتعرف بنا أولئك منكم الذين أسارع إلى الأمام، وأولئك الذين متخلفة.}'
A woman used to pray behind the Prophet (s) and she was very beautiful, therefore the people would pray in the last line so that they could observe her whilst they bowed, one of them then went to the first line so that they were unable to see her, hence Allah revealed ‘{To Us are known those of you who hasten forward, and those who lag behind.}’
Imam of the Salafies Nasiruddin Albaani records in Silsila Sahiha, Volume 5 page 608:
Tarikh Dimashq, Volume 60 pafe 40:
3 -वेश्यागामी
उमर एक औरत को सम्भोग के लिए बुलाये ,लेकिन वह इस के लिए अग्रिम पैसा चाहती थी .जब उमर ने उसके साथ सम्भोग करना चाहा तो वह बहाने करने लगी ,की मेरा मासिक चल रहा है .उमर को पता चल गया कि औरत झूठ बोल रही है .तो वह रसूल के पास गए और शिकायत की ,रसूल ने कहा औरत को पचास दीनार अधिक दे दो ."
ضي الله عمر بن الخطاب رضي الله كان له زوجة العبيد الذين كانوا يكرهون الرجال. واعتذرت كلما أراد عمر أن يكون الجماع معها ، من خلال تعزيز ذريعة أنها كانت فترة وجود ، وبالتالي يعتقد أن عمر كان يقول انها كذبة ، ثم (عندما كان الجماع معها) وجد أنها كانت تقول الحقيقة . ذهب بعد ذلك إلى النبي (ص) وقال انه أمرته بدفع خمسين دينارا كمنظمة خيرية.
Umar bin al-Khatab may Allah be pleased with had a slave girl who used to hate men. Whenever Umar wanted to have sexual intercourse with her, she apologized by advancing an excuse that she was having a period, hence Umar thought that she was telling lie, then (when he had sexual intercourse with her) he found that she was telling the truth. He then he went to the prophet (pbuh) and He ordered him to pay fifty dinars as charity.
We read in Tabaqat Ibn Saad, Volume 6 page 195:
तबकाते इब्न साद -जिल्द 6 पेज 195
4 -गंदे
कदमा बिन मदऊन रसूल के सहाबी थे .उन्हों ने कहा है कि उमर नमाज से समय अपने सर और कपड़ों के जुएँ मारते रहते थे .यहांतक उनके हाथ खून से रंग जाते थे
." ‘Ibn Umar used to kill lice during prayer until the blood get on his hand’
'وكان ابن عمر لقتل القمل في الصلاة حتى الدم الحصول على يده'
Imam Ghazzali records in his authority work Ehya uloom al-Deen, Volume 1 page 188:
उसुद अल गवा -जिल्द 1 पेज 980 .और अल इसबा -जिल्द 5 पेज 432
तारीख अल खिलाफा -लेखक अबू नईम अस्बहानी पेज 127
और यही बात इमाम मुहम्मद बिन याह्या बिन अबी बकर ने अपनी किताब "التحميدوالبيان في المقتل شهيدعثمانअल तहमिदवाल बयान फिल मकतल अल शहीद उस्मान .पेज 186
5 -हिजड़ा प्रेमी
"उम्मे सलाम ने कहा कि .रसूल एक हिजड़े के साथ बैठे थे ,उसने अब्दुल्लाह बिन अबी उमैया से कहा अगर तुम कल ताइफ़ के यद्ध में जीत जाओ तो ,गैलान कि बेटी से शादी कर लेना वह सुन्दर है और उसमे इतनी चर्बी है कि आगे से चार गुना और पीछे से आठ गुना आनंद आयेगा .रसूल ने कहा इस हिजड़े को औरत के पास नहीं भेजना .
Narrated Um Salama:
The Prophet came to me while there was an effeminate man sitting with me, and I heard him (i.e. the effeminate man) saying to 'Abdullah bin Abi Umaiya, "O 'Abdullah! See if Allah should make you conquer Ta'if tomorrow, then take the daughter of Ghailan (in marriage) as (she is so beautiful and fat that) she shows four folds of flesh when facing you, and eight when she turns her back." The Prophet then said, "These (effeminate men) should never enter upon you (O women!)." Ibn Juraij said, "That effeminate man was called Hit."
Sahih al-Bukhari, Volume 5, Book 59, Number 613
6 -इस्लाम के लिए रिश्वत
एक सहाबा अल मुगीरा बिन शुआब ने कहा कि ,मी इस्लाम के लिए सबसे पहिले रिश्वत ली थी .यही दूसरी हदीस भी है .
Al-Mughira bin Shu'aba (a Companion) said: ‘I am the first one who gave a bribe in Islam’
Similarly, we read in Usud al-Ghaba, Volume 4 page 407:
" أنا أول من أعطى رشوة في الإسلام "
“The first one who gave a bribe in Islam”
Likewise we read in Al-Isaba, Volume 6 page 157:
7 -शहर में बदनाम
अबू बकर अल मजूरी ने कहा कि ,मैं हसन अल बजा अहमद बिन हम्बल के घर गया तो उनके साथ एक सुंदर लड़का बात कर रहा था .जब मैं बात करके जाने लगा तो कहा तुम इस लडके के साथ बाजारों में बात नहीं किया करे ,वह बोले यह मेरी बहिन का लड़का है .तो मैंने कहा कुछ भी हो ,लोग तुम्हारी आदतों के कारण शक जरुर करेंगे .
Abu Bakr al-Maroozi narrated that Hassan al-Baza came to visit Ahmad ibn Hanbal and with him was a beautiful boy. He talked to him and when he wanted to leave, Abu Abdillah (Imam Ahmad) said: ‘Oh Abu Ali, don’t walk with this boy on the street. He replied: ‘He is my sister's son’. He (Imam Ahmad) said: ‘Even so, otherwise the people will have suspicious thoughts about you.’
وروى أبو بكر المروزي أن حسن بازا جاء لزيارة أحمد بن حنبل ومعه كان صبيا جميلا. وتحدث إليه وعندما أراد الرحيل ، أبو عبدالله (الإمام أحمد) قال : يا أبا علي، لا تمشي مع هذا الولد في الشارع. فأجاب : 'وهو ابن شقيقتي. وقال (الإمام أحمد) : 'على الرغم من ذلك، وإلا فإن الناس سوف لديك أفكار مشبوهة حول أنت.
Talbis Iblis, page 337
आप खुद अंदाजा कर सकते हैं ,की जब मुहम्मद के साथी इस प्रकार के थे तो मुहम्मद किस प्रकार का व्यक्ति होगा .उसके साथियों को मुसलमान भले ही आदर्श मानें ,लेकिन उनका तन और मन दौनों गंदे थे .इन से दूर रहना ही उचित है .
http://www.wilayat.net/index.php?option=com_content&view=article&id=231:should-we-love-all-the-sahabah&catid=71:05-Sahabiat-(Companionship)
Note-watch this videoनिवेदन है कि दिए गए विडिओ को ध्यान से जरुर देखिये
http://www.youtube.com/watch?v=MVCGM2uTXeI
गीता का उर्दू काव्यानुवाद !!
मुझे अपने सभी जागरूक पाठकों और मित्रों को यह सूचित करते हुए अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है कि इश्वर कि कृपा और आप सबके आशीर्वाद से मैंने श्रीमद भगवत गीता का ,हिंदी लिपि में उर्दू मंजूम (कविता में )अनुवाद पूरा कर लिया है .यह अनुवाद मैं पिछले ढाई साल से कर रहा था .अपने नियमित लेखों को तैयार करने में जो समय मिलता था ,उसमे थोडा थोडा गीता का उर्दू अनुवाद करता रहता था .इसी माह हिन्दू नववर्ष के दिन यह अनुवाद सम्पूर्ण हो गया . कई बार इसमे संशोधन भी करना पड़े .और कई रजिस्टर भर देने के बाद अंत में एक पुस्तक के रूप में लिख लिया गया है .
इस अनुवाद में गीता के 18 अध्याय -700 श्लोकों का सरल उर्दू देवनागरी लिपि में लिखा गया है .और कुल 2800 पंक्तियों को 238 पृष्ठों में पूरा किया गया है .अनुवाद में ऐसे शब्द लिए हैं जो आमतौर से सब प्रयोग करते हैं .जहाँ कठिन उर्दू शब्द देना पड़ा है ,वहां उनके हिंदी समानार्थी शब्द भी दिए जायेंगे .जैसे जैसे एक एक अध्याय टाईप होता जायेगा ,पोस्ट कर दिया जायेगा .
आज के जो हिन्दू जब गीता न तो ठीक से समझते ,और न बच्चों को पढाते हैं .यह अनुवाद उनके लिए उपयोगी होगा ,क्योंकि इसे आसानी से याद किया जासकता है .
दूसरा मेरा यह भी मकसद है ,कि जिन मुसलमानों के दिलों में हिन्दू मज़हब के मुताल्लिक गलत फहमियां हैं ,उसे दूर किया जा सके .जैसे अक्सर मुसलमान कहतेहैं कि .हिन्दू बुत परस्त हैं ,कई कई खुदा मानते है ,वगैरह वगैरह.वह गीता का उर्दू मंजुम तर्जुमा पढेंगे तो उनका नजरिया बदल जायेगा .कि गीता एक ही खुदा क़ी इबादत क़ी हिदायत देती है
आपको यह भी सूचित किया जाता है कि गीता के इस अनुवाद को प्रकाशित करने लिए अलग से नया ब्लॉग बन चूका है आप सब से विनम्र निवेदन है कि इस नए ब्लॉग पर भी पधार कर मेरी मेहनत को सार्थक बनाये.
क्योंकि यदि मैं गीता के इस उर्दू मंजुम तर्जुमे को किताब के रूप में छपवा देता उसे बहुत कम लोग पढते,नेट पर डालने से इसे विदेश के लोग भी पढ़ सकेंगे और यह सुरक्षित भी रहेगा .
इसके साथ मेरा जिहादी विचारों का भंडाफोड़ यथावत चलता रहेगा .परन्तु अपने धर्म को लोगों के सामने सही रूप में प्रस्तुत करना भी जरुरी है .तभी तो हिन्दू इन मक्कारों के दुष्प्रचार का मुंह तोड़ जवाब दे सकेंगे.
नए ब्लॉग का नाम "गीता सरल "है जल्द ही पहिला लेख प्रकाशित किया जायेगा .इसका URL यह है -
http://geeta-urdu.blogspot.com/
इस अनुवाद में गीता के 18 अध्याय -700 श्लोकों का सरल उर्दू देवनागरी लिपि में लिखा गया है .और कुल 2800 पंक्तियों को 238 पृष्ठों में पूरा किया गया है .अनुवाद में ऐसे शब्द लिए हैं जो आमतौर से सब प्रयोग करते हैं .जहाँ कठिन उर्दू शब्द देना पड़ा है ,वहां उनके हिंदी समानार्थी शब्द भी दिए जायेंगे .जैसे जैसे एक एक अध्याय टाईप होता जायेगा ,पोस्ट कर दिया जायेगा .
आज के जो हिन्दू जब गीता न तो ठीक से समझते ,और न बच्चों को पढाते हैं .यह अनुवाद उनके लिए उपयोगी होगा ,क्योंकि इसे आसानी से याद किया जासकता है .
दूसरा मेरा यह भी मकसद है ,कि जिन मुसलमानों के दिलों में हिन्दू मज़हब के मुताल्लिक गलत फहमियां हैं ,उसे दूर किया जा सके .जैसे अक्सर मुसलमान कहतेहैं कि .हिन्दू बुत परस्त हैं ,कई कई खुदा मानते है ,वगैरह वगैरह.वह गीता का उर्दू मंजुम तर्जुमा पढेंगे तो उनका नजरिया बदल जायेगा .कि गीता एक ही खुदा क़ी इबादत क़ी हिदायत देती है
आपको यह भी सूचित किया जाता है कि गीता के इस अनुवाद को प्रकाशित करने लिए अलग से नया ब्लॉग बन चूका है आप सब से विनम्र निवेदन है कि इस नए ब्लॉग पर भी पधार कर मेरी मेहनत को सार्थक बनाये.
क्योंकि यदि मैं गीता के इस उर्दू मंजुम तर्जुमे को किताब के रूप में छपवा देता उसे बहुत कम लोग पढते,नेट पर डालने से इसे विदेश के लोग भी पढ़ सकेंगे और यह सुरक्षित भी रहेगा .
इसके साथ मेरा जिहादी विचारों का भंडाफोड़ यथावत चलता रहेगा .परन्तु अपने धर्म को लोगों के सामने सही रूप में प्रस्तुत करना भी जरुरी है .तभी तो हिन्दू इन मक्कारों के दुष्प्रचार का मुंह तोड़ जवाब दे सकेंगे.
नए ब्लॉग का नाम "गीता सरल "है जल्द ही पहिला लेख प्रकाशित किया जायेगा .इसका URL यह है -
http://geeta-urdu.blogspot.com/